चंडीगढ़ बनेगा लड़ाई की जड़? सिद्धू भी जंग में कूदे- बताया पंजाब का हिस्सा, सुनील जाखड़ का सुर अलग h3>
चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच खींचतान जारी है। इस वाकयुद्ध में अब कांग्रेस नेता और पंजाब के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी कूद पड़े हैं। इसके अलावा मामले में सुनील जाखड़ का भी बयान सामने आया है लेकिन उनके सुर अलग हैं। एक ओर जहां सिद्धू ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब का था, है और रहेगा जबकि सुनील जाखड़ ने कहा कि इस मुद्दे का अब कोई मतलब ही नहीं है।
दरअसल, चंडीगढ़ मामले को लेकर सुगबुगाहट तब शुरू हुई जब जब केंद्र सरकार की तरफ से चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्रीय नियम लागू कर दिया गया। इसके बाद यह मामला तब बढ़ा पंजाब की मान सरकार ने एक अप्रैल को विधानसभा का सत्र बुलाया और इसमें चंडीगढ़ को पूर्ण रूप से पंजाब को देने के लिए प्रस्ताव पास कर दिया। फिर यह मुद्दा गरमा गया और फिर हरियाणा सरकार की तरफ से इस पर पलटवार हुआ।
उधर पंजाब के दावे के बाद हरियाणा सरकार ने भी पांच अप्रैल को एक दिन का विशेष विधानसभा सत्र बुलाने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि हरियाणा सरकार भी पंजाब सरकार जैसा ही कुछ कदम उठा सकती है। इसी बीच इस मामले को लेकर कांग्रेस भी सक्रिय हो गई है और नवजोत सिंह सिद्धू ने भी कहा कि चंडीगढ़ पंजाब का था है और रहेगा।
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पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्विटर पर लिखा, ‘पंजाब के 27 गांव उजाड़ के बनाया हुआ चंडीगढ़, पंजाब का था, है और रहेगा। कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना। चंडीगढ़ तो बहाना है, पंजाब के दरियाई पानी पर निशाना है। सावधान रहें अगली बड़ी लड़ाई पंजाब के नदी जल के लिए है। नवजोत सिंह सिद्धू के इस बयान के बाद यह मामला आगे बढ़ गया है।
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने अपने ट्वीट में तंज कसा है। उन्होंने चंडीगढ़ मुद्दे मरा हुआ मुद्दा बताया है। उन्होंने कहा कि जिस मुद्दे का अब कोई मतलब ही नहीं है उस पर दोनों राज्यों के बीच जो किसान आंदोलन के दौरान भाईचारा बना है, वह भेंट चढ़ जाएगा।
बता दें कि सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) का मुद्दा कई दशकों से पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद का विषय रहा है। पहले भी पंजाब रावी-ब्यास नदियों के पानी के अपने हिस्से के संबंध में पुन: आकलन की मांग करता रहा है, जबकि हरियाणा एसवाईएल नहर को पूरा करने की मांग करता है ताकि उसे उसके हिस्से का 35 लाख एकड़-फुट पानी मिल सके। फिलहाल चंडीगढ़ इस समय पंजाब और हरियाणा के बीच लड़ाई की जड़ बना हुआ है।
चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच खींचतान जारी है। इस वाकयुद्ध में अब कांग्रेस नेता और पंजाब के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी कूद पड़े हैं। इसके अलावा मामले में सुनील जाखड़ का भी बयान सामने आया है लेकिन उनके सुर अलग हैं। एक ओर जहां सिद्धू ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब का था, है और रहेगा जबकि सुनील जाखड़ ने कहा कि इस मुद्दे का अब कोई मतलब ही नहीं है।
दरअसल, चंडीगढ़ मामले को लेकर सुगबुगाहट तब शुरू हुई जब जब केंद्र सरकार की तरफ से चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्रीय नियम लागू कर दिया गया। इसके बाद यह मामला तब बढ़ा पंजाब की मान सरकार ने एक अप्रैल को विधानसभा का सत्र बुलाया और इसमें चंडीगढ़ को पूर्ण रूप से पंजाब को देने के लिए प्रस्ताव पास कर दिया। फिर यह मुद्दा गरमा गया और फिर हरियाणा सरकार की तरफ से इस पर पलटवार हुआ।
उधर पंजाब के दावे के बाद हरियाणा सरकार ने भी पांच अप्रैल को एक दिन का विशेष विधानसभा सत्र बुलाने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि हरियाणा सरकार भी पंजाब सरकार जैसा ही कुछ कदम उठा सकती है। इसी बीच इस मामले को लेकर कांग्रेस भी सक्रिय हो गई है और नवजोत सिंह सिद्धू ने भी कहा कि चंडीगढ़ पंजाब का था है और रहेगा।
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वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने अपने ट्वीट में तंज कसा है। उन्होंने चंडीगढ़ मुद्दे मरा हुआ मुद्दा बताया है। उन्होंने कहा कि जिस मुद्दे का अब कोई मतलब ही नहीं है उस पर दोनों राज्यों के बीच जो किसान आंदोलन के दौरान भाईचारा बना है, वह भेंट चढ़ जाएगा।
बता दें कि सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) का मुद्दा कई दशकों से पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद का विषय रहा है। पहले भी पंजाब रावी-ब्यास नदियों के पानी के अपने हिस्से के संबंध में पुन: आकलन की मांग करता रहा है, जबकि हरियाणा एसवाईएल नहर को पूरा करने की मांग करता है ताकि उसे उसके हिस्से का 35 लाख एकड़-फुट पानी मिल सके। फिलहाल चंडीगढ़ इस समय पंजाब और हरियाणा के बीच लड़ाई की जड़ बना हुआ है।