राजस्थान में हिंदुत्व पर सियासत में कांग्रेस का नया दांव! रामनवमी के बाद हनुमान जयंती पर गहलोत सरकार का पूजा-पाठ h3>
जयपुर: देश में चल रही हिदुत्व की राजनीति के बीच राजस्थान की गहलोत सरकार भी चर्चा में है। वजह है गहलोत सरकार के देवस्थान विभाग की ओर से पहली बार मंदिरों में करवाए जा रहे धार्मिक आयोजन। इस बार देवस्थान विभाग की ओर से रामनवमी पर रामायण पाठ और हनुमान जयंती पर सुंदरकाण्ड पाठ करवाने के लिए आदेश जारी किए गए। इसके लिए बाकायदा मंदिरों की सूची भी जारी की गई। वहीं गहलोत सरकार के सभी मंत्री और विधायकों ने हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में अपने-अपने जिलों में हुए कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। अब गहलोत सरकार के इस कदम के सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते पर चलने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल गहलोत सरकार के इस कदम की सियासी चर्चा इसलिए भी हो रही है कि क्योंकि करौली हिंसा की घटना पर बीजेपी राज्य सरकार को घेरने की कोशिश में जुटी है। लिहाजा हनुमान जयंती और रामनवमी के कार्यक्रम सरकार की ओर से बीजेपी की हिंदुत्व की राजनीति का जवाब मानी जा रही है।
RSS को भी दिखाया आईना, बोले -हिंदू संकट में है
राजनीति के जानकारों का कहना है कि अगले साल होने वाले चुनाव को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इलेक्शन मोड पर आ गए है। गहलोत जहां बड़े वोट बैंक के तौर पर एससी-एसटी वर्ग को देख रहे है। वहीं हिंदूत्व की बात करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS के खिलाफ डूंगरपुर में बयान देकर उन्होंने साफ कर दिया है कि वो अब बीजेपी और आरएएस को हिंदू वोटबैंक के बल पर जीतने नहीं देंगे।
दरअसल गहलोत ने डूंगरपुर जनसभा में कहा कि आरएसएस कभी सद्भावना की बात नहीं करता। हमेशा पीछे रहकर केवल भाजपा को जिताने के लिए काम करता है। ऐसा है तो वह सीधे राजनीतिक पार्टी बन जाए और भाजपा को अपने में मर्ज कर लें। इसके बाद वह विचारधारा के साथ कांग्रेस से मुकाबला करे। गहलोत ने कहा कि भले ही केंद्र में कांग्रेस सत्ता में नहीं है लेकिन हमारी विचारधारा में दम है। जबकि आरएसएस पीछे रहकर राजनीति करती है और ध्रुवीकरण करके ही चुनाव जिताती आई है।
गहलोत के मंत्री प्रमोद भाया का भगवा झंडा हाथों में लेकर पदयात्रा करना भी चर्चा में
उल्लेखनीय है कि जहां प्रदेश में गहलोत सरकार की ओर से करवाए जा रहे रामायण पाठ और सुदंरकाण्ड पाठ को चर्चा है। वहीं गहलोत सरकार के मंत्रियों का भी धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होना सुर्खियां बटोर रहा है। हनुमान जयंती पर प्रदेश के कई जिलों में हुए कार्यक्रमों में कांग्रेस नेता- मंत्री के शामिल होने के दौरान गहलोत सरकार के गोपालन और खान मंत्री प्रमोद जैन भाया का बारां जिले में हुआ कार्यक्रम भी चर्चा में रहा।
यहां बारां जिले में प्रमोद जैन भाया ने हाथों में भगवा झंडा लेकर अपनी पत्नी के साथ 10 किलोमीटर की यात्रा की। मीडिया रिपोटर्स के अनुसार इस साल बारां जिले में यह कार्यक्रम पहले से ज्यादा भव्य रहा।
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राजनीति के जानकारों का कहना है कि अगले साल होने वाले चुनाव को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इलेक्शन मोड पर आ गए है। गहलोत जहां बड़े वोट बैंक के तौर पर एससी-एसटी वर्ग को देख रहे है। वहीं हिंदूत्व की बात करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS के खिलाफ डूंगरपुर में बयान देकर उन्होंने साफ कर दिया है कि वो अब बीजेपी और आरएएस को हिंदू वोटबैंक के बल पर जीतने नहीं देंगे।
दरअसल गहलोत ने डूंगरपुर जनसभा में कहा कि आरएसएस कभी सद्भावना की बात नहीं करता। हमेशा पीछे रहकर केवल भाजपा को जिताने के लिए काम करता है। ऐसा है तो वह सीधे राजनीतिक पार्टी बन जाए और भाजपा को अपने में मर्ज कर लें। इसके बाद वह विचारधारा के साथ कांग्रेस से मुकाबला करे। गहलोत ने कहा कि भले ही केंद्र में कांग्रेस सत्ता में नहीं है लेकिन हमारी विचारधारा में दम है। जबकि आरएसएस पीछे रहकर राजनीति करती है और ध्रुवीकरण करके ही चुनाव जिताती आई है।
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उल्लेखनीय है कि जहां प्रदेश में गहलोत सरकार की ओर से करवाए जा रहे रामायण पाठ और सुदंरकाण्ड पाठ को चर्चा है। वहीं गहलोत सरकार के मंत्रियों का भी धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होना सुर्खियां बटोर रहा है। हनुमान जयंती पर प्रदेश के कई जिलों में हुए कार्यक्रमों में कांग्रेस नेता- मंत्री के शामिल होने के दौरान गहलोत सरकार के गोपालन और खान मंत्री प्रमोद जैन भाया का बारां जिले में हुआ कार्यक्रम भी चर्चा में रहा।
यहां बारां जिले में प्रमोद जैन भाया ने हाथों में भगवा झंडा लेकर अपनी पत्नी के साथ 10 किलोमीटर की यात्रा की। मीडिया रिपोटर्स के अनुसार इस साल बारां जिले में यह कार्यक्रम पहले से ज्यादा भव्य रहा।
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