बिहार भाजपा में सुशील मोदी युग के अंत का संकेत, रजनीश कुमार की बेगूसराय से हार, भितरघात को लेकर चर्चा, फोटो भी वायरल h3>
एस कुमार, बेगूसराय: बेगूसराय-खगड़िया विधान परिषद चुनाव की मतगणना में कांग्रेस उम्मीदवार राजीव कुमार ने जीत दर्ज कर ली है।इस बीच भाजपा के प्रत्याशी हारने के बीच सोशल मीडिया पर एक फोटो तेजी से वायरल हो रही है। फोटो चुनाव से 1 दिन पहले की बताई जा रही है, जिसमें कांग्रेसी उम्मीदवार राजीव कुमार के भाई जदयू विधायक संजीव कुमार, भाजपा विधायक कुन्दन कुमार, जदयू विधायक राजकुमार, भाजपा विधायक सुरेंद्र मेहता एक साथ दिखे रहे हैं। बताया जाता है कि एनडीए में जमकर भितरघात हुआ है। इसका नतीजा कांग्रेस के राजीव कुमार की जीत के रूप में अब सामने है।
दरअसल जदयू विधायक संजीव कुमार के भाई राजीव कुमार कांग्रेस उम्मीदवार थे। संजीव कुमार ने बिहार विधान परिषद चुनाव में खुलकर अपने भाई राजीव के पक्ष में जमकर प्रचार किया था। अब एनडीए उम्मीदवार रजनीश कुमार की हार हुई तो भितरघात को लेकर सवाल उठने लगे हैं।राजनीतिक जानकारों की मानें तो लोकसभा चुनाव के दौरान गिरिराज सिंह को जब भाजपा का उम्मीदवार बेगूसराय सीट से घोषित किया गया था, उस समय रजनीश कुमार की ओर से भितरघात करने की बात कही गई थी। अब रजनीश कुमार को जब एनडीए ने विधान परिषद चुनाव को लेकर बेगूसराय खगड़िया से उम्मीदवार बनाया तो रजनीश कुमार को भी भितरघात का सामना करना पड़ा।
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2020 विधानसभा चुनाव में भी गिरिराज सिंह हावी रहे और अपने नजदीकी कुंदन कुमार को बेगूसराय सदर से भाजपा का ना सिर्फ टिकट दिलाया, बल्कि भाजपा में भितरघात के बावजूद कुंदन कुमार को बेगूसराय सीट से जीत मिली थी।
जदयू से भाई को नहीं मिली टिकट तो संजीव कुमार ने कांग्रेस से लड़वा दिया चुनाव
पिछले विधान परिषद चुनाव की चर्चा करें तो पिछले विधान परिषद का चुनाव भाजपा और जदयू ने अलग-अलग लड़ा था। इसमें भाजपा से रजनीश कुमार थे, जबकि वर्तमान विधायक संजीव कुमार उस वक्त जदयू से विधान परिषद के उम्मीदवार थे। उस समय कांटे की टक्कर में रजनीश कुमार ने मामूली अंतर से जीत दर्ज की थी। इस बात को लेकर संजीव कुमार खार खाए बैठे थे और इस विधान परिषद चुनाव में अपने भाई राजीव कुमार को बेगूसराय खगड़िया से जदयू का उम्मीदवार बनाना चाह रहे थे। लेकिन गठबंधन के तहत एनडीए ने रजनीश कुमार को भाजपा उम्मीदवार बनाया। उसके बाद संजीव कुमार ने अपने भाई राजीव कुमार को ना सिर्फ कांग्रेस में शामिल कराया बल्कि बेगूसराय खगड़िया विधान परिषद से उम्मीदवार भी बना दिया।
कांग्रेस उम्मीदवार के चुनाव प्रचार में जोरों से जुटे थे जदूय विधायक
पूरे चुनाव के दौरान जदयू विधायक संजीव कुमार अपने भाई कांग्रेस उम्मीदवार राजीव कुमार के लिए जी जान से ना सिर्फ चुनाव प्रचार किया बल्कि हर मैनेजमेंट खुद अपने हाथों में रखा। चर्चा यह भी है कि बेगूसराय हमेशा से कांग्रेस को संजीवनी देने का काम करता रहा है। एक बार फिर अब तक के रुझानों से लग रहा है कि राजीव कुमार के जीत के साथ कांग्रेस को बेगूसराय से ही संजीवनी मिल रही है। बताते चलें कि रजनीश कुमार ने दो बार विधान परिषद का चुनाव जीता था। इस बार तीसरी बार चुनाव मैदान में थे।
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बिहार भाजपा में सुशील मोदी युग का अंत
रजनीश कुमार सुशील मोदी के काफी करीबी माने जाते हैं। ऐसे में रजनीश कुमार की बेगूसराय से हार बिहार भाजपा में सुशील मोदी युग के अंत का संकेत माना जा सकता है। अमित शाह जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तो उनके कार्यकाल में रजनीश कुमार राष्ट्रीय सचिव भी बने थे। लेकिन एनडीए के भितरघात रजनीश कुमार के हार का कारण माना जा सकता है।
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दरअसल जदयू विधायक संजीव कुमार के भाई राजीव कुमार कांग्रेस उम्मीदवार थे। संजीव कुमार ने बिहार विधान परिषद चुनाव में खुलकर अपने भाई राजीव के पक्ष में जमकर प्रचार किया था। अब एनडीए उम्मीदवार रजनीश कुमार की हार हुई तो भितरघात को लेकर सवाल उठने लगे हैं।राजनीतिक जानकारों की मानें तो लोकसभा चुनाव के दौरान गिरिराज सिंह को जब भाजपा का उम्मीदवार बेगूसराय सीट से घोषित किया गया था, उस समय रजनीश कुमार की ओर से भितरघात करने की बात कही गई थी। अब रजनीश कुमार को जब एनडीए ने विधान परिषद चुनाव को लेकर बेगूसराय खगड़िया से उम्मीदवार बनाया तो रजनीश कुमार को भी भितरघात का सामना करना पड़ा।
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पिछले विधान परिषद चुनाव की चर्चा करें तो पिछले विधान परिषद का चुनाव भाजपा और जदयू ने अलग-अलग लड़ा था। इसमें भाजपा से रजनीश कुमार थे, जबकि वर्तमान विधायक संजीव कुमार उस वक्त जदयू से विधान परिषद के उम्मीदवार थे। उस समय कांटे की टक्कर में रजनीश कुमार ने मामूली अंतर से जीत दर्ज की थी। इस बात को लेकर संजीव कुमार खार खाए बैठे थे और इस विधान परिषद चुनाव में अपने भाई राजीव कुमार को बेगूसराय खगड़िया से जदयू का उम्मीदवार बनाना चाह रहे थे। लेकिन गठबंधन के तहत एनडीए ने रजनीश कुमार को भाजपा उम्मीदवार बनाया। उसके बाद संजीव कुमार ने अपने भाई राजीव कुमार को ना सिर्फ कांग्रेस में शामिल कराया बल्कि बेगूसराय खगड़िया विधान परिषद से उम्मीदवार भी बना दिया।
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पूरे चुनाव के दौरान जदयू विधायक संजीव कुमार अपने भाई कांग्रेस उम्मीदवार राजीव कुमार के लिए जी जान से ना सिर्फ चुनाव प्रचार किया बल्कि हर मैनेजमेंट खुद अपने हाथों में रखा। चर्चा यह भी है कि बेगूसराय हमेशा से कांग्रेस को संजीवनी देने का काम करता रहा है। एक बार फिर अब तक के रुझानों से लग रहा है कि राजीव कुमार के जीत के साथ कांग्रेस को बेगूसराय से ही संजीवनी मिल रही है। बताते चलें कि रजनीश कुमार ने दो बार विधान परिषद का चुनाव जीता था। इस बार तीसरी बार चुनाव मैदान में थे।
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बिहार भाजपा में सुशील मोदी युग का अंत
रजनीश कुमार सुशील मोदी के काफी करीबी माने जाते हैं। ऐसे में रजनीश कुमार की बेगूसराय से हार बिहार भाजपा में सुशील मोदी युग के अंत का संकेत माना जा सकता है। अमित शाह जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तो उनके कार्यकाल में रजनीश कुमार राष्ट्रीय सचिव भी बने थे। लेकिन एनडीए के भितरघात रजनीश कुमार के हार का कारण माना जा सकता है।