The Kashmir Files: ‘अल सफा हिंदू दफा…’, उर्दू अखबारों से जब दिया गया था हिंदुओं को कश्‍मीर छोड़ने का फरमान

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The Kashmir Files: ‘अल सफा हिंदू दफा…’, उर्दू अखबारों से जब दिया गया था हिंदुओं को कश्‍मीर छोड़ने का फरमान

The Kashmir Files: ‘अल सफा हिंदू दफा…’, उर्दू अखबारों से जब दिया गया था हिंदुओं को कश्‍मीर छोड़ने का फरमान

The Kashmir Files: फिल्‍म ‘कश्‍मीर फाइल्‍स’ का वो सीन याद है आपको। जब 5-7 साल का बच्‍चा हिंदुओं के सफाए का नारा लगाते हुए दिखता है। एक नौकरशाह (फिल्‍म में मिथुन चक्रवर्ती) की कार के सामने आकर वह चीखकर कहता है ‘अल सफा, हिंदू दफा’ (Al Safa, Hindu Dafa)। हिंदू महिलाएं इस दौरान रो-रोकर अपना दर्द बयां कर रही हैं। दरअसल, यह 1990 की असल घटना का ही फिल्‍मी रूपांतरण है। कश्‍मीर के दो अखबारों आफताब (Aftab) और अल सफा (Al-Safa) में तब आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन (Hizbul Mujahideen) ने चेतावनी दी थी। संगठन ने सभी हिंदुओं को तुरंत कश्‍मीर छोड़ देने का ऐलान किया था।

घाटी में कश्‍मीरी पंडितों के कत्‍लेआम के वक्‍त स्‍थानीय उर्दू अखबार भी आतंकियों की बोली बोल रहे थे। इनमें बिना लाग-लपेट चेतावनी दी जा रही थी। उन्‍हीं अखबारों में अल सफा और आफताब भी थे। भारत और कश्‍मीरी पंडितों के खिलाफ ये जहर उगल रहे थे।

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आतंकियों ने मचाया था तांडव
19 जनवरी, 1990 की रात डरावनी थी। श्रीनगर में तकरीबन पूरी मुस्लिम आबादी भारत के खिलाफ खड़ी हो गई थी। सैकड़ों-हजारों लोग सड़कों-चौराहों पर जमा हो गए थे। भारत और हिंदू विरोधी नारों से घाटी गूंज रही थी। जमात-ए-इस्‍लामी के फायरब्रांड नेता लाउडस्‍पीकरों से हिंदुओं के खिलाफ आग उगल रहे थे। कश्‍मीरी पंडित डर के मारे दुबक गए थे। प्रशासन ने हाथ खड़े कर लिए थे। शहर से पुलिस गायब हो गई थी। बादामी बाग कैंटोनमेंट से नागरिकों की सुरक्षा करने के लिए एक सैनिक बाहर नहीं निकला था। वो निकल भी कैसे सकते थे। तब गृहमंत्री मुफ्ती सईद ने उदासीन रुख अपना लिया था। तांडव मचाने के लिए जानबूझकर घाटी को आतंकियों के हाथ खुला छोड़ दिया गया था।

अगली सुबह का मंजर और डरावना था। कश्‍मीरी पंडितों ने देखा कि सभी स्‍थानीय उर्दू अखबार भारत और उनके लिए दुश्‍मन बन गए हैं। ये जिहादियों के उर्दू प्रवक्ता बनकर बोल रहे थे। अल सफा ने कश्‍मीरी पंडितों को अपनी महिलाओं के बिना घाटी छोड़ने की चेतावनी दी थी। इनके सामने अपने पुश्तैनी घरों को एकसाथ छोड़कर पलायन करने के अलावा कोई विकल्‍प नहीं था।

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‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ कश्मीर’ से रंग गई थीं दीवारें
गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर डॉ. फारूक अब्‍दुल्‍ला लंदन भाग गए थे। पूर्व मंत्री रातोंरात जम्मू के सरकारी बंगलों में चले गए थे। उन्‍होंने अपने परिवारों की सुरक्षा के लिए स्थानीय पुलिस को तैनात किया था। कश्‍मीरी पंडितों को श्रीनगर की सड़कों पर घूमते जंगली भेड़ियों का शिकार बनने के लिए छोड़ दिया गया था।

कश्‍मीर की दीवारें बड़े-बड़े अक्षरों से ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ कश्मीर’ से रंग गई थीं। यहां तक कि न्‍यूज बुलेटिन रेडियो कश्मीर में भी उन कश्मीरी पंडितों के नामों की घोषणा की गई, जिनका रोजाना आतंकी कत्‍लेआम कर रहे थे। हालांकि, अल सफा और आफताब ने बाद में यू-टर्न ले लिया था। उन्‍होंने स्पष्टीकरण जारी किया था। इसमें इन्‍होंने आतंकियों के बयानों की जिम्‍मेदारी लेने से इनकार कर दिया था।

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