BJP Foundation Day: पार्टी की स्थापना के आठ महीने बाद ही जिन्ना के सहयोगी ने कर दी थी भविष्यवाणी, कांग्रेस और इंदिरा गांधी का विकल्प तैयार है h3>
भोपालः अपना 42वां स्थापना दिवस मना रही भारतीय जनता पार्टी आज देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। 2014 और 2019 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई बीजेपी का सफर उतार-चढ़ावों से भरा रहा है। 1980 में स्थापना के बाद जब 1984 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को केवल दो सीटें मिली थीं तो विपक्षियों ने इसका मजाक उड़ाया था। तब अटल बिहारी वाजपेयी ने एक भविष्यवाणी की थी। वाजपेयी ने कहा था कि एक दिन ऐसा आएगा जब बीजेपी पर हंसने वालों पर दुनिया हंसेगी। वाजपेयी की यह भविष्यवाणी सच साबित हुई। कम ही लोगों को पता है कि इससे पहले बीजेपी की स्थापना के आठ महीने बाद ही एक भविष्यवाणी की गई थी जो अक्षरशः सच साबित हुई। आश्चर्य यह कि ये भविष्यवाणी जिस शख्स ने की थी, वह पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री मोहम्मद अली जिन्ना का सहयोगी रह चुका था।
साल 1977 में केंद्र में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ था। इसमें चार प्रमुख दलों की अहम भूमिका थी। जनसंघ, सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- समाजवादी, भारतीय लोकदल और कांग्रेस ओ को साथ लाकर जयप्रकाश नारायण ने जनता पार्टी की सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई थी, लेकिन यह सरकार ढाई साल ही चल पाई। जनसंघ और आरएसएस की दोहरी सदस्यता के मुद्दे पर जनता पार्टी बिखर गई। 4 अप्रैल, 1980 को जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक इसी मुद्दे पर बुलाई गई और जनसंघके लोगों को जनता पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया।
इसके अगले दिन यानी 5 अप्रैल को आनन-फानन में जनसंघ के साढ़े तीन हजार प्रतिनिधियों का राष्ट्रीय सम्मेलन दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में आयोजित किया गया। छह अप्रैल को बीजेपी का जन्म हुआ और अटल बिहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष बने। इसके करीब आठ महीने बाद 28 दिसंबर, 1980 को मुंबई (तब बंबई) में बीजेपी का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ। स्थापना के पहले आठ महीनों में ही पार्टी के सदस्यों की संख्या 25 लाख से ऊपर हो चुकी थी।
राष्ट्रीय सम्मेलन में एक गैर जनसंघी नेता को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। उनका नाम था मोहम्मद करीम छागला। छागला मशहूर कानूनविद् थे। वे जिन्ना के साथ वकालत करते थे और बंबई हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके थे। आजादी के बाद जब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बने, तब छागला को उन्होंने शिक्षा मंत्री बनाया था। छागला इमरजेंसी के कट्टर विरोधी थे। बंबई अधिवेशन में अपने भाषण में उन्होंने जो भविष्यवाणी की थी, वह 16 साल बाद सच साबित हुई जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पहली बार केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी।
छागला ने अपने भाषण में कहा था, कौन कहता है कि देश में कांग्रेस का विकल्प नहीं है। कौन कहता है कि इंदिरा गांधी का देश में विकल्प नहीं है। यहां दोनों विकल्प सामने हैं। बीजेपी, कांग्रेस का विकल्प है और वाजपेयी, इंदिरा गांधी का।
छागला ने जब यह बयान दिया था, तब कांग्रेस के विकल्प की बात करना भी बड़बोलापन माना जाता था। उनके इस बयान को भी तब इसी रूप में लिया गया, लेकिन 16 साल बाद वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने। हालांकि, उनकी सरकार 13 दिन ही चल पाई, लेकिन 1999 में वे दूसरी बार पीएम बने और पांच साल सरकार चलाई। यहां से शुरू हुआ बीजेपी का विजय रथ अब कांग्रेस मुक्त भारत के रास्ते पर आगे चल पड़ा है।
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साल 1977 में केंद्र में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ था। इसमें चार प्रमुख दलों की अहम भूमिका थी। जनसंघ, सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- समाजवादी, भारतीय लोकदल और कांग्रेस ओ को साथ लाकर जयप्रकाश नारायण ने जनता पार्टी की सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई थी, लेकिन यह सरकार ढाई साल ही चल पाई। जनसंघ और आरएसएस की दोहरी सदस्यता के मुद्दे पर जनता पार्टी बिखर गई। 4 अप्रैल, 1980 को जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक इसी मुद्दे पर बुलाई गई और जनसंघके लोगों को जनता पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया।
इसके अगले दिन यानी 5 अप्रैल को आनन-फानन में जनसंघ के साढ़े तीन हजार प्रतिनिधियों का राष्ट्रीय सम्मेलन दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में आयोजित किया गया। छह अप्रैल को बीजेपी का जन्म हुआ और अटल बिहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष बने। इसके करीब आठ महीने बाद 28 दिसंबर, 1980 को मुंबई (तब बंबई) में बीजेपी का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ। स्थापना के पहले आठ महीनों में ही पार्टी के सदस्यों की संख्या 25 लाख से ऊपर हो चुकी थी।
राष्ट्रीय सम्मेलन में एक गैर जनसंघी नेता को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। उनका नाम था मोहम्मद करीम छागला। छागला मशहूर कानूनविद् थे। वे जिन्ना के साथ वकालत करते थे और बंबई हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके थे। आजादी के बाद जब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बने, तब छागला को उन्होंने शिक्षा मंत्री बनाया था। छागला इमरजेंसी के कट्टर विरोधी थे। बंबई अधिवेशन में अपने भाषण में उन्होंने जो भविष्यवाणी की थी, वह 16 साल बाद सच साबित हुई जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पहली बार केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी।
छागला ने अपने भाषण में कहा था, कौन कहता है कि देश में कांग्रेस का विकल्प नहीं है। कौन कहता है कि इंदिरा गांधी का देश में विकल्प नहीं है। यहां दोनों विकल्प सामने हैं। बीजेपी, कांग्रेस का विकल्प है और वाजपेयी, इंदिरा गांधी का।
छागला ने जब यह बयान दिया था, तब कांग्रेस के विकल्प की बात करना भी बड़बोलापन माना जाता था। उनके इस बयान को भी तब इसी रूप में लिया गया, लेकिन 16 साल बाद वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने। हालांकि, उनकी सरकार 13 दिन ही चल पाई, लेकिन 1999 में वे दूसरी बार पीएम बने और पांच साल सरकार चलाई। यहां से शुरू हुआ बीजेपी का विजय रथ अब कांग्रेस मुक्त भारत के रास्ते पर आगे चल पड़ा है।