Maharashtra News: खतरे में उद्धव ठाकरे सरकार? बीजेपी के संपर्क में अघाड़ी के 25 विधायक, दानवे के दावे से महाराष्ट्र में बवाल h3>
मुंबई: महाराष्ट्र(Maharashtra) बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे(Raosaheb Danve के दावों पर यकीन करें तो आने वाले समय में महाविकास अघाड़ी सरकार(Mahavikas Aghadi Government) की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है। दानवे ने यह दावा किया है कि मौजूदा समय में महाविकास अघाड़ी के 25 असंतुष्ट विधायक बीजेपी(BJP) के संपर्क में हैं। दानवे के इस बयान के बाद महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल आ गया है। दानवे का यह बयान इसलिए भी काफी मायने रखता है क्योंकि ठाकरे सरकार महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव को करवाने के लिए हाथ पैर मार रही है। फिलहाल राज्यपाल(Maharashtra Governor) ने इस चुनाव के लिए मंजूरी नहीं दी है। सरकार इस चुनाव में गुप्त मतदान की जगह खुले मतदान के पक्ष में हैं। इस बाबत विधानसभा में प्रस्ताव भी पारित किया गया है। हालांकि ठाकरे सरकार यह दावा करती है कि उनके पास 170 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है।
मुख्यमंत्री पद की नहीं हुई थी बात
पत्रकारों से बातचीत के दौरान रावसाहेब दानवे ने शिवसेना के उस दावे को भी खारिज किया है। जिसमें शिवसेना ने यह कहा था कि उन्हें साल 2019 के विधानसभा चुनाव के पहले उन्हें मुख्यमंत्री पद की पेशकश की गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि जो विधायक उनके संपर्क में हैं। वे सभी मौजूदा सरकार के कामकाज और नीतियों से नाखुश हैं। दानवे ने आरोप लगाया कि शिवसेना हिंदुत्ववादी विचारधारा से भी भटक चुकी है। साल 2019 में शिवसेना को जो वोट मिले थे। वह सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर के चलते मिले थे। बावजूद इसके शिवसेना ने बीजेपी की पीठ में छुरा घोंपा है। दानवे ने कहा कि साल 2019 में जब बीजेपी नेताओं और शिवसेना के मुखिया उद्धव ठाकरे के बीच में सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा हुई थी, तब मैं भी वहां मौजूद था। इस बैठक में मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई भी चर्चा नहीं हुई थी और ढाई साल के बाद मुख्यमंत्री बदलने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी।
एमवीए और राज्यपाल के बीच मतभेद
महाविकास अघाड़ी सरकार और राज्यपाल के बीच कई मुद्दों पर लगातार मतभेद बने हुए हैं। हाई कोर्ट भी सरकार और राज्यपाल के तल्ख होते रिश्तो पर नाखुशी जता चुका है। बावजूद इसके दोनों ओर से रिश्तों पर पड़ी बर्फ पिघल नहीं रही। विधान परिषद के 12 सदस्यों के नामांकन के मुद्दे पर पहले ही राज्यपाल और सरकार के बीच काफी खतो-खिताबत हो चुकी है। हाई कोर्ट की टिप्पणी के बावजूद अब तक राज्यपाल ने लिस्ट क्लियर नहीं की है और अब विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर भी वही हालात बनते जा रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री राव साहेब दानवे का बड़ा दावा
राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News
मुख्यमंत्री पद की नहीं हुई थी बात
पत्रकारों से बातचीत के दौरान रावसाहेब दानवे ने शिवसेना के उस दावे को भी खारिज किया है। जिसमें शिवसेना ने यह कहा था कि उन्हें साल 2019 के विधानसभा चुनाव के पहले उन्हें मुख्यमंत्री पद की पेशकश की गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि जो विधायक उनके संपर्क में हैं। वे सभी मौजूदा सरकार के कामकाज और नीतियों से नाखुश हैं। दानवे ने आरोप लगाया कि शिवसेना हिंदुत्ववादी विचारधारा से भी भटक चुकी है। साल 2019 में शिवसेना को जो वोट मिले थे। वह सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर के चलते मिले थे। बावजूद इसके शिवसेना ने बीजेपी की पीठ में छुरा घोंपा है। दानवे ने कहा कि साल 2019 में जब बीजेपी नेताओं और शिवसेना के मुखिया उद्धव ठाकरे के बीच में सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा हुई थी, तब मैं भी वहां मौजूद था। इस बैठक में मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई भी चर्चा नहीं हुई थी और ढाई साल के बाद मुख्यमंत्री बदलने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी।
एमवीए और राज्यपाल के बीच मतभेद
महाविकास अघाड़ी सरकार और राज्यपाल के बीच कई मुद्दों पर लगातार मतभेद बने हुए हैं। हाई कोर्ट भी सरकार और राज्यपाल के तल्ख होते रिश्तो पर नाखुशी जता चुका है। बावजूद इसके दोनों ओर से रिश्तों पर पड़ी बर्फ पिघल नहीं रही। विधान परिषद के 12 सदस्यों के नामांकन के मुद्दे पर पहले ही राज्यपाल और सरकार के बीच काफी खतो-खिताबत हो चुकी है। हाई कोर्ट की टिप्पणी के बावजूद अब तक राज्यपाल ने लिस्ट क्लियर नहीं की है और अब विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर भी वही हालात बनते जा रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री राव साहेब दानवे का बड़ा दावा
News