UP News: बीजेपी अपने संकल्प पत्र पर कायम, आवारा पशुओं से छुटकारा दिलाने के लिए शुरू हुआ काम

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UP News: बीजेपी अपने संकल्प पत्र पर कायम, आवारा पशुओं से छुटकारा दिलाने के लिए शुरू हुआ काम

UP News: बीजेपी अपने संकल्प पत्र पर कायम, आवारा पशुओं से छुटकारा दिलाने के लिए शुरू हुआ काम

विशाल वर्मा, जालौन: उत्तर प्रदेश के इटावा की लॉयन सफारी के तर्ज पर जालौन में अब काऊ सफारी बनाने की तैयारी है। इसके लिए जिला प्रशासन की तरफ से कार्य योजना तैयार कर ली गई है। सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इसे धरातल पर उतारा जाएगा। ‘काऊ सफारी’ बनने से जिले के आवारा पशुओं पर रोकथाम तो लगेगी। साथ ही काऊ सफारी में जाकर लोगों को गो सेवा करने का मौका मिलेगा।

दरअसल, देश के सामने ‘गो संरक्षण’ का मॉडल रखने के लिए मध्य प्रदेश की तत्कालीन शिवराज सरकार ने 2017 में पहली काऊ सेंचुरी बनाई थी। 472 हेक्टेयर में बने इस अभ्यारण्य में 24 शेड थे। यह काऊ सफारी आगर मालवा जिले की सुसनेर तहसील के सालरिया गांव में तैयार की गई थी। वहीं, इस बार के यूपी चुनाव में बीजेपी सरकार के मेनिफेस्टो में अन्ना पशु भी शामिल था तो सरकार की दिलचस्पी के बाद यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि गोवंश की सुरक्षा को लेकर सरकार बड़ा कदम उठा सकती है। हालांकि, इसकी झलक जालौन में दिखनी शुरू हो गई है और लगभग 300 से 400 हेक्टेयर के बीच में जल्द ही ‘काऊ सफारी’ का नजारा देखने को मिल सकता है।

राजस्थान पहला राज्य जहां बना ‘गाय मंत्रालय’
राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है। जहां पर निराश्रित पशुओं के लिए गाय मंत्रालय बनाया गया है। इसी वजह से 2019 में ‘काऊ सफारी’ मॉडल को लेकर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने प्रस्ताव रखा था, लेकिन इसे सही दिशा नहीं मिल सकी। हाल ही में यूपी में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सरकार को मिली प्रचंड जीत के बाद इस मॉडल पर तेजी से काम करने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

ज़मीन की पैमाइश के बाद शुरू होगा कार्य
जिले के मुख्यालय उरई में ‘काऊ सफारी’ बनाने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से कवायद शुरू कर दी गई है। नवीन गल्ला मंडी के समीप ग्राम रगौली में बंजर पड़ी वन विभाग की भूमि पर इसकी आधार शिला रखी जाएगी। हालांकि, इसका दायरा 300 से 400 हेक्टेयर के बीच तय किया गया है। वहीं, ऐसे कयास लगाएं जा रहे हैं कि ‘काऊ सफारी’ बनने के बाद आवारा पशुओं से निजात मिल सकती हैं।

वहीं, जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने बताया कि वर्तमान में जिले में सात कान्हा गोशाला एवं 360 अस्थायी गोशालाएं हैं, जिनमें क्षमता के लिहाज से पशुओं को रखा जा रहा है। जिले में आवारा पशुओं से निजात मिल सके, इसके लिए वन विभाग की भूमि पर ‘काऊ सफारी’ की कार्ययोजना तैयार की गई है। वन विभाग और मंडी समिति के द्वारा भूमि की पैमाइश की जा रही है। इसके बाद आगे की रुपरेखा पर कार्य किया जायेगा।



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