आईएसबीटी में शिफ्ट हो गया समग्र सेल का दफ्तर, 42 डिग्री तापमान में 15 से 20 किम चक्कर लगा रहीं बुजुर्ग महिलाएं | isbt samagra portal | Patrika News h3>
– पहले था कमला पार्क पर, यहां आकर हर छोटे बड़े काम करा लिया करती थीं गैस पीड़ित बुजुर्ग महिलाएं, व अन्य, अब आना होता है आईएसबीटी तक, जनसुनवाई भी यहीं होती है
भोपाल
Published: April 18, 2022 07:41:44 pm
भोपाल. करोंद निवासी विधवा बंसती बाई की पेंशन जून 2021 से बंद है। घर में आय का कोई श्रोत नहीं है। बच्चे भी ध्यान नहीं देते। सामाजिक सुरक्षा विभाग से मिलने वाली 600 रुपए की पेंशन अटकने से जो मदद मिलती थी वो भी बंद हो गई। इस भरी गमीZ में परेशान बुजुर्ग विधवा को करोद से लेकर आईएसबीटी तक 15 से 20 किमी का चक्कर काटना पड़ रहा है। ऐशबाग चाड़क्यपुरी निवासी विधवा पुष्पा बाई भी इन्हीं के साथ चक्कर काटने को मजबूर हैं। इधर जिम्मेदारों ने सिर्फ विस्थापन का बताकर इनकी पेंशन रोक दी है। इसी के सत्यापन के लिए ये लोग आईएसबीटी कायार्लय के चक्कर काट रही हैं। ये दोनों विधवाएं अकेली नहीं हैं, बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनकी पेंशन अटकी हुई है। फर्क इतना है कि किसी की छह माह तो किसी की तीन माह से पेंशन अटकी है।
आईएसबीटी में शिफ्ट हो गया समग्र सेल का दफ्तर, 42 डिग्री तापमान में 15 से 20 किम चक्कर लगा रहीं बुजुर्ग महिलाएं
दरअसल सरकार सामाजिक न्याय विभाग की तरफ से गैस पीड़िताएं, अन्य विधवाओं, बुजुगों सहित करीब 60 से 65 हजार लोगों को हर माह 600 रुपए की पेंशन देता है। लेकिन विस्थापन के नाम पर इनकी पेंशन रोक दी जाती है। जबकि गैस पीड़त निराश्रित पेंशन भोगी पीड़ित महिला संघर्ष मोचाZ के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने बताया कि वे महिलाएं अपने ही घरों में निवास कर रही हैं। उनका विस्थापन कहीं नहीं हुआ है। इसी के सत्यापन के लिए बुजुर्ग परेशान हैं। जब विरोध करो तो कुछ पेंशन शुरू होती है।
हर माह होते हैं ये काम बाल कृष्ण नामदेव ने बताया कि गैस पीड़िताओं को हर माह पेंशन फॉर्म जमा करने, राष्ट्रीय परिवार सहायता केंद्र, संबल योजना के आवेदन करने होते हैं। कई बार बीपीएल पात्रता पचीर् के संबंध में भौतिक सत्यापन कराना होता है। पहले ये काम कमला पार्क पर हो जाते थे, अब इन कामों के लिए आईएसबीटी दफ्तर जाना होता है। अगर कमला पार्क पर ही कोई व्यवस्था हो जाए तो काफी अच्छा रहे। पेंशन के मामले में सामािजक न्याय विभाग के संयुक्त संचालक आरके सिंह से सम्पर्क करने का प्रयास किया लेकिन नहीं हो सका।
पेंशन के संबंध में अभी बजट प्राप्त नहीं हुआ है। दूसरी बात ये कि इस संबंध में नगर निगम की तरफ से सवेर् कराया था। जो बुजुर्ग या पेंशनधारक नहीं मिले उनको विस्थापित बताया है। इस संबंध में फिर से जांच चल रही है।
आरके सिंह, संयुक्त संचालक, सामाजिक न्याय विभाग
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– पहले था कमला पार्क पर, यहां आकर हर छोटे बड़े काम करा लिया करती थीं गैस पीड़ित बुजुर्ग महिलाएं, व अन्य, अब आना होता है आईएसबीटी तक, जनसुनवाई भी यहीं होती है
भोपाल
Published: April 18, 2022 07:41:44 pm
भोपाल. करोंद निवासी विधवा बंसती बाई की पेंशन जून 2021 से बंद है। घर में आय का कोई श्रोत नहीं है। बच्चे भी ध्यान नहीं देते। सामाजिक सुरक्षा विभाग से मिलने वाली 600 रुपए की पेंशन अटकने से जो मदद मिलती थी वो भी बंद हो गई। इस भरी गमीZ में परेशान बुजुर्ग विधवा को करोद से लेकर आईएसबीटी तक 15 से 20 किमी का चक्कर काटना पड़ रहा है। ऐशबाग चाड़क्यपुरी निवासी विधवा पुष्पा बाई भी इन्हीं के साथ चक्कर काटने को मजबूर हैं। इधर जिम्मेदारों ने सिर्फ विस्थापन का बताकर इनकी पेंशन रोक दी है। इसी के सत्यापन के लिए ये लोग आईएसबीटी कायार्लय के चक्कर काट रही हैं। ये दोनों विधवाएं अकेली नहीं हैं, बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनकी पेंशन अटकी हुई है। फर्क इतना है कि किसी की छह माह तो किसी की तीन माह से पेंशन अटकी है।
आईएसबीटी में शिफ्ट हो गया समग्र सेल का दफ्तर, 42 डिग्री तापमान में 15 से 20 किम चक्कर लगा रहीं बुजुर्ग महिलाएं
दरअसल सरकार सामाजिक न्याय विभाग की तरफ से गैस पीड़िताएं, अन्य विधवाओं, बुजुगों सहित करीब 60 से 65 हजार लोगों को हर माह 600 रुपए की पेंशन देता है। लेकिन विस्थापन के नाम पर इनकी पेंशन रोक दी जाती है। जबकि गैस पीड़त निराश्रित पेंशन भोगी पीड़ित महिला संघर्ष मोचाZ के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने बताया कि वे महिलाएं अपने ही घरों में निवास कर रही हैं। उनका विस्थापन कहीं नहीं हुआ है। इसी के सत्यापन के लिए बुजुर्ग परेशान हैं। जब विरोध करो तो कुछ पेंशन शुरू होती है।
हर माह होते हैं ये काम बाल कृष्ण नामदेव ने बताया कि गैस पीड़िताओं को हर माह पेंशन फॉर्म जमा करने, राष्ट्रीय परिवार सहायता केंद्र, संबल योजना के आवेदन करने होते हैं। कई बार बीपीएल पात्रता पचीर् के संबंध में भौतिक सत्यापन कराना होता है। पहले ये काम कमला पार्क पर हो जाते थे, अब इन कामों के लिए आईएसबीटी दफ्तर जाना होता है। अगर कमला पार्क पर ही कोई व्यवस्था हो जाए तो काफी अच्छा रहे। पेंशन के मामले में सामािजक न्याय विभाग के संयुक्त संचालक आरके सिंह से सम्पर्क करने का प्रयास किया लेकिन नहीं हो सका।
पेंशन के संबंध में अभी बजट प्राप्त नहीं हुआ है। दूसरी बात ये कि इस संबंध में नगर निगम की तरफ से सवेर् कराया था। जो बुजुर्ग या पेंशनधारक नहीं मिले उनको विस्थापित बताया है। इस संबंध में फिर से जांच चल रही है।
आरके सिंह, संयुक्त संचालक, सामाजिक न्याय विभाग
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