बॉर्डर पर टेंशन होगी खत्‍म, पेट्रोल-डीजल संकट भी होगा दूर…? यूक्रेन युद्ध के बीच भारत, चीन और रूस एकसाथ आ रहे हैं नजर

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बॉर्डर पर टेंशन होगी खत्‍म, पेट्रोल-डीजल संकट भी होगा दूर…? यूक्रेन युद्ध के बीच भारत, चीन और रूस एकसाथ आ रहे हैं नजर

बॉर्डर पर टेंशन होगी खत्‍म, पेट्रोल-डीजल संकट भी होगा दूर…? यूक्रेन युद्ध के बीच भारत, चीन और रूस एकसाथ आ रहे हैं नजर

India-China-Russia coming together: यूक्रेन और रूस (Russia-Ukraine War) के बीच युद्ध जारी है। ज्‍यादातर देशों ने पाला चुन लिया है। भारत सहित कुछ ऐसे भी देश हैं जिन्‍होंने बीच का रास्‍ता अपनाया है। यह युद्ध दुनिया के समीकरण बदलते हुए दिख रहा है। यूक्रेन पर रूस के हमले की आलोचना से दूरी बनाकर एशिया की दो महाशक्तियां भारत और चीन (India and China) मॉस्‍को के साथ दिख रही हैं। इस बीच चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) के भारत आने की खबरें हैं। इस महीने के आखिरी तक वह भारत आ सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह बड़ा डेवलपमेंट होगा। सीमा पर तनाव के बीच वांग यी का दौरा कई मायनों में अहम होगा। दूसरी ओर रूस के साथ अपने व्‍यापारिक रिश्‍तों को बढ़ाते हुए भारत ने 30 लाख बैरल क्रूड (कच्‍चा तेल) का सौदा पक्‍का कर लिया है। इस तेल को भारी डिस्‍काउंट पर खरीदा गया है। रूस ने भारत और अन्य बड़े आयातकों को रियायती कीमतों पर तेल और अन्य वस्तुओं की पेशकश की थी। इसके बाद भारत ने इस मौके का फायदा उठाया है। इसे लेकर अमेरिका ने सीधे तो नहीं, लेकिन इशारों में अपनी आपत्ति जताई है।

चीन के विदेश मंत्री 26 मार्च को नेपाल आएंगे। बताया जाता है कि इस महीने की शुरुआत में चीन ने उनके भारत आने का प्रस्‍ताव दिया था। हालांकि, विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने हमारे सहयोगी टाइम्‍स ऑफ इंड‍िया (TOI) को बताया है कि अभी कुछ भी फाइनल नहीं है। अगर ऐसा हुआ यानी वांग यी भारत आए तो यह कई तरह से अहम होगा। पूर्वी लद्दाख में सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हुई है। इस मामले में चीन ने काफी अड़‍ियल रुख अपना रखा है।

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पिछले हफ्ते 15वें दौर की सैन्‍य वार्ता के बाद एक संयुक्‍त बयान जारी किया गया था। इसमें कहा गया था कि एलएसी के बाकी मुद्दों का समाधान कर वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति और स्थिरता बहाल करने में मदद मिलेगी। यह दोनों देशों के रिश्‍तों को सुधारने में भी महत्‍वपूर्ण होगा।

भारत बार-बार कहता रहा है कि बॉर्डर पर शांति और स्थिरता के बगैर चीन के साथ सामान्‍य तरह से कारोबार नहीं हो सकता है। एलएसी पर जारी तनाव के कारण सामान्‍य द्व‍िपक्षीय संबंधों पर भी असर पड़ेगा।

26 मार्च को नेपाल पहुंचेंगे वांग
वांग के प्रस्‍तावित दौरे के बारे में जब चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता झाओ लिजियान से पूछा गया तो उन्‍होंने हमारे सहयोगी टाइम्‍स ऑफ इंडिया को बताया, ‘अगर ऐसा कुछ हुआ तो हम समय पर इसके बारे में सूचना देंगे।’ 2020 की शुरुआत में कोरोना की महामारी के बाद से दोनों पक्षों से शीर्ष स्‍तर पर कोई दौरा नहीं हुआ है। बीते हफ्ते नेपाल के काठमांडू पोस्‍ट ने खबर दी थी कि वांग 26 मार्च को दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर नेपाली राजधानी में आएंगे।’

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सितंबर 2020 में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन में अपने समकक्ष के साथ मॉस्‍को में लंबी बातचीत की थी। यह बातचीत शंघाई कॉपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) के इतर हुई थी। इस दौरान दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद को निपटाने में पांच सूत्री फॉर्मूले पर राजी हुए थे। बीते साल जुलाई में दोनों मंत्रियों की ताजकिस्‍तान की राजधानी दुशांबे में द्विपक्षीय वार्ता हुई थी। फिर सितंबर में दोबारा दुशांबे में ये दोनों मिले थे। वांग अगर भारत आते हैं तो यूक्रेन संकट पर दोनों देशों को अपनी राय साझा करने का मौका मिलेगा।

भारत ने रूस से खरीदा तेल
अब बात कर लेते हैं भारत और रूस की। सूत्रों की जानकारी के मुताबिक, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने कच्चे तेल की मौजूदा अंतरराष्ट्रीय दरों के मुकाबले रूस से भारी डिस्‍काउंट पर 30 लाख बैरल क्रूड खरीदा है। ओईसी ने मई डिलिवरी के लिए ‘यूराल्स क्रूड’ को ब्रेंट की तुलना में 20 से 25 डॉलर प्रति बैरल की छूट पर खरीदा है। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्‍चा तेल आयात करता है। वह सस्ती दरों पर क्रूड खरीद अपने एनर्जी बिल में कमी लाना चाहता है। भारत अपनी कच्चे तेल जरूरतों का सिर्फ 1.3 फीसदी ही रूस से खरीदता है।

अमेरिका ने कहा है कि भारत का रूस से रियायती दर पर क्रूड लेना अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। उसने यह भी कहा है कि देशों को यह विचार करना चाहिए कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच आप कहां खड़ा होना चाहते हैं। व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका भारतीय नेताओं के संपर्क में है और यूक्रेन पर रूसी हमले के खिलाफ उसके साथ मिकलर काम करने के लिए उन्हें प्रेरित करना जारी रखेगा।

Wang Yi, Modi and Putin



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