Chinese Naval Base: जिबूती में पहली बार नजर आया चीनी नौसेना का युद्धपोत, शी जिनपिंग का मकसद तो जानिए

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Chinese Naval Base: जिबूती में पहली बार नजर आया चीनी नौसेना का युद्धपोत, शी जिनपिंग का मकसद तो जानिए

Chinese Naval Base: जिबूती में पहली बार नजर आया चीनी नौसेना का युद्धपोत, शी जिनपिंग का मकसद तो जानिए

जिबूती सिटी: चीनी नौसेना (Chinese Navy) पूरी दुनिया में अपनी रणनीतिक पहुंच को तेजी से बढ़ा रही है। इस बीच अफ्रीकी देश जिबूती में नए बेस (Chinese Naval Base in Djibouti) पर चीनी नौसेना के एक युद्धपोत को पहली बार देखा गया है। अदन की खाड़ी के पास स्थित होने के कारण यह जगह रणनीतिक रूप से काफी अहम है। जिबूती में चीन का नौसैनिक अड्डा (China Overseas Military Base) भी कई साल से मौजूद है, लेकिन अभी तक यहां किसी युद्धपोत की तैनाती नहीं की गई थी। ऐसे में यूरोप में जारी तनाव के बीच चीनी युद्धपोत की जिबूती में पहली बार मौजूदगी को काफी अहम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग चीनी नौसेना को ब्लू वाटर नेवी बनाना चाहते हैं, जिसकी पहुंच पूरी दुनिया के महासागरों तक हो।

जिबूती में चीनी युद्धपोत को देख चौंके विशेषज्ञ
दुनियाभर के देशों की नौसेनाओं पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ एच. आई. सटन ने Covert Shores में बताया है कि जिबूती में चीनी युद्धपोत की पहली बार तैनाती चौंकाने वाली है। सटन ने कहा कि चीन ने जिबूती में नौसैनिक अड्डे की इमारत को बहुत पहले ही तैयार कर लिया था, लेकिन किसी युद्धपोत की तैनाती नहीं की थी। ऐसे में जिबूती में युद्धपोत की तैनाती से चीन की विदेशी महत्वाकांक्षाएं और अधिक उभरकर सामने आ रही हैं। इस रणनीतिक स्थान से चीन हिंद महासागर के अलावा मध्य पूर्व में अपनी नौसैनिक पहुंच को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

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जिबूती के आसपास गश्त लगा रहे चीनी नौसेेना के कई युद्धपोत
उन्होंने बताया कि जिबूती में तैनात चीनी युद्धपोत टाइप-903ए क्लास का एक रिप्लेनिशमेंट शिप है। यह इस इलाके में सक्रिय चीनी नौसेना के युद्धपोतों की टुकड़ी में शामिल है। एस्कॉर्ट टास्क फोर्स के नाम से जानी जाने वाली ये टुकड़ी पिछले कई साल से समुद्री डकैती रोधी अभियानों का संचालन कर रही है। इसके अलावा इस टुकड़ी में शामिल युद्धपोत इलाके में मौजूद अमेरिकी और पश्चिमी देशों के युद्धपोतों की निगरानी भी करते हैं। इस टुकड़ी में चीनी नौसेना के डिस्ट्रॉयर्स, एम्फीबियस शिप और फ्रिगेट्स शामिल हैं।

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चीन की एस्कॉर्ट टास्क फोर्स में शामिल युद्धपोतों को जानें
वर्तमान में चीन की 40वीं एस्कॉर्ट टास्क फोर्स में तीन युद्धपोत शामिल हैं। इनमें से एक टाइप-052डी क्लास गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर होहोट (161), दूसरा टाइप-054ए क्लास फ्रिगेट युएयांग (575) और तीसरा लुओमाहू क्लास का युद्धपोत (907) है। ऐसे में चीन ने जिबूती में नए बेस पर युद्धपोतों को डॉक करने के लिए लंबे-लंबे डॉकिंग साइट बनाए हैं। यहां चीनी एयरक्राफ्ट कैरियरों को भी डॉक किया जा सकता है, हालांकि वर्तमान में सक्रिय चीन के दो एयरक्राफ्ट कैरियरों में से कोई भी अभी तक हिंद महासागर में प्रवेश नहीं किया है।

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जिबूती में चीन की दिलचस्पी का कारण क्या है
जिबूती दुनिया के सबसे बड़े समुद्री व्यापारिक मार्ग के किनारे बसा देश है। स्वेज नहर से आने-जाने वाले सभी व्यापारिक जहाज जिबूती के नजदीक से गुजरते हैं। ऐसे में चीन ने जिबूती में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए भारी मात्रा में निवेश भी किया है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत चीन ने जिबूती को भारी मात्रा में कर्ज दिया है। इसमें रेलवे लाइन का निर्माण, कंटेनर डिपो, सड़कें और इमारतों का निर्माण जैसी कई परियोजनाएं भी शामिल हैं। यही कारण है कि जिबूती में चीन की मौजूदगी से पश्चिमी देशों के कान खड़े हो गए हैं।

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जिबूती में सिर्फ चीन ही नहीं अमेरिका, फ्रांस का भी सैन्य अड्डा
जिबूती का रणनीतिक महत्व इतना ज्यादा है कि इस देश में अमेरिका, फ्रांस और स्पेन ने भी अपने सैन्य अड्डे बनाए हुए हैं। यूएस-अफ्रीका कमांड का हेड क्वॉर्टर कैम्प लेमोनियर में है, जो अफ्रीका में अमेरिका का एक मात्र स्थायी बेस है। जापान, इटली और स्पेन के बेस भी यहीं मौजूद हैं। सऊदी अरब अपना बेस बनाने की सोच रहा है। फ्रांस की मौजूदगी 1894 से है क्योंकि अभी का जिबूती कभी फ्रेंच सोमालीलैंड कहलाता था जो कि 1977 तक फ्रांस का उपनिवेश था।



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