Delhi Corona Update : दिल्ली में कोरोना की रफ्तार देख ऑक्सीजन बेड की तैयारी, सरकार ले सकती है यह बड़ा फैसला h3>
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में 24 घंटे के भीतर कोरोना के 366 नए मरीज बढ़ गए हैं। गुरुवार को पॉजिटिविटी रेट 2.49 प्रतिशत था जो शुक्रवार को 3.95% पहुंच गया। इससे साफ है कि संक्रमण तेजी से फैल रहा है। राजधानी में ऐक्टिव केस की संख्या 1,000 के आंकड़े को पार कर गई है। दिल्ली में कोरोना फैलता है तो इसका चौतरफा असर दिख सकता है क्योंकि यहां से कई राज्यों के लिए लोग आते जाते हैं। हालांकि सीएम अरविंद केजरीवाल ने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा है कि हालात नियंत्रण में हैं और राजधानी में बड़ी लहर के खतरे से निपटने के लिए 65,000 बेड तैयार किए जा रहे हैं। केजरीवाल ने कहा कि सरकार हालात की निगरानी कर रही है और ज्यादातर मामलों में अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं होती है। CM ने साफ कहा है कि अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने की रफ्तार नहीं बढ़ी है, ऐसे में पैनिक होने की जरूरत नहीं है। फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है। इस बीच, खबर यह है कि कोरोना की रफ्तार को देखते हुए दिल्ली सरकार कुछ कोविड-पाबंदियों को फिर से लागू कर सकती है।
हर वॉर्ड में 100 ऑक्सीजन बेड की तैयारी
सरकार की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अगर संक्रमण फैलता है तो सरकार ने दो हफ्ते के भीतर दिल्ली के हर वॉर्ड में 100 ऑक्सीजन बेड बढ़ाने की तैयारी कर ली है। ऐसे हालात में राज्य सरकार की तैयारी 65 हजार बेड की है जिससे किसी भी व्यक्ति को इमर्जेंसी में बेड की कमी न हो। फिलहाल दिल्ली में 37,000 कोविड बेड और 10,594 कोविड आईसीयू बेड उपलब्ध हैं। गनीमत यह है कि राजधानी में एक्सई वैरिएंट का कोई मामला सामने नहीं आया है। सरकार ने 300 सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे हैं।
दिल्ली के अस्पतालों में 27 फीसदी कोविड मरीज बच्चे हैं
स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि हमने सभी अस्पतालों को अलर्ट पर रहने की सलाह दी है। अगर जरूरत पड़ी तो RTPCR टेस्टिंग भी बढ़ाई जाएगी। दरअसल, स्कूल खुलने पर तेजी से बच्चे कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। सरकारी आंकड़ों से साफ है कि कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या काफी कम है। फिलहाल दिल्ली में यह ऐक्टिव केस का 0.52 फीसदी है। यह जरूर चिंता की बात है कि दिल्ली के अस्पतालों में 27 प्रतिशत कोविड पेशेंट्स बच्चे हैं।
दिल्ली कोरोना ऐप के डेटा के अनुसार राजधानी के अस्पतालों में इस समय 51 कोविड पेशेंट्स भर्ती हैं। इनमें से कम से कम 14 (27 प्रतिशत) बच्चे हैं। 12 बच्चे कलावती सरन बाल चिकित्सालय में, एक इंद्रप्रस्थ अपोलो और एक मधुकर रेनबो चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल में भर्ती है। कलावती सरन अस्पताल के सीनियर प्रोफेसर डॉ. श्रीकांत बसु ने कहा कि आमतौर पर बच्चों में कोविड से गंभीर बीमारी नहीं होती है और ज्यादातर घर पर ही ठीक हो जाते हैं।
सरकार लेगी यह फैसला
दिल्ली सरकार कोरोना के खतरे को रोकने के लिए कुछ कोविड पाबंदियां फिर से लागू कर सकती है। इसके तहत इनडोर सार्वजनिक स्थलों में प्रवेश के लिए फेस मास्क पहनना अनिवार्य किया जा सकता है। मास्क पहनना सुनिश्चित करने के लिए फाइन का नियम भी फिर से लागू किया जा सकता है। दरअसल, मास्क समेत कई पाबंदियों से छूट मिलने के बाद बाजारों में लोग लापरवाह दिख रहे हैं।
फाइन नहीं होने से लोग बेपरवाह
सरकार में शामिल लोगों का कहना है कि मास्क न पहनने पर 500 रुपये का फाइन हटने से लोग बेपरवाह हो गए हैं और अब इसे फिर से लागू करने के लिए मंत्रणा चल रही है। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, ‘सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनना अब भी आपकी और आपके आसपास के लोगों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। टीकाकरण और संक्रमण के कारण इस समय ज्यादातर लोग बेहतर और सुरक्षित स्थिति में हैं।’ बताया जा रहा है कि मास्क न पहनने पर फाइन और सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनना अनिवार्य जैसे नियम जल्द ही लागू किए जा सकते हैं। दिल्ली अभी ऑरेंज जोन में है और आगे जरूरत पड़ी तो पाबंदियां बढ़ सकती हैं।
डीडीएमए की बैठक 20 अप्रैल को होनी है और इस दौरान इन सुझावों पर विचार किया जा सकता है। वैसे दिल्ली अकेला ऐसा शहर नहीं है जिसने मास्क पहनने से छूट दे दी है। 1 अप्रैल को देश के ज्यादातर हिस्से में मास्क अब अनिवार्य नहीं रहा।
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हर वॉर्ड में 100 ऑक्सीजन बेड की तैयारी
सरकार की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अगर संक्रमण फैलता है तो सरकार ने दो हफ्ते के भीतर दिल्ली के हर वॉर्ड में 100 ऑक्सीजन बेड बढ़ाने की तैयारी कर ली है। ऐसे हालात में राज्य सरकार की तैयारी 65 हजार बेड की है जिससे किसी भी व्यक्ति को इमर्जेंसी में बेड की कमी न हो। फिलहाल दिल्ली में 37,000 कोविड बेड और 10,594 कोविड आईसीयू बेड उपलब्ध हैं। गनीमत यह है कि राजधानी में एक्सई वैरिएंट का कोई मामला सामने नहीं आया है। सरकार ने 300 सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे हैं।
दिल्ली के अस्पतालों में 27 फीसदी कोविड मरीज बच्चे हैं
स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि हमने सभी अस्पतालों को अलर्ट पर रहने की सलाह दी है। अगर जरूरत पड़ी तो RTPCR टेस्टिंग भी बढ़ाई जाएगी। दरअसल, स्कूल खुलने पर तेजी से बच्चे कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। सरकारी आंकड़ों से साफ है कि कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या काफी कम है। फिलहाल दिल्ली में यह ऐक्टिव केस का 0.52 फीसदी है। यह जरूर चिंता की बात है कि दिल्ली के अस्पतालों में 27 प्रतिशत कोविड पेशेंट्स बच्चे हैं।
दिल्ली कोरोना ऐप के डेटा के अनुसार राजधानी के अस्पतालों में इस समय 51 कोविड पेशेंट्स भर्ती हैं। इनमें से कम से कम 14 (27 प्रतिशत) बच्चे हैं। 12 बच्चे कलावती सरन बाल चिकित्सालय में, एक इंद्रप्रस्थ अपोलो और एक मधुकर रेनबो चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल में भर्ती है। कलावती सरन अस्पताल के सीनियर प्रोफेसर डॉ. श्रीकांत बसु ने कहा कि आमतौर पर बच्चों में कोविड से गंभीर बीमारी नहीं होती है और ज्यादातर घर पर ही ठीक हो जाते हैं।
सरकार लेगी यह फैसला
दिल्ली सरकार कोरोना के खतरे को रोकने के लिए कुछ कोविड पाबंदियां फिर से लागू कर सकती है। इसके तहत इनडोर सार्वजनिक स्थलों में प्रवेश के लिए फेस मास्क पहनना अनिवार्य किया जा सकता है। मास्क पहनना सुनिश्चित करने के लिए फाइन का नियम भी फिर से लागू किया जा सकता है। दरअसल, मास्क समेत कई पाबंदियों से छूट मिलने के बाद बाजारों में लोग लापरवाह दिख रहे हैं।
फाइन नहीं होने से लोग बेपरवाह
सरकार में शामिल लोगों का कहना है कि मास्क न पहनने पर 500 रुपये का फाइन हटने से लोग बेपरवाह हो गए हैं और अब इसे फिर से लागू करने के लिए मंत्रणा चल रही है। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, ‘सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनना अब भी आपकी और आपके आसपास के लोगों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। टीकाकरण और संक्रमण के कारण इस समय ज्यादातर लोग बेहतर और सुरक्षित स्थिति में हैं।’ बताया जा रहा है कि मास्क न पहनने पर फाइन और सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनना अनिवार्य जैसे नियम जल्द ही लागू किए जा सकते हैं। दिल्ली अभी ऑरेंज जोन में है और आगे जरूरत पड़ी तो पाबंदियां बढ़ सकती हैं।
डीडीएमए की बैठक 20 अप्रैल को होनी है और इस दौरान इन सुझावों पर विचार किया जा सकता है। वैसे दिल्ली अकेला ऐसा शहर नहीं है जिसने मास्क पहनने से छूट दे दी है। 1 अप्रैल को देश के ज्यादातर हिस्से में मास्क अब अनिवार्य नहीं रहा।