‘मैं आपके बैरक देखने नहीं आया, आप चाहें तो मेरी आर्मी आपकी आर्मी है’, जब अयूब खान ने अमेरिका को दिया ऑफर, यूं हीं नहीं डर रहे इमरान

128
‘मैं आपके बैरक देखने नहीं आया, आप चाहें तो मेरी आर्मी आपकी आर्मी है’, जब अयूब खान ने अमेरिका को दिया ऑफर, यूं हीं नहीं डर रहे इमरान

‘मैं आपके बैरक देखने नहीं आया, आप चाहें तो मेरी आर्मी आपकी आर्मी है’, जब अयूब खान ने अमेरिका को दिया ऑफर, यूं हीं नहीं डर रहे इमरान

नई दिल्ली: पाकिस्तान के पहले तानाशाह अयूब खान सितंबर 1953 में अमेरिकी दौरे पर गए थे। वहां उन्होंने आर्मी के संस्थानों का दौरा किया। एक दिन वो डिप्लोमेट हेनरी अल्फ्रेंड बायरोड के दफ्तर पहुंच गए। वहां उन्होंने इस बात पर खीझ निकाली कि अमेरिका अब तक पाकिस्तान को हथियारों की मदद नहीं दे रहा है। ‘द यूनाइटेड स्टेट्स एंड पाकिस्तान, 1947-2000: डिसएनचेंटेड अलायज’ (The United States and Pakistan, 1947-2000, Disenchanted Allies) नामक किताब में इस घटना का जिक्र है। इस पुस्तक के अनुसार, अयूब ने बायरोड से कहा, ‘मैं यहां आपके बैरक देखने नहीं आया। आप चाहें तो हमारी आर्मी आपकी आर्मी हो सकती है, लेकिन कोई फैसला तो लीजिए।’ बायरोड ने अयूब खान की झल्लाहट याद करते हुए यह बात बताई।

पाकिस्तान के पहले आर्मी चीफ ही चल गए अमेरिका के पाले में
दरअसल, अमेरिका, पाकिस्तान को हथियारों की मदद देने को तैयार था, लेकिन भारत की आपत्ति पर वह बदले में पाकिस्तान से यह आश्वासन चाहता था कि उनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होगा। अयूब खान इसकी गारंटी देने से कतरा रहे थे। यही वजह रही कि अमेरिका आर्म्स एड को टाल रहा था। तब अयूब ने अपनी झल्लाहट बायरोड के सामने निकाल दी। अमेरिका से सैन्य संबंध स्थापित करने की पाकिस्तान की तरफ से यह पहली कोशिश थी। अयूब खान 17 जून 1951 को पाकिस्तानी आर्मी के चीफ बने थे। उन्होंने बतौर आर्मी चीफ 1953 में पहला दौरा तुर्की का किया और फिर अमेरिका गए। अयूब पेंटागन गए, विदेश मंत्रालय भी और जमकर आर्म्स एड के लिए जमकर लॉबिंग की।

Imran Khan Trust Vote: ‘कप्‍तान’ इमरान खान की एक बॉल पर पाकिस्‍तानी विपक्ष बोल्‍ड, अब क्‍या करेंगे शाहबाज शरीफ-बिलावल भुट्टो?
आर्म्स एड का सिलसिला और ट्रंप का बैन
अयूब का अमेरिका से आर्म्स एड की मांग के साथ ही पाकिस्तान के अमेरिकी कैंप में जाने का संकेत मिल गया। दरअसल, अमेरिका भी उन देशों में शामिल रहा जिन्होंने भारत विभाजन से पैदा हुए पाकिस्तान को पहले पहल मान्यता दे दी थी। 14 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान अस्तित्व में आया था और अमेरिका ने महज दो महीनों बाद ही 20 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तान के साथ रिश्ते बना लिए थे। तब से 2016 तक अमेरिका ने पाकिस्तान को 78.3 अरब डॉलर (करीब 14,468 अरब पाकिस्तानी रुपये) की सालाना मदद दी थी।

20 जनवरी, 2017 को डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने और सैन्य सहायता के रूप में मिल रही मोटी रकम पर रोक लगा दी थी। पाकिस्तान तो पाकिस्तान है। जैसे ही इमदाद रुकी, पाकिस्तान उस अमेरिका को दुश्मन बताने लगा जिससे उसने अपनी पैदाइश के साथ ही दोस्ती गांठ ली थी। लेकिन मजे की बात है कि अमेरिका के खिलाफ बयानबाजियां पाकिस्तानी नेताओं की तरफ से ही होती हैं, वहां की सेना कभी खुलकर अमेरिका के खिलाफ नहीं बोलती है।

पांच मिनट में विपक्ष का खेल बिगाड़ गए इमरान खान, जानें पाकिस्तानी संसद में सत्तापक्ष ने कैसे पलट दिया पाशा
यूं ही इमरान के सामने नहीं खड़ा हो गए बाजवा

यही वजह है कि जब प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी सरकार गिराने के पीछे अमेरिका के हाथ होने का दावा किया तो आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा तुरंत डैमेज कंट्रोल करने लगे। इस्लामाबाद सिक्यॉरिटी डायलॉग में जनरल बाजवा ने पाकिस्तान और अमेरिका के ऐतिहासिक संबंधों की दुहाई दी और कहा कि दोनों देश परंपरागत तौर पर एक-दूसरे का साथ देते रहे हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री इमरान खान नाम लिए बिना बार-बार कहते रहे हैं कि अमेरिका ने उनकी चुनी हुई सरकार को गिराने की साजिश रची है।


अमेरिका और पाकिस्तानी सेना की मजबूरी

बहरहाल, पाकिस्तान में संसद को भंग कर दिया गया है और अब वहां नए सिरे से चुनाव होंगे। कहा जाता है कि पाकिस्तानी सेना ने प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने एक यह विकल्प भी रखा था कि वो संसद भंग करके चुनाव करवा लें। पाकिस्तान की नैशनल असेंबली में जिस तरह पांच मिनट के अंदर विपक्ष का पाशा पलट दिया गया, उससे किसी को भी समझने में देर नहीं लगेगी कि दरअसल इमरान खान की सरकार ने सेना की लिखी स्क्रिप्ट पर ही काम किया है। इससे यह फिर से साबित होता है कि पाकिस्तान की सेना अमेरिका से अपने ऐतिहासिक रिश्तों पर कुठाराघात कभी नहीं करना चाहती है। इसी वजह से यह संदेह भी जताया जाता है कि इस बार होने वाले चुनाव में इमरान खान के सत्ता में लौटने की उम्मीद नहीं के बराबर ही है।



Source link