AIIMS Appointment : एम्स में इलाज के लिए नहीं आए ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेने वाले 61.33% लोग

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AIIMS Appointment : एम्स में इलाज के लिए नहीं आए ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेने वाले 61.33% लोग

AIIMS Appointment : एम्स में इलाज के लिए नहीं आए ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेने वाले 61.33% लोग

नई दिल्ली: क्या आपने कभी दिल्ली एम्स में इलाज करवाया है या फिर परिजन, रिश्तेदार, मित्र या परिचित के लिए भी एम्स गए हैं? अगर आप किसी भी रूप में उस प्रक्रिया से वाकिफ हैं जिनसे होकर दिल्ली एम्स में इलाज करवाना संभव हो पाता है तो संभवतः आपकी मुराद यही होगी कि फिर कभी वहां जाने की जरूरत नहीं पड़े। सबसे पहली चुनौती तो डॉक्टर का अपॉइंटमेंट लेना ही है। एम्स ने ऑनलाइन अपॉइंटमेंट की सुविधा दे रखी है, लेकिन यह हाथी का दांत ही है। हकीकत में एम्स पोर्टल पर ऑनलाइन अपॉइंटमेंट हमेशा फुल ही दिखता है। ऐसे में आपको अस्पताल जाकर लंबी लाइन में लगना होता है।

अपॉइंटमेंट लेने में इतनी मुसीबत और दूसरी तरफ ये हाल

कई बार जब घंटे भर लाइन में लगकर खिड़की तक पहुंचते हैं तो कहा जाता है कि अब आज का कोटा पूरा हो गया, अगले दिन आएं। इस स्थिति से बचना हो तो आपको खिड़की खुलने से घंटों पहले लाइन में लग जानी पड़ती है। इतनी मशक्कत के बाद मिलता है तो क्या- सिर्फ अपॉइंटमेंट। अब अगर आपको पता चले कि ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेने वाले आधे से ज्यादा लोग इलाज करवाने आते ही नहीं हैं तो क्या गुजरेगी? जो भी गुजरे, लेकिन यही सच है। देश के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान में 61.33 प्रतिशत यानी 28,926 मरीज ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेकर ओपीडी में इलाज के लिए नहीं आए।

दरअसल, एम्स में ओपीडी में 50 फीसदी स्लॉट नए मरीजों के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए उपलब्ध कराया गया है। बाकी 50 फीसदी ऑफलाइन वालों के लिए है। इस साल जनवरी और फरवरी के बीच एम्स में कुल 57,161 ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हुए। एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से ऐसा देखा जा रहा है। यह संख्या अब ज्यादा ही बढ़ती जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा हो सकता है कि कई बार जरूरी काम की वजह से मरीज इलाज के लिए नहीं आ पाते, खासकर जो लोग दिल्ली से बाहर के होते हैं। इससे जरूरतमंद मरीज को अपॉइंटमेंट नहीं मिल पा रहा है।

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‘नहीं आ सकते तो अपॉइंटमेंट कैंसल करें’
एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि ऑनलाइन की सुविधा इसलिए दी गई है कि लोग जरूरत के अनुसार अपॉइंटमेंट ले सकें। पहले लोग इसके लिए रात में लाइन में लगते थे। इसके बावजूद कई लोगों का रजिस्ट्रेशन नहीं होता था। इस कारण प्रशासन ने ओपीडी में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी। धीरे-धीरे इसका चलन तो बढ़ा, लेकिन अब लोग पहले ही समय ले रहे हैं और फिर नहीं आ रहे हैं। ऐसे लोगों को अपना अपॉइंटमेंट कैंसल कर देना चाहिए। इससे उस दिन जरूरतमंद मरीजों को दिखाना आसान हो सकता है।

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यूं ही नहीं कहते- अस्पताल और अदालत से भगवान बचाए

हम राह चलते सुनते रहते हैं कि ऊपर वाला कभी किसी को अस्पताल और अदालत के चक्कर नहीं लगवाए। स्वाभाविक है कि कोई बीमार नहीं पड़ना चाहता और न ही केस-मुकदमों में फंसना चाहता है। इससे इतर जब अस्पतालों में बेतहाशा भीड़ हो और अदालतों से तारीख पर तारीख मिले, फिर तो मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ता है। कम-से-कम दिल्ली एम्स की हालत यही है कि नंबर लगाने से लेकर डॉक्टर से कंसल्ट करने तक इतनी लंबी-लंबी लाइनें लगती हैं कि आप तौबा ही कर देंगे। ऊपर से अगर दो-चार जांच करवाने को कह दिया गया, तब तो हालत और भी पस्त। ऐसी स्थिति में अगर आधा से ज्यादा लोग अपॉइंटमेंट लेकर इलाज के लिए पहुंचें ही नहीं तो सोचिए जरूरतमंदों की मुश्किलें और कितनी बढ़ जाती होगी।



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