वन और पीसीबी के अधिकारियों ने एनजीटी से कर दी ऐसी सिफारिश कि प्यास से मर जाएंगे बाघ और अन्य जंगली जानवर | tiger: Joint committee submitted report to NGT | Patrika News h3>
tiger: कलियासोत मामले में एनजीटी द्वारा गठित समिति ने रिपोर्ट पेश की, लेकिन सिफारिशें आपत्तिजनक, याचिकाकर्ता ने उठाए सवाल
भोपाल
Updated: April 14, 2022 12:05:50 pm
भोपाल. कलियासोत मामले की जांच के लिए एनजीटी द्वारा गठित संयुक्त समिति ने डैम के चारों ओर 10 मीटर दायरे में कांटेदार फेंसिंग लगाने की सिफारिश की है। समिति का तर्क है कि इससे यहां पाए जाने वाले मगरमच्छ और घडि़याल की अंडे देने वाली जगहों का संरक्षण हो सकेगा। लेकिन याचिकाकर्ता ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि समिति ने यह भी ध्यान नहीं रखा कि यहां बाघ और वन्य जीवों का विचरण भी होता है और वे पानी पीने के लिए कलियासोत पर ही निर्भर हैं। यदि फेंसिंग लग जाएगी तो वे पानी कैसे पिएंगे। खास बात यह भी है कि समिति में वन विभाग के अधिकारी भी शामिल थे और रिपोर्ट में यहां बाघ विचरण की बात भी कही गई है।
कलियासोत में फेंसिंग लग गई तो कहां पानी पिएंगे बाघ
एनजीटी सेंट्रल जोन बेंच में बुधवार को डॉ सुभाष सी पांडे और राशिद नूर खान द्वारा लगाए गए केरवा-कलियासोत संबंधी प्रकरणों की सुनवाई हुई। इस दौरान समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की। समिति में डीएफओ आलोक पाठक, एमपीपीसीबी के रीजनल अधिकारी ब्रजेश शर्मा, एप्को के साइंटिफिक ऑफिसर डॉ आरके जैन और जल संसाधन विभाग के एसडीओ अविनाश साहू शामिल थे। समिति ने अपनी रिपोर्ट में तीन सिफारिशें की हैं। पहली सिफारिश कांटेदार फेंसिंग लगाने की है। दूसरी जलाशय के 33 मीटर बफर जोन में मानवीय गतिविधियां प्रतिबंधित कर उसे सुरक्षित करने की है और तीसरी बफर जोन में सघन पौधारोपण करने की है।
150 हेक्टेयर बॉटनीकल गार्डन को भूले सुनवाई के दौरान डॉ सुभाष पांडे ने कहा कि मास्टर प्लान में कलियासोत के आसपास 150 हेक्टेयर में बॉटनीकल गार्डन विकसित करने की बात कही गई है। लेकिन समिति ने इसे बिल्कुल भुला दिया, रिपोर्ट में इसके बारे में कोई बात नहीं कही गई है। इसके साथ एफटीएल से 33 मीटर दायरे में सभी निर्माण हटाने के बारे में भी कुछ नहीं कहा गया है।
चार सुनवाई हो चुकी लेकिन अभी तक किसी ने नहीं दिया जवाब एनजीटी में इस संबंध में प्रकरण 2 फरवरी 2022 को लगाया गया था। इसमें मध्यप्रदेश शासन के साथ वन विभाग, टीएंडसीपी, नगर निगम आदि सहित 9 विभागों को पक्षकार बनाया गया था। इन्हें नोटिस भी जारी हुए थे। लेकिन चार बार सुनवाई हो चुकी है अभी तक किसी ने भी जवाब नहीं दिया। इस पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि एनजीटी एक्ट के अनुसार 6 माह में प्रकरण का निराकरण होना चाहिए लेकिन तीन महीने तक कोई जवाब ही नहीं दे रहा है। इसके बाद शासन की ओर से चार दिन का समय और देने की मांग की गई। इसके बाद ट्रिब्यूनल ने एक माह का समय देते हुए अगली सुनवाई 13 मई को तय की है।
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tiger: कलियासोत मामले में एनजीटी द्वारा गठित समिति ने रिपोर्ट पेश की, लेकिन सिफारिशें आपत्तिजनक, याचिकाकर्ता ने उठाए सवाल
भोपाल
Updated: April 14, 2022 12:05:50 pm
भोपाल. कलियासोत मामले की जांच के लिए एनजीटी द्वारा गठित संयुक्त समिति ने डैम के चारों ओर 10 मीटर दायरे में कांटेदार फेंसिंग लगाने की सिफारिश की है। समिति का तर्क है कि इससे यहां पाए जाने वाले मगरमच्छ और घडि़याल की अंडे देने वाली जगहों का संरक्षण हो सकेगा। लेकिन याचिकाकर्ता ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि समिति ने यह भी ध्यान नहीं रखा कि यहां बाघ और वन्य जीवों का विचरण भी होता है और वे पानी पीने के लिए कलियासोत पर ही निर्भर हैं। यदि फेंसिंग लग जाएगी तो वे पानी कैसे पिएंगे। खास बात यह भी है कि समिति में वन विभाग के अधिकारी भी शामिल थे और रिपोर्ट में यहां बाघ विचरण की बात भी कही गई है।
कलियासोत में फेंसिंग लग गई तो कहां पानी पिएंगे बाघ
एनजीटी सेंट्रल जोन बेंच में बुधवार को डॉ सुभाष सी पांडे और राशिद नूर खान द्वारा लगाए गए केरवा-कलियासोत संबंधी प्रकरणों की सुनवाई हुई। इस दौरान समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की। समिति में डीएफओ आलोक पाठक, एमपीपीसीबी के रीजनल अधिकारी ब्रजेश शर्मा, एप्को के साइंटिफिक ऑफिसर डॉ आरके जैन और जल संसाधन विभाग के एसडीओ अविनाश साहू शामिल थे। समिति ने अपनी रिपोर्ट में तीन सिफारिशें की हैं। पहली सिफारिश कांटेदार फेंसिंग लगाने की है। दूसरी जलाशय के 33 मीटर बफर जोन में मानवीय गतिविधियां प्रतिबंधित कर उसे सुरक्षित करने की है और तीसरी बफर जोन में सघन पौधारोपण करने की है।
150 हेक्टेयर बॉटनीकल गार्डन को भूले सुनवाई के दौरान डॉ सुभाष पांडे ने कहा कि मास्टर प्लान में कलियासोत के आसपास 150 हेक्टेयर में बॉटनीकल गार्डन विकसित करने की बात कही गई है। लेकिन समिति ने इसे बिल्कुल भुला दिया, रिपोर्ट में इसके बारे में कोई बात नहीं कही गई है। इसके साथ एफटीएल से 33 मीटर दायरे में सभी निर्माण हटाने के बारे में भी कुछ नहीं कहा गया है।
चार सुनवाई हो चुकी लेकिन अभी तक किसी ने नहीं दिया जवाब एनजीटी में इस संबंध में प्रकरण 2 फरवरी 2022 को लगाया गया था। इसमें मध्यप्रदेश शासन के साथ वन विभाग, टीएंडसीपी, नगर निगम आदि सहित 9 विभागों को पक्षकार बनाया गया था। इन्हें नोटिस भी जारी हुए थे। लेकिन चार बार सुनवाई हो चुकी है अभी तक किसी ने भी जवाब नहीं दिया। इस पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि एनजीटी एक्ट के अनुसार 6 माह में प्रकरण का निराकरण होना चाहिए लेकिन तीन महीने तक कोई जवाब ही नहीं दे रहा है। इसके बाद शासन की ओर से चार दिन का समय और देने की मांग की गई। इसके बाद ट्रिब्यूनल ने एक माह का समय देते हुए अगली सुनवाई 13 मई को तय की है।
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