नेशनल स्टोन स्कल्पचर कैम्प ‘सृजन—22’ का समापन | National Stone Sculpture Camp ‘Srijan-22’ concludes | Patrika News h3>
30 से अधिक कलाकृतियां की गई प्रदर्शित
जयपुर
Published: April 11, 2022 08:07:40 pm
जयपुर. पूर्णिमा यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ डिजाइन एंड आर्ट्स की ओर से आयोजित दस दिवसीय नेशनल स्टोन स्कल्पचर कैम्प ‘सृजन—22’ का भव्य समापन हुआ। यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट डॉ. सुरेश चंद्र पाधे समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर कैम्प के 10 दिनों के दौरान बनाई गई 30 से अधिक छोटी—बड़ी कलाकृतियां प्रदर्शित की गई, जो कलाकारों व स्टूडेंट्स के शिल्प कौशल को साफ दर्शा रही थी। इस दौरान फाइन आर्ट डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स द्वारा शिल्प कला पर बनाई गई नृत्य नाटिका की प्रस्तुति की गई, जिसे पूजा सोनी और रानू राज व द्वारा निर्देशित किया गया। इस संगीतमय प्रस्तुति के जरिए कला के विभिन्न आयामों को बेहद खूबसूरती के साथ प्रदर्शित किया गया। फिल्म व एनिमेशन डिपार्टमेंट की ओर से 10 दिवसीय कैम्प की झलकियों को एक शार्ट फिल्म के जरिए दर्शाया गया। इस अवसर पर शिल्पकार हरिराम कुम्भावत और कवि चित्रकार अमित कल्ला, पूर्णिमा यूनिवर्सिटी के प्रो प्रेसीडेंट डॉ. मनोज गुप्ता, रजिस्ट्रार डॉ. चांदनी कृपलानी, डॉ. बबीता कुमारी जैन, आर्किटेक्ट सौरभ शर्मा फाइन आर्ट संकाय के अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र शर्मा तथा शिविर संयोजक सुनील कुमावत भी उपस्थित थे।
नेशनल स्टोन स्कल्पचर कैम्प ‘सृजन—22’ का समापन
मुख्य अतिथि डॉ. सुरेश चंद्र पाधे एवं अन्य अतिथियों द्वारा सभी कलाकारों, उनके सहायकों और प्रतिभागी स्टूडेंट्स को प्रमाण पत्र तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस शिविर में तकरीबन 20 शिल्पकारों का मार्गदर्शन रहा। इसमें राजस्थान यूनिवर्सिटी का कला संकाय, राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट, आईआईएस यूनिवर्सिटी, एमएस यूनिवर्सिटी वडोदरा, दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट, अभिरुचि कला अकादमी देवास, सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट मुंबई, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, बीपी कॉलेज पुडुचेरी, शकुंतला यूनिवर्सिटी लखनऊ सहित देशभर से कला संस्थानों की भागीदारी रही। शिल्पकारों में बड़ौदा, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान का प्रतिनिधित्व रहा।
शिविर संयोजक सुनील कुमार ने बताया कि सृजन 22′ अपने आप में शिल्प कला विधा के सूक्ष्म व विराट भावों को गहराई से को बेहतर जानने, समझने और उसके मर्म को संयोजित करने का एक अन्य उपकरण साबित हुआ है और भविष्य में भी इस किस्म के रचनात्मक और अकादमिक आयोजन किए जाएंगे। कैम्प के तहत विभिन्न आकारों के पत्थरों को तराश कर कलात्मक शिल्प गढ़े गए, जो कला संकाय की अकादमिक गतिविधि का हिस्सा बने।
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30 से अधिक कलाकृतियां की गई प्रदर्शित
जयपुर
Published: April 11, 2022 08:07:40 pm
जयपुर. पूर्णिमा यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ डिजाइन एंड आर्ट्स की ओर से आयोजित दस दिवसीय नेशनल स्टोन स्कल्पचर कैम्प ‘सृजन—22’ का भव्य समापन हुआ। यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट डॉ. सुरेश चंद्र पाधे समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर कैम्प के 10 दिनों के दौरान बनाई गई 30 से अधिक छोटी—बड़ी कलाकृतियां प्रदर्शित की गई, जो कलाकारों व स्टूडेंट्स के शिल्प कौशल को साफ दर्शा रही थी। इस दौरान फाइन आर्ट डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स द्वारा शिल्प कला पर बनाई गई नृत्य नाटिका की प्रस्तुति की गई, जिसे पूजा सोनी और रानू राज व द्वारा निर्देशित किया गया। इस संगीतमय प्रस्तुति के जरिए कला के विभिन्न आयामों को बेहद खूबसूरती के साथ प्रदर्शित किया गया। फिल्म व एनिमेशन डिपार्टमेंट की ओर से 10 दिवसीय कैम्प की झलकियों को एक शार्ट फिल्म के जरिए दर्शाया गया। इस अवसर पर शिल्पकार हरिराम कुम्भावत और कवि चित्रकार अमित कल्ला, पूर्णिमा यूनिवर्सिटी के प्रो प्रेसीडेंट डॉ. मनोज गुप्ता, रजिस्ट्रार डॉ. चांदनी कृपलानी, डॉ. बबीता कुमारी जैन, आर्किटेक्ट सौरभ शर्मा फाइन आर्ट संकाय के अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र शर्मा तथा शिविर संयोजक सुनील कुमावत भी उपस्थित थे।
नेशनल स्टोन स्कल्पचर कैम्प ‘सृजन—22’ का समापन
मुख्य अतिथि डॉ. सुरेश चंद्र पाधे एवं अन्य अतिथियों द्वारा सभी कलाकारों, उनके सहायकों और प्रतिभागी स्टूडेंट्स को प्रमाण पत्र तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस शिविर में तकरीबन 20 शिल्पकारों का मार्गदर्शन रहा। इसमें राजस्थान यूनिवर्सिटी का कला संकाय, राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट, आईआईएस यूनिवर्सिटी, एमएस यूनिवर्सिटी वडोदरा, दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट, अभिरुचि कला अकादमी देवास, सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट मुंबई, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, बीपी कॉलेज पुडुचेरी, शकुंतला यूनिवर्सिटी लखनऊ सहित देशभर से कला संस्थानों की भागीदारी रही। शिल्पकारों में बड़ौदा, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान का प्रतिनिधित्व रहा।
शिविर संयोजक सुनील कुमार ने बताया कि सृजन 22′ अपने आप में शिल्प कला विधा के सूक्ष्म व विराट भावों को गहराई से को बेहतर जानने, समझने और उसके मर्म को संयोजित करने का एक अन्य उपकरण साबित हुआ है और भविष्य में भी इस किस्म के रचनात्मक और अकादमिक आयोजन किए जाएंगे। कैम्प के तहत विभिन्न आकारों के पत्थरों को तराश कर कलात्मक शिल्प गढ़े गए, जो कला संकाय की अकादमिक गतिविधि का हिस्सा बने।
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