Karnataka news : कर्नाटक सरकार ने 4 साल के दलित बच्चे के नाम पर रखा योजना का नाम, जानें क्यों खास बन गया विनय? h3>
बेंगलुरु : कर्नाटक के कोप्पल में एक दलित लड़के के परिवार पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया क्योंकि उनके 4 वर्षीय बेटे विनय ने मियापुर गांव में मारुति मंदिर में प्रवेश किया था। इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है। परिवार गांव लौट आया है। इतना ही नहीं कर्नाटक सरकार ने दलित बच्चे के नाम पर अपनी एक योजना का नाम भी रखा है।
तीन दिन पहले, राज्य के समाज कल्याण मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी ने विधानसभा में घोषणा की कि सरकार 14 अप्रैल को दलित लड़के के नाम पर एक अभियान ‘विनय सामरस्य योजना’ शुरू करने जा रही है। 14 अप्रैल को ही आंबेडकर जयंती है।
25000 लगाया गया था जुर्माना
घटना 4 सितंबर 2021 की है। विन मारूति मंदिर में चला गया था। परिवार पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया और उनका सामाजिक बहिष्कार भी किया गया। जुर्माने की रकम से मंदिर में हवन और शुद्धिकरण किया गया। सामाजिक बहिष्कार के बाद विनय के परिवार ने दिसंबर 2021 में गांव छोड़ दिया।
सामाजिक बहिष्कार के बाद परिवार ने छोड़ा था गांव
गांव में डेप्युटी कमिश्नर और कोप्पल के एसपी पहुंचे। उन्हें परिवार नहीं मिला। बाद में उन लोगों को ढूंढा गया। मामला दर्ज किया और पांच लोगों को गिरफ्तार किया। परिवार को गांव लाया गया। मामला पूरी तरह से सुलझा लिया गा। तीन दिन पहले मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी पहुंचे और उन्होंने योजना शुरू करने का ऐलान किया। विनय के पिता चंद्रशेखर शिवप्पा दसर ने बताया कि वह राज्य में अस्पृश्यता उन्मूलन के लिए शुरू किए जा रहे कार्यक्रम का स्वागत करते हैं।
‘गांव के लोग कहते हैं शनि’
चंद्रशेखर ने कहा, ‘हालांकि, हम चाहते हैं कि किसी भी बच्चे या परिवार को इस तरह की यातना न झेलनी पड़े। अधिकारियों ने कार्रवाई की लेकिन लोगों की मानसिकता बदलने की जरूरत है। अगर कोई बच्चा हमारे पास आता भी तो माता-पिता उसे यह कहते हुए जोर-जोर से डांटते थे कि हम गांव के लिए ‘शनि’ हैं। हमारे समुदाय के लोगों ने भी दूरी बनाए रखी। हमने महसूस किया कि इस मानसिकता को कोई भी सरकार या अधिकारी नहीं बदल सकता है और हम पुलिस या अन्य विभाग की सुरक्षा चौबीसों घंटे नहीं मांग सकते।
अब गांव में नहीं रहना चाहता परिवार
विनय के पिता ने कहा, ‘मेरे बेटे के नाम पर एक अभियान की योजना बनाने के लिए हम सरकार को धन्यवाद देते हैं। लेकिन, मियापुर में सामाजिक बहिष्कार से परेशान होकर, हम 22 दिसंबर, 2021 को मेरी पत्नी ललिता के गृह नगर, येलबर्ग तालुक में कुडागुंटी गांव चले गए। तीन महीने पहले उसने एक और बच्चे को जन्म दिया। हम वापस कुश्तगी चले जाएंगे। जिला प्रशासन ने आर्थिक मदद दी है और वह कुश्तगी में कार धुलाई केंद्र स्थापित करने की तैयारी कर रहे हैं। 5 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया है और हमारे पास व्यवसाय के लिए उपकरण हैं।’
लोगों को बीच फैलाई जाएगी जागरूकता
कोप्पल के डिप्टी कमिश्नर सुरलकर विकास किशोर ने बताया कि प्रशासन ने डॉ. आंबेडकर डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन से 75,000 रुपये मुआवजा और 1 लाख रुपये की सब्सिडी मंजूर की है। हालांकि परिवार ने पुलिस शिकायत दर्ज करने में संकोच किया, हमने पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। हम परिवार को कृषि भूमि की मंजूरी की भी प्रक्रिया कर रहे हैं। इस बीच, हम अस्पृश्यता के बारे में जागरूकता पैदा कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि विनय समरस्य योजना इसे खत्म करने में मदद करेगी।
कर्नाटक के मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी
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तीन दिन पहले, राज्य के समाज कल्याण मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी ने विधानसभा में घोषणा की कि सरकार 14 अप्रैल को दलित लड़के के नाम पर एक अभियान ‘विनय सामरस्य योजना’ शुरू करने जा रही है। 14 अप्रैल को ही आंबेडकर जयंती है।
25000 लगाया गया था जुर्माना
घटना 4 सितंबर 2021 की है। विन मारूति मंदिर में चला गया था। परिवार पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया और उनका सामाजिक बहिष्कार भी किया गया। जुर्माने की रकम से मंदिर में हवन और शुद्धिकरण किया गया। सामाजिक बहिष्कार के बाद विनय के परिवार ने दिसंबर 2021 में गांव छोड़ दिया।
सामाजिक बहिष्कार के बाद परिवार ने छोड़ा था गांव
गांव में डेप्युटी कमिश्नर और कोप्पल के एसपी पहुंचे। उन्हें परिवार नहीं मिला। बाद में उन लोगों को ढूंढा गया। मामला दर्ज किया और पांच लोगों को गिरफ्तार किया। परिवार को गांव लाया गया। मामला पूरी तरह से सुलझा लिया गा। तीन दिन पहले मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी पहुंचे और उन्होंने योजना शुरू करने का ऐलान किया। विनय के पिता चंद्रशेखर शिवप्पा दसर ने बताया कि वह राज्य में अस्पृश्यता उन्मूलन के लिए शुरू किए जा रहे कार्यक्रम का स्वागत करते हैं।
‘गांव के लोग कहते हैं शनि’
चंद्रशेखर ने कहा, ‘हालांकि, हम चाहते हैं कि किसी भी बच्चे या परिवार को इस तरह की यातना न झेलनी पड़े। अधिकारियों ने कार्रवाई की लेकिन लोगों की मानसिकता बदलने की जरूरत है। अगर कोई बच्चा हमारे पास आता भी तो माता-पिता उसे यह कहते हुए जोर-जोर से डांटते थे कि हम गांव के लिए ‘शनि’ हैं। हमारे समुदाय के लोगों ने भी दूरी बनाए रखी। हमने महसूस किया कि इस मानसिकता को कोई भी सरकार या अधिकारी नहीं बदल सकता है और हम पुलिस या अन्य विभाग की सुरक्षा चौबीसों घंटे नहीं मांग सकते।
अब गांव में नहीं रहना चाहता परिवार
विनय के पिता ने कहा, ‘मेरे बेटे के नाम पर एक अभियान की योजना बनाने के लिए हम सरकार को धन्यवाद देते हैं। लेकिन, मियापुर में सामाजिक बहिष्कार से परेशान होकर, हम 22 दिसंबर, 2021 को मेरी पत्नी ललिता के गृह नगर, येलबर्ग तालुक में कुडागुंटी गांव चले गए। तीन महीने पहले उसने एक और बच्चे को जन्म दिया। हम वापस कुश्तगी चले जाएंगे। जिला प्रशासन ने आर्थिक मदद दी है और वह कुश्तगी में कार धुलाई केंद्र स्थापित करने की तैयारी कर रहे हैं। 5 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया है और हमारे पास व्यवसाय के लिए उपकरण हैं।’
लोगों को बीच फैलाई जाएगी जागरूकता
कोप्पल के डिप्टी कमिश्नर सुरलकर विकास किशोर ने बताया कि प्रशासन ने डॉ. आंबेडकर डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन से 75,000 रुपये मुआवजा और 1 लाख रुपये की सब्सिडी मंजूर की है। हालांकि परिवार ने पुलिस शिकायत दर्ज करने में संकोच किया, हमने पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। हम परिवार को कृषि भूमि की मंजूरी की भी प्रक्रिया कर रहे हैं। इस बीच, हम अस्पृश्यता के बारे में जागरूकता पैदा कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि विनय समरस्य योजना इसे खत्म करने में मदद करेगी।
कर्नाटक के मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी