बंदर हीरा खदान की Environment अनुमति केन-बेतवा लिंक परियोजना पर टिकी | Environment clearance of Bandar diamond mine rests on Ken-Betwa link p | Patrika News h3>
नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने पूछा- केन-बेतवा लिंक परियोजना का क्या है स्टेटस
वाइल्ड लाइफ बोर्ड यह देखना चाहता है कि केन बेतवा लिंक परियोजना को किन शर्तों के आधार पर अनुमति दी गई
भोपाल
Published: April 08, 2022 10:28:37 pm
भोपाल। बिड़ला कंपनी छतरपुर बंदर diamond खदान की Environment clearance का मामला उलझता चला जा रहा है। नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने केन-बेतवा लिंक परियोजना से इसके अनुमतियों को जोड़ दिया है। बोर्ड ने केन्द्र वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जानकारी मांगी है कि Ken Betwa Link परियोजना की अनुमति की स्थिति क्या है। रियोटेंटों के समय ही इस पर निर्णय हुआ था कि पहले केन बेतवा लिंक परियोजना को अनुमति के बाद ही हीरे सहित अन्य खदानों की अनुमति देने पर विचार किया जाएगा। हालांकि बोर्ड ने यह नहीं साफ किया है कि पर्यावरण की सैद्धांतिक, प्रारंभिक अथवा फाइनल से कौन सी अनुमति मिली है।
वाइल्ड लाइफ बोर्ड यह देखना चाहता है कि केन बेतवा लिंक परियोजना को किन शर्तों के आधार पर अनुमति दी गई है। हालांकि केन-बेतवा लिंक परियोजना में सिर्फ पन्ना जिले की ही जमीन डूब में आएंगी। पन्ना से छतरपुर की दूरी करीब 50 किमी के आस पास है। इस परियोजना से वाइल्ड लाइफ को कितना प्रभाव पड़ेगा, इसका आकलन किया जाएगा। इसके बाद ही बंदर हीरा खदान को अनुमति दी जाएगी। वर्तमान में केन बेतवा लिंक परियोजना को पर्यवरण की अनुमति नहीं मिल पाई है।
टाइम लाइन बढ़ाने देना होगा आवेदन
बिड़ला को बंदर हीरा खदान के पर्यावरण की स्वीकृति के संबंध में दो साल की अनुमति और मिल सकती है। बिड़ला को यह खदान 2019 अगस्त में मिली थी। इसे पर्यावरण की अनुमति के लिए तीन वर्ष का समय दिया गया था। समय सीमा बढ़ाने के लिए कंपनी को सरकार में आवेदन देना होगा, सरकार अगर कारणों को उपयुक्त समझती है तो ही टाइम लाइन बढ़ाई जाएगी। अगर टाइम लाइन नहीं बढ़ायी गयी तो खदान भी बिड़ला के हाथों से जा सकती है। इसके बाद नए सिरे से इस खदान की नीलामी की जाएगी।
सरकार को मिलेंगे हर साल 472.65 करोड़ रुपए
अगर यह खदान चालू हो जाती तो प्रदेश सरकार को हर साल 472.65 करोड़ रुपए मिलते। इधर, ढाई साल सिर्फ केन्द्र सरकार के पत्राचार और सवाल-जवाब में ही बीत गए। अब केन्द्र चाहे तो समय सीमा बढ़ा सकती है, वह भी दो साल के लिए ही। यानी 2024 तक कंपनी को तमाम अनुमतियां लेकर खदान चालू करनी होगी।
वनीकरण क्षतिपूर्ति के लिए 35 सौ करोड़ मिले
केन-बेतवा लिंक परियोजना के अनुमति से पहले वन विभाग को 35 सौ करोड़ जल संसाधन विभाग ने आवंटित कर दिए हैं। ये राशि वनीकरण क्षतिपूति यानी की इस परियोजना में जो लाखों पेड़ काटे जाएंगे उसके एवज में दिए गए हैं। इसके अलावा एक हजार गांव विस्थापन सहित अन्य कार्यों के लिए आवंटित किए गए हैं। इससे इस परियोजना के कार्यों में तेजी आने के साथ तमाम अनुमतियों की भी गति तेज होगी।
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नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने पूछा- केन-बेतवा लिंक परियोजना का क्या है स्टेटस
वाइल्ड लाइफ बोर्ड यह देखना चाहता है कि केन बेतवा लिंक परियोजना को किन शर्तों के आधार पर अनुमति दी गई
भोपाल
Published: April 08, 2022 10:28:37 pm
भोपाल। बिड़ला कंपनी छतरपुर बंदर diamond खदान की Environment clearance का मामला उलझता चला जा रहा है। नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने केन-बेतवा लिंक परियोजना से इसके अनुमतियों को जोड़ दिया है। बोर्ड ने केन्द्र वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जानकारी मांगी है कि Ken Betwa Link परियोजना की अनुमति की स्थिति क्या है। रियोटेंटों के समय ही इस पर निर्णय हुआ था कि पहले केन बेतवा लिंक परियोजना को अनुमति के बाद ही हीरे सहित अन्य खदानों की अनुमति देने पर विचार किया जाएगा। हालांकि बोर्ड ने यह नहीं साफ किया है कि पर्यावरण की सैद्धांतिक, प्रारंभिक अथवा फाइनल से कौन सी अनुमति मिली है।
वाइल्ड लाइफ बोर्ड यह देखना चाहता है कि केन बेतवा लिंक परियोजना को किन शर्तों के आधार पर अनुमति दी गई है। हालांकि केन-बेतवा लिंक परियोजना में सिर्फ पन्ना जिले की ही जमीन डूब में आएंगी। पन्ना से छतरपुर की दूरी करीब 50 किमी के आस पास है। इस परियोजना से वाइल्ड लाइफ को कितना प्रभाव पड़ेगा, इसका आकलन किया जाएगा। इसके बाद ही बंदर हीरा खदान को अनुमति दी जाएगी। वर्तमान में केन बेतवा लिंक परियोजना को पर्यवरण की अनुमति नहीं मिल पाई है।
बिड़ला को बंदर हीरा खदान के पर्यावरण की स्वीकृति के संबंध में दो साल की अनुमति और मिल सकती है। बिड़ला को यह खदान 2019 अगस्त में मिली थी। इसे पर्यावरण की अनुमति के लिए तीन वर्ष का समय दिया गया था। समय सीमा बढ़ाने के लिए कंपनी को सरकार में आवेदन देना होगा, सरकार अगर कारणों को उपयुक्त समझती है तो ही टाइम लाइन बढ़ाई जाएगी। अगर टाइम लाइन नहीं बढ़ायी गयी तो खदान भी बिड़ला के हाथों से जा सकती है। इसके बाद नए सिरे से इस खदान की नीलामी की जाएगी।
सरकार को मिलेंगे हर साल 472.65 करोड़ रुपए
अगर यह खदान चालू हो जाती तो प्रदेश सरकार को हर साल 472.65 करोड़ रुपए मिलते। इधर, ढाई साल सिर्फ केन्द्र सरकार के पत्राचार और सवाल-जवाब में ही बीत गए। अब केन्द्र चाहे तो समय सीमा बढ़ा सकती है, वह भी दो साल के लिए ही। यानी 2024 तक कंपनी को तमाम अनुमतियां लेकर खदान चालू करनी होगी।
वनीकरण क्षतिपूर्ति के लिए 35 सौ करोड़ मिले
केन-बेतवा लिंक परियोजना के अनुमति से पहले वन विभाग को 35 सौ करोड़ जल संसाधन विभाग ने आवंटित कर दिए हैं। ये राशि वनीकरण क्षतिपूति यानी की इस परियोजना में जो लाखों पेड़ काटे जाएंगे उसके एवज में दिए गए हैं। इसके अलावा एक हजार गांव विस्थापन सहित अन्य कार्यों के लिए आवंटित किए गए हैं। इससे इस परियोजना के कार्यों में तेजी आने के साथ तमाम अनुमतियों की भी गति तेज होगी।
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