Maharashtra Politics: राज, राउत, पवार…तीन किरदार, बीजेपी की ‘राज’नीति महाराष्ट्र को नया मोड़ देने जा रही है?

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Maharashtra Politics: राज, राउत, पवार…तीन किरदार, बीजेपी की ‘राज’नीति महाराष्ट्र को नया मोड़ देने जा रही है?

Maharashtra Politics: राज, राउत, पवार…तीन किरदार, बीजेपी की ‘राज’नीति महाराष्ट्र को नया मोड़ देने जा रही है?

मुंबई: ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र(Maharashtra) की सियासत में इन दिनों बदले की आग लगी हुई है। हर राजनीतिक पार्टी चाहे वह सत्ता पक्ष से जुड़ी हो या फिर विपक्ष से, एक दूसरे पर आग उगलने में लगी हुई है। दोनों ही तरफ से एक दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप शुरू हैं। राज्य में महाविकास अघाड़ी सरकार(Mahavikas Aghadi Government) की स्थापना के बाद से ही यह लड़ाई पहले ठाकरे सरकार और महाराष्ट्र बीजेपी(BJP) के बीच में थी। लेकिन अब इस लड़ाई में एक और नाम जुड़ गया है और वह हैं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे(Raj Thackeray)। हाल में राज ठाकरे ने एक रैली में संबोधन के दौरान एमवीए के संयोजक शरद पवार(Sharad Pawar) पर कई गंभीर आरोप लगाए। इन आरोपों का जवाब भी शरद पवार की तरफ से उतनी ही आक्रामकता से दिया गया। एक तरफ जहां महाराष्ट्र सरकार के बचाव में शिवसेना के सांसद संजय राउत हमेशा मीडिया में बने रहते हैं वहीं पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस(Devendra Fadnavis) से लेकर बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई के कई आला नेता भी इस काम में उतनी ही तल्लीनता से जुटे हुए हैं।

सरकार पर कितना संकट?
गाहे-बगाहे इस तरह की खबरें भी सियासी हलके से निकल कर आती हैं कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की सरकार गिर जाएगी। यह सवाल इसलिए भी उठाया जाता है क्योंकि महाविकास अघाड़ी के कई नेता ईडी के राडार पर हैं। वहीं महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया। उन्हें इन आरोपों की वजह से कुर्सी भी गंवानी पड़ी है। इसी फेहरिस्त में दूसरा नाम महाराष्ट्र के कैबिनेट मिनिस्टर नवाब मलिक का है। उन्हें दाऊद इब्राहिम मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है। हालांकि अभी तक उन्हें मंत्री पद से हटाया नहीं गया है। लेकिन उनके विभागों की जिम्मेदारी अन्य मंत्रियों को सौंप दी गई है। मलिक को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के लिए बीजेपी ने बीते माह सम्पन्न हुए अधिवेशन सत्र के दौरान विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया था। हालांकि विपक्ष के हंगामे का सरकार पर कोई खास असर नहीं हुआ। ठाकरे सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया कि किसी भी कीमत पर मलिक का इस्तीफा नहीं लिया जाएगा।

बीजेपी के पास बहुमत नहीं
महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार को गिराने के लिए पहले दिन से ही बीजेपी जोर लगा रही है। इस बाबत बीजेपी के नेताओं ने समय-समय पर भविष्यवाणियां भी करी थीं। लेकिन समय बीतने के साथ-साथ उनकी यह भविष्यवाणियां भी गलत साबित हुईं। फिलहाल बीजेपी के नेताओं ने अब सरकार के गिरने संबंधी डेडलाइन देने का काम बंद कर दिया है। बीजेपी का यह कहना है कि शिवसेना ने उनके साथ धोखा किया है और पीठ में खंजर घोंपकर यह सरकार बनाई है। भले ही महाराष्ट्र सरकार के दो मंत्री मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामले में जेल की सलाखों के पीछे हैं। बावजूद इसके महाविकास अघाड़ी सरकार पर कोई खास असर पड़ता हुआ नजर नहीं आ रहा है।

इसकी सबसे अहम वजह यह है कि सरकार के पास अभी भी 170 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है। इस बात को एमवीए के कई नेताओं ने बार-बार दोहराया है। महाराष्ट्र बीजेपी के नेता भी इस बात को भलीभांति समझते हैं कि बिना बहुमत के आंकड़े के उनके लिए सरकार बना पाना असंभव है। 288 विधायकों वाली महाराष्ट्र के विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 145 है। इस चुनाव में साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जहां 105 सीटें मिली थीं। वहीं महाविकास अघाड़ी सरकार के घटक दल शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थी।

राज ठाकरे के जरिये सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटी बीजेपी
सीटों के लिहाज से बीजेपी भले ही महाराष्ट्र की नंबर वन पार्टी हो लेकिन सत्ता की दहलीज से अभी वह काफी दूर है। यह फासला मिटाने के लिए बीजेपी को शिवसेना जैसा ही कोई दूसरा मजबूत दोस्त चाहिए। फिलहाल महाराष्ट्र में बीजेपी और एमएनएस के गठबंधन के बीच चर्चा जोर शोर से चल रही है। हालांकि इस मसले पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने कहा है कि अभी तक ऐसा कोई भी प्रस्ताव एमएनएस की तरफ से नहीं आया है। जब तक प्रस्ताव नहीं आता तब तक ऐसा कुछ नहीं हो सकता। हाल में महाराष्ट्र के कई जिलों में नगर पंचायत के चुनाव संपन्न हुए हैं। जिनमें बीजेपी को अच्छी खासी सीटें मिली हैं। लेकिन जब इस शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस को मिली हुई सीटों से जोड़कर देखा जाता है तो बीजेपी उनके सामने कहीं भी नहीं ठहरती।

इसी वजह से अब बीजेपी ने अपने लिए कुछ अन्य सहयोगी दलों को भी तलाशना शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र में राज ठाकरे भी बीजेपी जैसी बड़ी और मजबूत पार्टी की कश्ती में सवार होकर अपना खोता हुआ जनाधार बचाने की जुगत में लगे हुए हैं। कल तक मराठी मानुस की राजनीति करने वाले राज ठाकरे अब हिंदुत्व का चोला ओढ़ चुके हैं। अब सिर्फ मराठी मानुस ही नहीं बल्कि हिंदुओं के हित की बात उन्होंने शुरू की है। इसके लिए बाकायदा उन्होंने मस्जिदों से लाउडस्पीकर को हटाने का अल्टीमेटम भी दे दिया है। उनका कहना है कि अगर मस्जिदों पर लाउडस्पीकर में अजान सुनाई जाएगी तो वह भी मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा सुनाएंगे।

ईडी के निशाने पर संजय राउत
शिवसेना के सांसद संजय राउत प्रवर्तन निदेशालय के राडार पर हैं। उनके करीबी प्रवीण राउत को गिरफ्तार किया गया है। इतना ही नहीं संजय राउत की बेटी की शादी के बाद खाना बनाने वालों तक से ईडी के अधिकारियों ने पूछताछ की थी। इस बाबत राउत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर आरोप लगाए थे। इतना ही नहीं उन्होंने इस संबंध में वेंकैया नायडू को पत्र भी लिखा था। एक तरफ महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी से जुड़े नेताओं पर केंद्रीय एजेंसियों की तरफ से रेड की कार्रवाई शुरू है। दूसरी तरफ महाराष्ट्र सरकार भी बीजेपी नेताओं को अलग अलग तरीके से घेरने में जुटी हुई है। जिसमें केंद्रीय मंत्री नारायण राणे, पूर्व सांसद किरीट सोमैया, बीजेपी नेता मोहित कंबोज, महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर और खुद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का नाम शामिल है।

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