सस्ते तेल का ऑफर, दुश्मन भी लगाए हैं आस… रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच कैसे अहम हुआ भारत, क्या उठा पाएगा फायदा? h3>
Russia-Ukraine War: रूस ने यूक्रेन पर जब हमला किया था तो लग रहा था कि भारत पूरे मामले में फंस जाएगा। हालांकि, उसने बड़ी होशियारी के साथ पूरे मामले को संभाला। इस हमले के लिए दुनिया के ज्यादातर मुल्कों ने एक सुर में रूस को कसूरवार ठहराया। हालांकि, भारत इससे अलग रहा। वह किसी एक के पाले में नहीं खड़ा हुआ। अलबत्ता, अपना स्टैंड लिया। वो शुरू से पूरे मामले में तटस्थ (Neutral stand of India) रहा। उसने कूटनीति और बातचीत के जरिये इस समस्या का समाधान खोजने की वकालत की। भारत ने युद्ध में आमने-सामने दोनों पक्षों के साथ बातचीत जारी रखी। दोनों से शांति की अपील की। बीच-बचाव में अपनी सार्थक भागीदारी की भी पेशकश की। इस पॉलिसी के भारत को फायदे ही फायदे देखने को मिले हैं। वह केंद्र में खड़ा हो गया है। उसने पुराने दोस्त रूस का तो भरोसा जीता ही है, पश्चिमी मुल्कों से भी उसके रिश्तों पर आंच नहीं आई है। इस पूरे युद्ध ने भारत की मोलतोल (Bargaining Power of India) की ताकत कई गुना बढ़ा दी है। इस जरिये वह अपने कई मसलों को सुलझाता हुआ दिख रहा है। इसी सूझबूझ के कारण युद्धग्रस्त क्षेत्र से वह अपने नागरिकों को भी सुरक्षित निकाल पाने में सफल रहा।
पिछले कुछ दिनों में भारत में कई देशों के शीर्ष नेताओं का चक्कर मारना अपने आप में काफी बातों का संकेत देता है। चीन और ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों का भारत दौरा। अमेरिका के डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर का आना। उसके साथ ही रूस के विदेश मंत्री की यात्रा अपने आप में यह बताने के लिए काफी है कि भारत का कद और महत्व किस हद तक बढ़ गया है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने तो यहां तक कह डाला कि भारत युद्ध में शामिल दोनों देशों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।
रूस ने खोलींं ऑफरों की पोटलियां
रूस ने भारत के लिए ऑफरों की सारी पोटलियां खोल दी हैं। भारत के स्टैंड ने उसे इतना खुश कर दिया है कि वह बिना किसी शर्त के कारोबार करना चाहता है। उसने दो-टूक कह दिया है कि भारत को जो कुछ भी चाहिए रूस उसे देने के लिए तैयार है। यहां तक डॉलर में पेमेंट का रोड़ा हटाने का भी रास्ता बना दिया है। दोनों देशों की स्थानीय मुद्राओं में यह सौदा हो सकता है। यह भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का बड़ा मौका देता है। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल (क्रूड) आयात करता है। वहीं, रूस दुनिया में तेल और गैस के सबसे बड़े सप्लायरों में एक है। बेशक, रूस 1950 के दौर से हमारा बेहद करीबी दोस्त रहा है। उसने हर मौके पर भारत का साथ दिया है। लेकिन, इस स्तर की पेशकश उसने पहली बार की है।
रूस का नजदीक आना एक और लिहाज से महत्वपूर्ण है। इसके जरिये चीन की आक्रामकता को काबू में रखा जा सकता है। रूस-चीन के बेहद अच्छे रिश्ते हैं। यह सही है कि रूस हमारे लिए चीन के साथ जंग नहीं कर लेगा। हालांकि, वह भविष्य में बीच का रास्ता निकालने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। यह बात भी गौर करने वाली है कि भौगोलिक रूप से पश्चिमी देशों की दूरी भारत से काफी ज्यादा है। वहीं, ये दोनों महाशक्तियां बिल्कुल पड़ोस में हैं।
सब कुछ भारत के पक्ष में आ रहा नजर
चीन भी शायद भारत के साथ रूस के नए सिरे से बदलते समीकरणों को समझ रहा है। यही कारण है कि गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़पों के बाद पहली बार चीन को कोई मंत्री भारत आया। चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बयानों पर भी गौर करने की जरूरत है। उन्होंने भारत के साथ संबंधों को सुधारने पर जोर दिया। वांग यी का भारत आना इत्तेफाक नहीं था। वह यह संदेश भी लाए थे कि आर्थिक प्रतिबंधों से निपटने में वह रूस का समर्थन करने वाले हैं।
उधर, पश्चिमी देशों की बात करें तो उन्होंने भारत की मजबूरी को समझा है। वो जानते हैं कि रूस पर सैन्य निर्भरता के कारण भारत उनके सुर में सुर नहीं मिला सकता है। पहले भी अमेरिका सहित तमाम पश्चिमी देशों का पलड़ा जब पाकिस्तान की तरफ झुका हुआ था, तब भी रूस पूरे दमखम से भारत के साथ खड़ा हुआ था। आज पश्चिमी देश पाकिस्तान और चीन दोनों से उखड़े हुए हैं। इसके चलते वो भारत को तवज्जो दे रहे हैं। यूक्रेन युद्ध के बीच उन्होंने भारत के साथ रिश्तों को और बेहतर बनाने पर जोर दिया है। ताजा स्थितियों ने भारत को अपनी शर्तों पर सभी के साथ संतुलित संबंध बनाने की खुली छूट दे दी है। हाल के समय में शायद ही उसके सामने ऐसी स्थितियां बनी हैं। पाकिस्तान जैसे दुश्मन मुल्क भी आज भारत के स्टैंड की वाहवाही करते दिख रहे हैं।
रूस ने खोलींं ऑफरों की पोटलियां
रूस ने भारत के लिए ऑफरों की सारी पोटलियां खोल दी हैं। भारत के स्टैंड ने उसे इतना खुश कर दिया है कि वह बिना किसी शर्त के कारोबार करना चाहता है। उसने दो-टूक कह दिया है कि भारत को जो कुछ भी चाहिए रूस उसे देने के लिए तैयार है। यहां तक डॉलर में पेमेंट का रोड़ा हटाने का भी रास्ता बना दिया है। दोनों देशों की स्थानीय मुद्राओं में यह सौदा हो सकता है। यह भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का बड़ा मौका देता है। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल (क्रूड) आयात करता है। वहीं, रूस दुनिया में तेल और गैस के सबसे बड़े सप्लायरों में एक है। बेशक, रूस 1950 के दौर से हमारा बेहद करीबी दोस्त रहा है। उसने हर मौके पर भारत का साथ दिया है। लेकिन, इस स्तर की पेशकश उसने पहली बार की है।
रूस का नजदीक आना एक और लिहाज से महत्वपूर्ण है। इसके जरिये चीन की आक्रामकता को काबू में रखा जा सकता है। रूस-चीन के बेहद अच्छे रिश्ते हैं। यह सही है कि रूस हमारे लिए चीन के साथ जंग नहीं कर लेगा। हालांकि, वह भविष्य में बीच का रास्ता निकालने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। यह बात भी गौर करने वाली है कि भौगोलिक रूप से पश्चिमी देशों की दूरी भारत से काफी ज्यादा है। वहीं, ये दोनों महाशक्तियां बिल्कुल पड़ोस में हैं।
सब कुछ भारत के पक्ष में आ रहा नजर
चीन भी शायद भारत के साथ रूस के नए सिरे से बदलते समीकरणों को समझ रहा है। यही कारण है कि गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़पों के बाद पहली बार चीन को कोई मंत्री भारत आया। चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बयानों पर भी गौर करने की जरूरत है। उन्होंने भारत के साथ संबंधों को सुधारने पर जोर दिया। वांग यी का भारत आना इत्तेफाक नहीं था। वह यह संदेश भी लाए थे कि आर्थिक प्रतिबंधों से निपटने में वह रूस का समर्थन करने वाले हैं।
उधर, पश्चिमी देशों की बात करें तो उन्होंने भारत की मजबूरी को समझा है। वो जानते हैं कि रूस पर सैन्य निर्भरता के कारण भारत उनके सुर में सुर नहीं मिला सकता है। पहले भी अमेरिका सहित तमाम पश्चिमी देशों का पलड़ा जब पाकिस्तान की तरफ झुका हुआ था, तब भी रूस पूरे दमखम से भारत के साथ खड़ा हुआ था। आज पश्चिमी देश पाकिस्तान और चीन दोनों से उखड़े हुए हैं। इसके चलते वो भारत को तवज्जो दे रहे हैं। यूक्रेन युद्ध के बीच उन्होंने भारत के साथ रिश्तों को और बेहतर बनाने पर जोर दिया है। ताजा स्थितियों ने भारत को अपनी शर्तों पर सभी के साथ संतुलित संबंध बनाने की खुली छूट दे दी है। हाल के समय में शायद ही उसके सामने ऐसी स्थितियां बनी हैं। पाकिस्तान जैसे दुश्मन मुल्क भी आज भारत के स्टैंड की वाहवाही करते दिख रहे हैं।