AK Sharma: श्रीकांत शर्मा + आशुतोष टंडन = एके शर्मा, योगी कैबिनेट में सबसे कद्दावर मंत्रियों में हुए शुमार…

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AK Sharma: श्रीकांत शर्मा + आशुतोष टंडन = एके शर्मा, योगी कैबिनेट में सबसे कद्दावर मंत्रियों में हुए शुमार…

AK Sharma: श्रीकांत शर्मा + आशुतोष टंडन = एके शर्मा, योगी कैबिनेट में सबसे कद्दावर मंत्रियों में हुए शुमार…

लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के करीबी रहे प्रशासनिक पदाधिकारी से राजनेता बने अरविंद कुमार शर्मा (AK Sharma) को योगी आदित्यनाथ की नई कैबिनेट में इस बार जगह मिली। ओहदा भी ऐसा कि पिछली सरकार के दो मंत्री समा जाएं। एके शर्मा के भारतीय जनता पार्टी में आने और फिर लखनऊ पहुंचने के बाद से ही पार्टी में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। एक बार तो एके शर्मा को योगी के विकल्प के रूप में पेश करने की अफवाह तक उड़ी। हालांकि, पार्टी ने इन चर्चाओं पर विराम लगा दिया था। हालांकि, योगी सरकार 2.0 की शुरुआत के साथ ही एके शर्मा की धमक यूपी की राजनीति में महसूस की जाने लगी है।

अरविंद कुमार शर्मा को योगी सरकार के मंत्रिमंडल बंटवारे में अहम विभाग दिए गए हैं। एके शर्मा योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। ऊर्जा विभाग और नगर विकास विभाग दिया गया है। योगी सरकार के पहले कार्यकाल में ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी श्रीकांत शर्मा को मिली हुई थी। वहीं, नगर विकास विभाग आशुतोष टंडन के पास था। इन दोनों को इस बार के योगी कैबिनेट से बाहर कर दिया गया है। उनके दोनों को जो विभाग मिले हुए थे, उन्हें एके शर्मा को देकर बड़ा दांव खेला गया है। ऐसे में दो मंत्रियों के बराबर शक्ति हासिल करने में वे कामयाब रहे हैं। इसके साथ ही वे योगी सरकार के कद्दावर मंत्रियों में शुमार हो गए हैं।

आईएएस से राजनेता और अब दमदार मंत्री तक का सफर
मऊ जिले में 11 अप्रैल 1962 को एके शर्मा को जन्मे एके शर्मा गुजरात कैडर के आईएएस पदाधिकारी रहे हैं। गुजरात कैडर 1988 बैच के आईएएस पदाधिकारी अपने दमदार फैसलों और कार्य के लिए जाने जाते रहे हैं। उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी का काफी करीबी माना जाता है। एके शर्मा वर्ष 2001 से वर्ष 2013 तक गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय और वर्ष 2014 से वर्ष 2020 तक पीएमओ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगी अधिकारी के रूप में काम कर चुके हैं। मोदी के पीएम बनने के बाद वे वर्ष 2014 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली आ गए थे। पीएमओ में उन्हें संयुक्त सचिव बनाया गया। रिटायरमेंट से पहले पीएमओ में वे अतिरिक्त सचिव थे।

काफी छोटा है राजनीतिक करियर
एके शर्मा का राजनीतिक काफी छोटा रहा है। उन्होंने वर्ष 2021 के जनवरी माह में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। उस समय प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और तत्कालीन डिप्टी सीएम एके शर्मा ने पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। इसके बाद उन्हें विधान परिषद का सदस्य बना दिया गया। राजनीति में कदम रखने से पहले एके शर्मा पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लगातार सक्रिय रहे थे। पीएम मोदी ने स्वयं वाराणसी में विशेष कोविड प्रबंधन के लिए सराहना की थी। हालांकि, सक्रिय राजनीति में उनका करियर महज 14 महीने का है। उन्हें इस कम अवधि में ही दो बड़े विभागों का दायित्व सौंपा गया है।

ऊर्जा और नगर विकास है सरकार की प्राथमिकता
यूपी में सरकार की प्राथमिकता ऊर्जा और नगर विकास रही है। वर्ष 2017 से पहले यूपी में बिजली की स्थिति को लेकर भाजपा ने विपक्ष पर बड़ा हमला बोला था। इसका असर लोगों के समर्थन के रूप में उन्हें मिला। यूपी सरकार ने बिजली वितरण में असमानता को दूर कर स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में काम किया है। एके शर्मा के समक्ष चुनौती होगी कि वे उन कार्यों को और बेहतर बनाएं। भाजपा ने चुनावी घोषणापत्र में किसानों को मुफ्त बिजली देने की घोषणा की है। इसे उन्हें लागू कराना होगा।

यूपी में शहरीकरण की रफ्तार को तेज करना भी अब एके शर्मा के लिए चुनौती होगी। केंद्र सरकार की ओर से चलने वाला स्वच्छता कार्यक्रम हो गया फिर स्मार्ट सिटी योजना, इसको प्रभावी तरीके से लागू करने की रणनीति तैयार करनी होगी। यूपी के शहरों में ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की योजनाओं को भी तेजी से पूरा कराने का लक्ष्य होगा।

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