बिजनेसमैन ने लिखा:मौत के बाद काम बंद मत करना-मजदूरों का नुकसान होगा, कर दी देहदान | Businessman Dayaram Makhija set a big example for the society | Patrika News h3>
अपने कर्मचारियों की इतनी चिंता थी कि वे अपने परिजनों से कह गए थे कि मेरी मौत के बाद भी काम बंद नहीं करना
इंदौर
Published: April 18, 2022 06:26:33 pm
इंदौर. शहर के वरिष्ठ समाजसेवी और कंस्ट्रक्शन व्यवसायी दयाराम माखीजा ने समाज के लिए बड़ी मिसाल कायम की है। उन्होंने मौत के बाद अपनी देह दान करने की इच्छा व्यक्त की थी जिसे परिजनों ने पूरी कर दी. इतना ही नहीं, उन्हें अपने कर्मचारियों की इतनी चिंता थी कि वे अपने परिजनों से कह गए थे कि मेरी मौत के बाद भी काम बंद नहीं करना, वरना मजदूरों का नुकसान हो जाएगा। उन्होंने श्राद्धकर्म करने की बजाए उस राशि से किसी गरीब के इलाज कराने की बात कही। माखीजा ने अपने निधन से काफी पहले परिवार को एक पत्र लिखा था जिसमें ये बातें कही थीं।
बड़े दिलवाले माखीजा: आंखें—त्वचा भी दान की
85 साल के माखीजा का शनिवार को कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया था। मौत के बाद उनकी इच्छा के अनुसार उनकी आंखें डोनेट कर दी गईं. इसके साथ ही खंडवा मेडिकल कॉलेज को उनकी देह दान भी की गई। उनकी इच्छा के अनुसार देह पर तुलसी के पत्तों की माला पहनाकर मेडिकल कॉलेज जाकर दान कर दी।
उन्होंने मृत्यु पूर्व परिजनों को पत्र लिखा था. जानिए इसकी प्रमुख बातें— .
परिवार के सभी सदस्य व मित्रगणों को मेरा नमस्कार
हम सब जानते हैं कि मनुष्य माटी का पुतला है। जब तब उसमें सांस है तब तक ही वह एक मनुष्य होता है … मेरी जीवन-यात्रा की समाप्ति के बाद नीचे दिए गए बिंदुओं को ध्यान में रखेंगे तो मेरी आत्मा को शांति प्राप्त होगी।
जहां भी मेरी मौत हो अगर वह जगह घर से 10-12 घंटे से ज्यादा की दूरी पर हो, तो वहीं पर मेरा अंतिम संस्कार कर दें। मेरी मृत्यु पर किसी भी साइट का काम बंद ना करें, जिससे गरीबों का नुकसान न हो। यदि बंद करना आवश्यक हो तो मजदूरों को उनका पारिश्रमिक भुगतान करें। मेरे शरीर का कोई भी अंग जो किसी भी व्यक्ति के इलाज के लिए काम आ सकता है, उसे दान करें। ब्राह्मण को न बुलवाएं और न ही कोई क्रिया कर्म कराएं। पिण्ड दान न करें। दसवां, बारहवां, तेरहवां आदि कोई भी कर्म कांड नहीं कराते हुए गरीबों के लिए जो भी कर सके करें। मेरे किए हुए कर्म ही मेरे मोक्ष के पात्र होंगे। मेरा श्राद्ध न करें। श्राद्ध के दिन कोई गरीब जो किसी बीमारी से ग्रस्त हो, उसके इलाज के खर्च की व्यवस्था करवाएं। मेरे द्वारा लिखे गए शब्दों से अधिक भावों को समझें, भाव ही अधिक महत्वपूर्ण हैं।
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अपने कर्मचारियों की इतनी चिंता थी कि वे अपने परिजनों से कह गए थे कि मेरी मौत के बाद भी काम बंद नहीं करना
इंदौर
Published: April 18, 2022 06:26:33 pm
इंदौर. शहर के वरिष्ठ समाजसेवी और कंस्ट्रक्शन व्यवसायी दयाराम माखीजा ने समाज के लिए बड़ी मिसाल कायम की है। उन्होंने मौत के बाद अपनी देह दान करने की इच्छा व्यक्त की थी जिसे परिजनों ने पूरी कर दी. इतना ही नहीं, उन्हें अपने कर्मचारियों की इतनी चिंता थी कि वे अपने परिजनों से कह गए थे कि मेरी मौत के बाद भी काम बंद नहीं करना, वरना मजदूरों का नुकसान हो जाएगा। उन्होंने श्राद्धकर्म करने की बजाए उस राशि से किसी गरीब के इलाज कराने की बात कही। माखीजा ने अपने निधन से काफी पहले परिवार को एक पत्र लिखा था जिसमें ये बातें कही थीं।
बड़े दिलवाले माखीजा: आंखें—त्वचा भी दान की
85 साल के माखीजा का शनिवार को कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया था। मौत के बाद उनकी इच्छा के अनुसार उनकी आंखें डोनेट कर दी गईं. इसके साथ ही खंडवा मेडिकल कॉलेज को उनकी देह दान भी की गई। उनकी इच्छा के अनुसार देह पर तुलसी के पत्तों की माला पहनाकर मेडिकल कॉलेज जाकर दान कर दी।
उन्होंने मृत्यु पूर्व परिजनों को पत्र लिखा था. जानिए इसकी प्रमुख बातें— .
परिवार के सभी सदस्य व मित्रगणों को मेरा नमस्कार
हम सब जानते हैं कि मनुष्य माटी का पुतला है। जब तब उसमें सांस है तब तक ही वह एक मनुष्य होता है … मेरी जीवन-यात्रा की समाप्ति के बाद नीचे दिए गए बिंदुओं को ध्यान में रखेंगे तो मेरी आत्मा को शांति प्राप्त होगी।
जहां भी मेरी मौत हो अगर वह जगह घर से 10-12 घंटे से ज्यादा की दूरी पर हो, तो वहीं पर मेरा अंतिम संस्कार कर दें। मेरी मृत्यु पर किसी भी साइट का काम बंद ना करें, जिससे गरीबों का नुकसान न हो। यदि बंद करना आवश्यक हो तो मजदूरों को उनका पारिश्रमिक भुगतान करें। मेरे शरीर का कोई भी अंग जो किसी भी व्यक्ति के इलाज के लिए काम आ सकता है, उसे दान करें। ब्राह्मण को न बुलवाएं और न ही कोई क्रिया कर्म कराएं। पिण्ड दान न करें। दसवां, बारहवां, तेरहवां आदि कोई भी कर्म कांड नहीं कराते हुए गरीबों के लिए जो भी कर सके करें। मेरे किए हुए कर्म ही मेरे मोक्ष के पात्र होंगे। मेरा श्राद्ध न करें। श्राद्ध के दिन कोई गरीब जो किसी बीमारी से ग्रस्त हो, उसके इलाज के खर्च की व्यवस्था करवाएं। मेरे द्वारा लिखे गए शब्दों से अधिक भावों को समझें, भाव ही अधिक महत्वपूर्ण हैं।
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