Kashmir Files: बेनजीर भुट्टो ने भड़काया था कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम, जगमोहन को दी थी ‘काटने’ की धमकी h3>
मुजफ्फराबाद: जम्मू-कश्मीर में वर्ष 1990 के दशक में भड़की आतंकी हिंसा के बाद लाखों की तादाद में कश्मीरी पंडित घाटी छोड़कर चले गए जबकि कई लोगों की हत्या कर दी गई। इन्हीं कश्मीरी पंडितों पर बनी बॉलीवुड फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ को लेकर पूरे भारत में बहस छिड़ी हुई है। कश्मीर पंडितों के इस कत्लेआम को भड़काने में पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के जहरीले भाषण ने आग में घी का काम किया था। हालांकि बेनजीर के इस सपने के लिए सबसे बड़ा कांटा जम्मू- कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन बन गए थे। यही वजह है कि बेनजीर ने उन्हें खुलेआम काट डालने तक की धमकी दे डाली थी। आइए जानते हैं बेनजीर के इस जहरीले भाषण और जगमोहन के पलटवार की पूरी कहानी….
दरअसल, सिंध में हिंसा भड़की हुई थी जो बेनजीर का गढ़ माना जाता था। बेनजीर इसे रोक नहीं पा रही थीं। इसके अलावा नवाज शरीफ ने कश्मीर को लेकर बेनजीर को घेर रखा था और इसकी काट के लिए पाकिस्तानी पीएम ने कश्मीर में हिंसा को भड़काना शुरू कर दिया। पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवाज शरीफ ने अपनी धुर राजनीतिक विरोधी बेनजीर भुट्टो को घेर रखा था। उन्होंने कहा कि बेनजीर ने प्रधानमंत्री रहते हुए कश्मीर को लेकर कुछ नहीं किया। इसके बाद बेनजीर ने देश के अंदरुनी हालात से जनता का ध्यान भटकाने के लिए कश्मीर के मुद्दे को जोरशोर से उठाना शुरू कर दिया। उनके इस कदम से सभी हतप्रभ थे।
‘जगमोहन का जग-जग, मो-मो, हन-हन हो जाएगा’
बेनजीर ने पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद का दौरा किया और 1 लाख लोगों की भीड़ के सामने बहुत ही जहरीला भाषण दिया। उन्होंने कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन को धमकी देते हुए कहा, ‘ हिंदुस्तान का वजीर-ए-आजम अगर कश्मीर जाए तो क्या कश्मीरी उनके स्वागत के लिए घरों से निकलेंगे? बिल्कुल नहीं, सवाल पैदा नहीं हो सकता है कि उनके लिए निकलेंगे… मैं चैलेंज करती हूं अगर वो समझते हैं कि जनमत संग्रह जरूरी नहीं है तो जाकर देख लें.. जगमोहन का जग-जग, मो-मो, हन-हन हो जाएगा (मतलब काट दिए जाएंगे)।’
भुट्टो ने वियतनाम का उदाहरण देकर कहा कि एक छोटा सा मुल्क सुपरपावर से मुकाबला कर सकता है, अफगानिस्तान में जनता एक सुपरपावर से मुकाबला कर सकती है तो आप कोई सुपरपावर नहीं हैं जो कश्मीर की जनता आपसे मुकाबला करके अपना हक न हासिल कर ले।’ उन्होंने कहा, ‘कश्मीर की बहादुर आवाम मौत से नहीं डरती है क्योंकि वे मुसलमान हैं। कश्मीर की आवाम की रगों में मुजाहिदों का खून हैं क्योंकि वे रसूल के वारिस हैं। वे हजरत अली के वारिस हैं। वे लड़ना भी जानते हैं और जीना भी जानते हैं। अगर वे जीएंगे तो इज्जत के साथ जीएंगे।’
मैं बेनजीर भुट्टो की राह का कांटा बना हुआ था: जगमोहन
बेनजीर ने कहा, ‘दिल की धड़कनों को सुनें नहीं तो हर तरफ से एक ही आवाज बुलंद होगी आजादी, हर मस्जिद से एक ही आवाज निकलेगी आजादी, बच्चा- बच्चा कहेगा आजादी।’ उन्होंने अपने एक अन्य भाषण में कहा कि वह राजीव गांधी को नानी की याद दिला देंगी। बेनजीर के इस जहरीले भाषण पर जगमोहन ने कहा कि बेनजीर उन्हें जानबूझकर निजी तौर पर निशाना बना रही थीं। इसकी वजह यह थी कि कश्मीर को लेकर उनका गेम प्लान फेल हो गया था और इस गेम प्लान में मैं उनकी राह का कांटा बना हुआ था ।
असल में कश्मीर में हिंसा भड़काकर बेनजीर ने कुछ उसी तरह से अपनी सत्ता बचाई जैसे जनरल जिया ने अफगानिस्तान युद्ध के समय किया था। पूरे पीओके में बेनजीर की पार्टी के पीपीपी के पोस्टर लग गए और उन्होंने चुनाव में कश्मीर कार्ड को जमकर खेला। हालांकि उन्हें इसके दुष्परिणामों का भी डर सता रहा था। उन्हें भय था कि भारत से युद्ध छिड़ सकता है। बेनजीर के इस जहरीले भाषण ने कश्मीर में हिंसा को भड़काया जिसकी वजह से कश्मीरी पंडितों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा।
दरअसल, सिंध में हिंसा भड़की हुई थी जो बेनजीर का गढ़ माना जाता था। बेनजीर इसे रोक नहीं पा रही थीं। इसके अलावा नवाज शरीफ ने कश्मीर को लेकर बेनजीर को घेर रखा था और इसकी काट के लिए पाकिस्तानी पीएम ने कश्मीर में हिंसा को भड़काना शुरू कर दिया। पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवाज शरीफ ने अपनी धुर राजनीतिक विरोधी बेनजीर भुट्टो को घेर रखा था। उन्होंने कहा कि बेनजीर ने प्रधानमंत्री रहते हुए कश्मीर को लेकर कुछ नहीं किया। इसके बाद बेनजीर ने देश के अंदरुनी हालात से जनता का ध्यान भटकाने के लिए कश्मीर के मुद्दे को जोरशोर से उठाना शुरू कर दिया। उनके इस कदम से सभी हतप्रभ थे।
‘जगमोहन का जग-जग, मो-मो, हन-हन हो जाएगा’
बेनजीर ने पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद का दौरा किया और 1 लाख लोगों की भीड़ के सामने बहुत ही जहरीला भाषण दिया। उन्होंने कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन को धमकी देते हुए कहा, ‘ हिंदुस्तान का वजीर-ए-आजम अगर कश्मीर जाए तो क्या कश्मीरी उनके स्वागत के लिए घरों से निकलेंगे? बिल्कुल नहीं, सवाल पैदा नहीं हो सकता है कि उनके लिए निकलेंगे… मैं चैलेंज करती हूं अगर वो समझते हैं कि जनमत संग्रह जरूरी नहीं है तो जाकर देख लें.. जगमोहन का जग-जग, मो-मो, हन-हन हो जाएगा (मतलब काट दिए जाएंगे)।’
भुट्टो ने वियतनाम का उदाहरण देकर कहा कि एक छोटा सा मुल्क सुपरपावर से मुकाबला कर सकता है, अफगानिस्तान में जनता एक सुपरपावर से मुकाबला कर सकती है तो आप कोई सुपरपावर नहीं हैं जो कश्मीर की जनता आपसे मुकाबला करके अपना हक न हासिल कर ले।’ उन्होंने कहा, ‘कश्मीर की बहादुर आवाम मौत से नहीं डरती है क्योंकि वे मुसलमान हैं। कश्मीर की आवाम की रगों में मुजाहिदों का खून हैं क्योंकि वे रसूल के वारिस हैं। वे हजरत अली के वारिस हैं। वे लड़ना भी जानते हैं और जीना भी जानते हैं। अगर वे जीएंगे तो इज्जत के साथ जीएंगे।’
मैं बेनजीर भुट्टो की राह का कांटा बना हुआ था: जगमोहन
बेनजीर ने कहा, ‘दिल की धड़कनों को सुनें नहीं तो हर तरफ से एक ही आवाज बुलंद होगी आजादी, हर मस्जिद से एक ही आवाज निकलेगी आजादी, बच्चा- बच्चा कहेगा आजादी।’ उन्होंने अपने एक अन्य भाषण में कहा कि वह राजीव गांधी को नानी की याद दिला देंगी। बेनजीर के इस जहरीले भाषण पर जगमोहन ने कहा कि बेनजीर उन्हें जानबूझकर निजी तौर पर निशाना बना रही थीं। इसकी वजह यह थी कि कश्मीर को लेकर उनका गेम प्लान फेल हो गया था और इस गेम प्लान में मैं उनकी राह का कांटा बना हुआ था ।
असल में कश्मीर में हिंसा भड़काकर बेनजीर ने कुछ उसी तरह से अपनी सत्ता बचाई जैसे जनरल जिया ने अफगानिस्तान युद्ध के समय किया था। पूरे पीओके में बेनजीर की पार्टी के पीपीपी के पोस्टर लग गए और उन्होंने चुनाव में कश्मीर कार्ड को जमकर खेला। हालांकि उन्हें इसके दुष्परिणामों का भी डर सता रहा था। उन्हें भय था कि भारत से युद्ध छिड़ सकता है। बेनजीर के इस जहरीले भाषण ने कश्मीर में हिंसा को भड़काया जिसकी वजह से कश्मीरी पंडितों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा।