27 कीटनाशकों पर सरकार लगाने वाली है प्र​तिबंध, क्या इसका बंपर पैदावार से है कोई संबंध?

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27 कीटनाशकों पर सरकार लगाने वाली है प्र​तिबंध, क्या इसका बंपर पैदावार से है कोई संबंध?

27 कीटनाशकों पर सरकार लगाने वाली है प्र​तिबंध, क्या इसका बंपर पैदावार से है कोई संबंध?

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्रालय (Agriculture Ministry) 27 ऑर्गेनिक एग्रो केमिकल पर प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया में है। इन कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने की मंशा के बारे में पिछले साल ही बता दिया गया था। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इससे देश में पौधों की सुरक्षा करने वाले केमिकल की उपलब्धता में कमी आएगी। जिन एग्रो केमिकल पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी है, वे सस्ते हैं और वह अभी घरेलू खपत के करीबन 50 पर्सेंट मॉलिक्यूल में हिस्सेदारी रखते हैं।

कहीं ब्रांडेड कीटनाशक बनाने वालों का दवाब तो नहीं
सरकार ने जिन 27 कीटनाशकों की सूची तैयार की है, वे कम लागत वाले जेनेरिक पेस्टिसाइड (कीटनाशक) माने जाते हैं। ये पिछले कई दशकों से उपयोग में हैं। ऐसी बताया जाता है कि आलू जैसी कम लागत वाली फसलों में इनका उपयोग 70 पर्सेंट तक हो सकता है। ये उत्पाद अपने प्रभाव और कम लागत के कारण बाजार के पसंदीदा बन गए हैं, क्योंकि ये सभी मॉलिक्यूल अपने पेटेंट की तुलना में अब जेनेरिक ब्रांडिंग में उपलब्ध हैं। इसलिए ये ब्रांडेड या पेंटेंटेड कीटनाशकों की तुलना में काफी सस्ते हैं। इसलिए ऐसा भी कहा जा रहा है कि कहीं पेटेंटेड कीटनाशक बेचने वाली लॉबी ऐसा करने के दवाब तो नहीं डाल रही है?

इस निर्णय का खाद्य सुरक्षा का पर भी होगा असर?
इस समय भारत दुनिया में दूसरा सबसे बडा खाद्यान्न निर्यातक है। कई लोग कहते हैं कि अगर इस तरह के कदम उठाए जाते हैं तो इसका देश की खाद्य सुरक्षा स्कीम पर भी असर दिख सकता है। खास कर तब, जब लगातार आबादी बढ़ रही है और तमाम खाद्य सुरक्षा की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। घरेलू ब्रोकरेज के एक एक्सपर्ट ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि जिस तरह से हाल ही में कृषि रसायनों की उपलब्धता अचानक बाधित हो गई थी उसे यह पता चला कि जैसे कहीं कोई सिस्टम ही काम नहीं कर रहा है। एक विदेशी ब्रोकरेज के रिसर्च हेड ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस समय दोहरे घाटे को कम करने का कोई मतलब होगा, खासकर तब जब भारत अपने वैश्विक विकल्पों को अनुकूलित करने की कोशिश कर रहा है। एक ऐसे देश से जो पिछले तीन वर्षों में खाद्यान्न के शुद्ध निर्यातक के रूप में उभरा है, और इसके साथ ही विदेशी एक्सचेंज भी लाया है। इस तरह की अव्यवस्था और घरेलू खाद्य में कमी निर्यात पर तुरंत रोक लगा देगी।

निर्यात में भी कृषि उपज का दबदबा
देश के जीडीपी में एग्री सेक्टर का योगदान 18 फसदी का है। साथ ही मर्चेंडाइज निर्यात में इसकी 14 फीसदी की हिस्सेदारी है। दिल्ली स्थित एक थिंक-टैंक के अनुसार, 2021-22 में भारत के कृषि और संबद्ध उत्पादों का निर्यात फसल क्षेत्रों और औसत पैदावार के आधार पर 49-50 अरब डॉलर के रिकॉर्ड होने का अनुमान है। इसका आकलन है कि भारत का कृषि निर्यात अगले तीन से चार वर्षों में आसानी से 100 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।

अमेरिका में सबसे ज्यादा होता है निर्यात
भारत से जिन कृषि वस्तुओं का निर्यात होता है, उनकी क्वालिटी में निरंतर सुधार हो रहा है। इसके साथ ही दुनिया भर में विभिन्न सुरक्षा मानकों का भी पालन हो रहा है। तभी तो यूरोपीय संघ के देश भी भारत से आयात करना शुरू कर दिए हैं। एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीईडीए) के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका भारतीय कृषि उत्पादों के लिए सबसे बड़ा निर्यात का देश बना हुआ है। इसके बाद चीन का स्थान आता है। संयुक्त अरब अमीरात को भारत कुल निर्यात का 5 पर्सेंट और सउदी अरब को 4 पर्सेंट निर्यात करता है। फूड सप्लाई चेन को एक या दो सीज़न के लिए तुरंत तय नहीं किया जा सकता है। श्रीलंका में इसका सीधा उदाहरण देखा जा रहा है।

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