credit link subsidy स्कीम से आवास के सपनों पर ब्रेक | Break on dreams of housing with credit link subsidy scheme | Patrika News h3>
– पिछले तीन चार वर्षों में सवा लाख लोगों ने लिया इसका लाभ
– बेघरों को घर खरीदने ढाई लाख रुपए तक सब्सिडी देती है सरकार
भोपाल
Published: April 10, 2022 10:13:03 pm
भोपाल। credit link subsidy स्कीम (सीएलएसएस) पर ब्रेक लग गया है। इसमें केन्द्र सरकार ने बजट देना बंद कर दिया है, जिससे इस लिए हितग्राहियों से अब आवेदन भी नहीं लिए जा रहे हैं। इस स्कीम के तहत 6 लाख रुपए वार्षिक आय वाले बेघर लोगों के घर का सपना साकार होते थे। पिछले चार से पांच वर्षों में इस योजना से सवा लाख से अधिक लोगों ने अपने घर का सपना पूरा किया है।
प्रदेश में CLSS में 3128 करोड़ रुपए आवंटित किया था, जिससे एक लाख 20 हजार के करीब लोगों को ढाई लाख रुपए की सब्सिड़ी दी गई है। इसके लिए गत वित्तीय वर्ष तक आवेदन शहरी क्षेत्रों में लिए गए थे। चूंकि केन्द्र सरकार ने अब इसके लिए बजट आवंटित नहीं किया है, इससे निकायों ने आवेदन लेना भी बंद कर दिया गया है। दरआल इस स्कीम में जिनके पास खुद का घर नहीं होता था, वे अगर कहीं, किसी भी कीमत का घर लेते थे तो सरकार द्वारा ढाई लाख रुपए सब्सिडी दी जाती है। बांकी की राशि हितग्राही बैंक को किस्तों में चुकाकर अदा करता है। इस योजना में आयकर दाता को शामिल नहीं किया जाता था।
गोली पुरा गांव में पेयजल किल्लत के चलते गंदी पोखर में खोदी गई कुई से पानी भर कर लाती महिलाएं
बीएलसी से बससे ज्यादा लोगों ने लिया लाभ
प्रदेश में सबसे ज्यादा बेनीफिशरी लिंक स्कीम (बीएलसी) में सबसे ज्यादा लोगों ने लाभ लिया है। प्रदेश के 7 लाख 33 हजार हितग्राहियों ने बीएलसी के तहत अपना पक्का घर बनाया है। इस योजना में हितग्राही के पास खुद की जमीन होना जरूरी है, जिसे घर बनाने के लिए ढाई लाख रुपए तक की सब्सिडी दी जाती है। हालांकि यह स्कीम फिलहाल चल रही है।
एएचएस स्कीम पिटी
अफोर्डेबल हाउस स्कीम बुरी तरह से पिटी हुई है। इस स्कीम में आवास लेने के लिए लोग रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जबकि इसमें इसमें तीन लाख रुपए सब्सिडी दी जाती है। यह योजना स्लम क्षेत्रों में लांच की जाती है। प्रदेश में इस योजना के तरह तीन वर्ष पहले 45 हजार से अधिक आवास बनाए गए थे, जो आज भी पूरे नहीं बिक पाए हैं। जबकि इस योजना में सरकार तीन लाख रुपए तक सबिसडी देती है।
स्लम डेवलपमेंट भी जैसे तैसे
सरकार ने स्लम डेवलपमेंट स्कीम लांच की है। यह भी योजना बहुत ज्यादा प्रभावकारी नहीं दिखी। इस योजना में स्लम क्षेत्र में गरीबों के लिए आवास बनाए जाते हैं। गरीबों के आवास बनाने में जो भी लागत आती है उसके बदले में सरकार वहीं पर उतनी ही कीमत की उन्हें जमीन उपलब्ध कराती है। इसे बिल्डर, डेवलपर आवास अथवा व्यावसायिक काम्प्लेक्स बनाकर बेचता है। लेकिन प्रदेश में यह स्कीम भी ज्यादा नहीं चल पाई। इसकी मुख्य वजह यह है कि लोग स्लम एरिया में आवास लेने से कतराते हैं।
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– पिछले तीन चार वर्षों में सवा लाख लोगों ने लिया इसका लाभ
– बेघरों को घर खरीदने ढाई लाख रुपए तक सब्सिडी देती है सरकार
भोपाल
Published: April 10, 2022 10:13:03 pm
प्रदेश में CLSS में 3128 करोड़ रुपए आवंटित किया था, जिससे एक लाख 20 हजार के करीब लोगों को ढाई लाख रुपए की सब्सिड़ी दी गई है। इसके लिए गत वित्तीय वर्ष तक आवेदन शहरी क्षेत्रों में लिए गए थे। चूंकि केन्द्र सरकार ने अब इसके लिए बजट आवंटित नहीं किया है, इससे निकायों ने आवेदन लेना भी बंद कर दिया गया है। दरआल इस स्कीम में जिनके पास खुद का घर नहीं होता था, वे अगर कहीं, किसी भी कीमत का घर लेते थे तो सरकार द्वारा ढाई लाख रुपए सब्सिडी दी जाती है। बांकी की राशि हितग्राही बैंक को किस्तों में चुकाकर अदा करता है। इस योजना में आयकर दाता को शामिल नहीं किया जाता था।
गोली पुरा गांव में पेयजल किल्लत के चलते गंदी पोखर में खोदी गई कुई से पानी भर कर लाती महिलाएं
प्रदेश में सबसे ज्यादा बेनीफिशरी लिंक स्कीम (बीएलसी) में सबसे ज्यादा लोगों ने लाभ लिया है। प्रदेश के 7 लाख 33 हजार हितग्राहियों ने बीएलसी के तहत अपना पक्का घर बनाया है। इस योजना में हितग्राही के पास खुद की जमीन होना जरूरी है, जिसे घर बनाने के लिए ढाई लाख रुपए तक की सब्सिडी दी जाती है। हालांकि यह स्कीम फिलहाल चल रही है।
एएचएस स्कीम पिटी
अफोर्डेबल हाउस स्कीम बुरी तरह से पिटी हुई है। इस स्कीम में आवास लेने के लिए लोग रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जबकि इसमें इसमें तीन लाख रुपए सब्सिडी दी जाती है। यह योजना स्लम क्षेत्रों में लांच की जाती है। प्रदेश में इस योजना के तरह तीन वर्ष पहले 45 हजार से अधिक आवास बनाए गए थे, जो आज भी पूरे नहीं बिक पाए हैं। जबकि इस योजना में सरकार तीन लाख रुपए तक सबिसडी देती है।
स्लम डेवलपमेंट भी जैसे तैसे
सरकार ने स्लम डेवलपमेंट स्कीम लांच की है। यह भी योजना बहुत ज्यादा प्रभावकारी नहीं दिखी। इस योजना में स्लम क्षेत्र में गरीबों के लिए आवास बनाए जाते हैं। गरीबों के आवास बनाने में जो भी लागत आती है उसके बदले में सरकार वहीं पर उतनी ही कीमत की उन्हें जमीन उपलब्ध कराती है। इसे बिल्डर, डेवलपर आवास अथवा व्यावसायिक काम्प्लेक्स बनाकर बेचता है। लेकिन प्रदेश में यह स्कीम भी ज्यादा नहीं चल पाई। इसकी मुख्य वजह यह है कि लोग स्लम एरिया में आवास लेने से कतराते हैं।
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