Shahbaz Sharif: शाहबाज शरीफ का पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद पर ताजपोशी तय, जानें उनके बारे में सब कुछ h3>
इस्लामाबाद: पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (PMLN) के नेता शाहबाज शरीफ देश के अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं। शनिवार आधी रात के बाद देश में बने नए राजनीतिक समीकरण के बाद उनके अगले प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने पिछले बुधवार को कहा था कि विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ जल्द ही देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं। शनिवार की रात इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास होने के बाद शाहबाज शरीफ ने नेशनल असेंबली में बड़ा ही संतुलित भाषण दिया। इसमें उन्होंने देश में नई सरकार बनने की चर्चा की।
शाहबाज शरीफ ने देश में कानून और संविधान का शासन चलाने की बात कही है। उन्होंने बिलावल भुट्टो जरदारी और मौलाना फजलुर्रहमान के साथ मिलकर सत्ता को चलाने का दावा किया है। माना जा रहा है कि जल्द ही उनके नाम पर मुहर लग जाएगी। इसके बाद शरीफ राष्ट्रपति के समक्ष समर्थक सांसदों की चिट्ठी के साथ सदन में बहुमत का दावा पेश करेंगे और देश में नई सरकार बनाने की अनुमति लेंगे। फिर, शाहबाज शरीफ कैबिनेट का गठन की प्रक्रिया को पूरा कराया जाएगा। इससे साफ है कि सत्ता की बागडोर वे संभालने जा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर शाहबाज शरीफ कौन हैं और कैसे वे पाकिस्तान की राजनीति में सबसे बड़ा चेहरा बन गए हैं।
नवाज शरीफ के भाई हैं शाहबाज
शहबाज शरीफ पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई हैं। अभी वे पाकिस्तान नेशनल असेंबली में विपक्षी पार्टी के नेता हैं। शहबाज का जन्म लाहौर, पंजाब, पाकिस्तान में एक पंजाबी भाषी कश्मीरी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद शरीफ है और वे एक उच्च-मध्यम वर्ग के बिजनेसमैन और उद्योगपति थे। उनका परिवार कश्मीर के अनंतनाग से बिजनेस के लिए आया था और अमृतसर गांव में ही बस गया। लेकिन विभाजन के बाद, शहबाज के माता-पिता अमृतसर से लाहौर चले गए।
शहबाज भी पेशे से बिजनेस मैन हैं। उन्होंने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी से आर्ट्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपने परिवार के स्टील कंपनी इत्तेफाक ग्रुप में शामिल हो गए। 1985 में उन्हें लाहौर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का अध्यक्ष चुना गया।
1997 में पहली बार बने थे पंजाब के सीएम
शहबाज 1988 में पंजाब प्रांतीय विधानसभा के लिए चुने गए हैं और 1990 में नेशनल असेंबली के लिए चुने गए थे। वे 1993 में फिर से पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए और उन्हें विपक्ष का नेता घोषित किया गया।पहली बार वे 1997 में मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए थे। 1999 में हुए एक मिलिट्री कूप के बाद, शहबाज ने अपने परिवार के साथ सऊदी अरब में छिपकर कई वर्ष बिताए और 2007 में दोबारा पाकिस्तान लौट आए।
2008 के आम चुनावों में प्रांत में पीएमएल-एन (PML-N) की जीत के बाद उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए पंजाब का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था। वे 2013 में तीसरी बार पंजाब के सीएम के रूप में चुने गए और 2018 के आम चुनावों में अपनी पार्टी की हार होने तक अपना कार्यकाल पूरा किया। उनके भाई नवाज शरीफ को पद से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद उन्हें पीएमएल-एन का अध्यक्ष बनाया गया था। 2018 के चुनावों के बाद ही उन्हें विपक्ष के नेता के रूप में नामित किया गया था।
मनी लॉन्ड्रिंग केस में रहे हैं आरोपी
दिसंबर 2019 में नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (NAB) ने मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए शहबाज और उनके बेटे हमजा शरीफ की कुल 23 संपत्तियों को जब्त कर लिया। सितंबर 2020 में एनएबी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में शाहबाज को लाहौर उच्च न्यायालय में गिरफ्तार किया और सुनवाई के दौरान उन्हें जेल में रखा गया था। पिछले वर्ष लाहौर हाई कोर्ट ने उन्हें बेल पर रिहा किया। इमरान खान और उनकी पार्टी के नेता नवाज शरीफ और शाहबाज शरीफ को लगातार निशाने पर लेते रहे हैं।
नवाज शरीफ के भाई हैं शाहबाज
शहबाज शरीफ पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई हैं। अभी वे पाकिस्तान नेशनल असेंबली में विपक्षी पार्टी के नेता हैं। शहबाज का जन्म लाहौर, पंजाब, पाकिस्तान में एक पंजाबी भाषी कश्मीरी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद शरीफ है और वे एक उच्च-मध्यम वर्ग के बिजनेसमैन और उद्योगपति थे। उनका परिवार कश्मीर के अनंतनाग से बिजनेस के लिए आया था और अमृतसर गांव में ही बस गया। लेकिन विभाजन के बाद, शहबाज के माता-पिता अमृतसर से लाहौर चले गए।
शहबाज भी पेशे से बिजनेस मैन हैं। उन्होंने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी से आर्ट्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपने परिवार के स्टील कंपनी इत्तेफाक ग्रुप में शामिल हो गए। 1985 में उन्हें लाहौर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का अध्यक्ष चुना गया।
1997 में पहली बार बने थे पंजाब के सीएम
शहबाज 1988 में पंजाब प्रांतीय विधानसभा के लिए चुने गए हैं और 1990 में नेशनल असेंबली के लिए चुने गए थे। वे 1993 में फिर से पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए और उन्हें विपक्ष का नेता घोषित किया गया।पहली बार वे 1997 में मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए थे। 1999 में हुए एक मिलिट्री कूप के बाद, शहबाज ने अपने परिवार के साथ सऊदी अरब में छिपकर कई वर्ष बिताए और 2007 में दोबारा पाकिस्तान लौट आए।
2008 के आम चुनावों में प्रांत में पीएमएल-एन (PML-N) की जीत के बाद उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए पंजाब का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था। वे 2013 में तीसरी बार पंजाब के सीएम के रूप में चुने गए और 2018 के आम चुनावों में अपनी पार्टी की हार होने तक अपना कार्यकाल पूरा किया। उनके भाई नवाज शरीफ को पद से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद उन्हें पीएमएल-एन का अध्यक्ष बनाया गया था। 2018 के चुनावों के बाद ही उन्हें विपक्ष के नेता के रूप में नामित किया गया था।
मनी लॉन्ड्रिंग केस में रहे हैं आरोपी
दिसंबर 2019 में नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (NAB) ने मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए शहबाज और उनके बेटे हमजा शरीफ की कुल 23 संपत्तियों को जब्त कर लिया। सितंबर 2020 में एनएबी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में शाहबाज को लाहौर उच्च न्यायालय में गिरफ्तार किया और सुनवाई के दौरान उन्हें जेल में रखा गया था। पिछले वर्ष लाहौर हाई कोर्ट ने उन्हें बेल पर रिहा किया। इमरान खान और उनकी पार्टी के नेता नवाज शरीफ और शाहबाज शरीफ को लगातार निशाने पर लेते रहे हैं।