Ukraine news:भारत सरकार ने भारतीय छात्रों के संबंध में दिया गलत हलफनामा,बूंदी कलेक्टर के जरिए जानकारी पहुंचेगी राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट तक h3>
अर्जुन अरविंद,जयपुर/बूंदी:रूस- यूक्रेन युद्ध के बीच फंसे भारतीय छात्रों को लेकर राजनीति जारी है। इसी बीच सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेसी नेता चर्मेश शर्मा ने बूंदी जिले में जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम भेजे गए इस ज्ञापन के अनुसार यूक्रेन में फंसे हुये भारतीय नागरिकों के विषय में भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में गलत हलफनामा पेश किया है। गलत हलफनामा पेश करने के संबंध में शर्मा ने बूंदी जिला कलेक्टर के जरिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना को तथ्यों के साथ ज्ञापन दिया है। इसमें बताया गया है कि अभी भी कई भारतीय छात्र यूक्रेन में फंसे हैं। इधर जिला कलेक्टर ने भी गंभीर मामले में दिये गये ज्ञापन को सलग्न दस्तावेजों के साथ शुक्रवार को राष्ट्रपति व सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को अग्रेषित (Forward) कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट को भारत सरकार की ओर से दी गई थी यह जानकारी
उल्लेखनीय है कि 21 मार्च को यूक्रेन में फंसे हुए भारतीय नागरिकों के विषय में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की। इस दौरान भारत सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने हलफनामा दिया। इसमें बताया गया कि भारत सरकार की ओर से यूक्रेन से सभी भारतीयों को वापस लाया जा चुका है। वहां पर अब एक भी भारतीय नहीं बचा है। भारत सरकार के इस जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह सही मानकर इस मामले का निस्तारण करते हुए केस क्लोज कर दिया था, लेकिन अब इसके विरोध में तथ्यों के साथ बूंदी से कलेक्टर के जरिए पत्र भेजा गया है।
यूक्रेन में अभी भी फंसे है भारतीय नागरिक
विदेश में संकटग्रस्त भारतीयों की सहायता के लिये कार्य कर रहे बूंदी के सामाजिक कार्यकर्ता व कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा का कहना है कि सरकार की ओर से गलत जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों के जीवन से जुड़े हुए गंभीर विषय पर बहुत ही दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से काम किया है। यूक्रेन में अभी भी कई भारतीयों का जीवन संकट में होने की सारी जानकारी विदेश मंत्रालय के माध्यम से सरकार को दी गई है। इसके बावजूद जानबूझकर न्यायपालिका और देश को गुमराह करने का काम किया गया है।
दो भारतीय छात्राओं की पासपोर्ट जानकारी के साथ भेजा ज्ञापन
शर्मा ने बताया कि यूक्रेन में फंसी भारतीय छात्रा सिमरन पासपोर्ट संख्या U72423718 और तनु पासपोर्ट संख्या U9695624 के दस्तावेज संलग्न करते हुये ज्ञापन दिया गया है। यह दोनों भारतीय छात्राएं और अन्य कई यूक्रेन के खेरसन व अन्य स्थानों में फंसे हुए है। इनके बारे में भारत सरकार को पिछले 15 दिन से अधिक समय से सारी जानकारी है।
मंत्रालय के मेल और प्रवक्ता के ट्वीट से पकड़ गई सरकार की गलती
इस मामले में जो तथ्य सामने आये हैं। उसके अनुसार भारत सरकार की ओर से 15 मार्च को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची द्वारा यूक्रेन के खेरसन से 3 भारतीय छात्रों को निकालने के किये गये। ट्वीट और 17 मार्च को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के नियंत्रण कक्ष situationroom@mea.gov.in की ओर से दोनों भारतीय छात्राओं के विषय मे विदेश मंत्रालय की आधिकारिक मेल आईडी से मेल भेजकर जानकारी मांगे गए थे।
रिकॉर्ड से स्पष्ट हो गया है कि यूक्रेन में अभी भी भारतीय नागरिकों के फंसे होने की जानकारी 21 मार्च को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के पास थी। लेकिन उसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट में गलत हलफनामा प्रस्तुत किया गया है कि अब यूक्रेन में एक भी भारतीय नागरिक नहीं रह है। सुप्रीम कोर्ट ने भी भारत सरकार की ओर से प्रस्तुत हलफनामे पर भरोसा करते हुये केस समाप्त कर दिया।
इमोशनल हुए गुलाबचंद कटारिया ने सरकारी भर्तियों में धांधली पर सरकार को घेरा, विधानसभा में ऐसे छलक पड़े आंसू
अगला लेखPetrol-Diesel: :छठवें दिन भी पेट्रोल- डीजल की कीमतों में उछाल, जानिए राजस्थान के प्रमुख जिलों का भाव
राजस्थान की और समाचार देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Rajasthan News
सुप्रीम कोर्ट को भारत सरकार की ओर से दी गई थी यह जानकारी
उल्लेखनीय है कि 21 मार्च को यूक्रेन में फंसे हुए भारतीय नागरिकों के विषय में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की। इस दौरान भारत सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने हलफनामा दिया। इसमें बताया गया कि भारत सरकार की ओर से यूक्रेन से सभी भारतीयों को वापस लाया जा चुका है। वहां पर अब एक भी भारतीय नहीं बचा है। भारत सरकार के इस जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह सही मानकर इस मामले का निस्तारण करते हुए केस क्लोज कर दिया था, लेकिन अब इसके विरोध में तथ्यों के साथ बूंदी से कलेक्टर के जरिए पत्र भेजा गया है।
यूक्रेन में अभी भी फंसे है भारतीय नागरिक
विदेश में संकटग्रस्त भारतीयों की सहायता के लिये कार्य कर रहे बूंदी के सामाजिक कार्यकर्ता व कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा का कहना है कि सरकार की ओर से गलत जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों के जीवन से जुड़े हुए गंभीर विषय पर बहुत ही दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से काम किया है। यूक्रेन में अभी भी कई भारतीयों का जीवन संकट में होने की सारी जानकारी विदेश मंत्रालय के माध्यम से सरकार को दी गई है। इसके बावजूद जानबूझकर न्यायपालिका और देश को गुमराह करने का काम किया गया है।
दो भारतीय छात्राओं की पासपोर्ट जानकारी के साथ भेजा ज्ञापन
शर्मा ने बताया कि यूक्रेन में फंसी भारतीय छात्रा सिमरन पासपोर्ट संख्या U72423718 और तनु पासपोर्ट संख्या U9695624 के दस्तावेज संलग्न करते हुये ज्ञापन दिया गया है। यह दोनों भारतीय छात्राएं और अन्य कई यूक्रेन के खेरसन व अन्य स्थानों में फंसे हुए है। इनके बारे में भारत सरकार को पिछले 15 दिन से अधिक समय से सारी जानकारी है।
मंत्रालय के मेल और प्रवक्ता के ट्वीट से पकड़ गई सरकार की गलती
इस मामले में जो तथ्य सामने आये हैं। उसके अनुसार भारत सरकार की ओर से 15 मार्च को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची द्वारा यूक्रेन के खेरसन से 3 भारतीय छात्रों को निकालने के किये गये। ट्वीट और 17 मार्च को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के नियंत्रण कक्ष situationroom@mea.gov.in की ओर से दोनों भारतीय छात्राओं के विषय मे विदेश मंत्रालय की आधिकारिक मेल आईडी से मेल भेजकर जानकारी मांगे गए थे।
रिकॉर्ड से स्पष्ट हो गया है कि यूक्रेन में अभी भी भारतीय नागरिकों के फंसे होने की जानकारी 21 मार्च को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के पास थी। लेकिन उसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट में गलत हलफनामा प्रस्तुत किया गया है कि अब यूक्रेन में एक भी भारतीय नागरिक नहीं रह है। सुप्रीम कोर्ट ने भी भारत सरकार की ओर से प्रस्तुत हलफनामे पर भरोसा करते हुये केस समाप्त कर दिया।
इमोशनल हुए गुलाबचंद कटारिया ने सरकारी भर्तियों में धांधली पर सरकार को घेरा, विधानसभा में ऐसे छलक पड़े आंसू