EXCULISIVE: श्रीराम के बारे में जानना चाहते हैं एक-एक सच, धर्मशास्त्र के बनना चाहते हैं प्रकांड विद्वान तो सीधे चले आइए बिहार h3>
पटना : वैशाली जिले के इस्माइलपुर में जमदाहा मार्ग में लगभग 12 एकड़ जमीन पर रामायण विश्वविद्यालय के निमार्ण को को मंजूरी मिल गई। इस विश्वविद्यालय में रामायण, धर्म शास्त्र, वेद, उपनिषद की पढ़ाई कराई जाएगी। महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल इस विश्वविद्यालय को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं। NBT से बातचीत में आचार्य किशोर कुणाल ने बताया यह विश्वविद्यालय मुख्य रूप से रामायण पर फोकस होगा। इस विश्वविद्यालय में मुख्य भवन, शैक्षणिक भवन समेत सभी तरह की आधारभूत सुविधाएं होंगी। साथ ही इसे डिजिटल तरीके से भी अपग्रेड किया जाएगा। इस कैम्पस में वाइफाई आदि की सुविधा होगी तो होगी।
महावीर मंदिर कर रहा है राशि की व्यवस्था
इस विश्वविद्यालय के लिए राशि की व्यवस्था महावीर मंदिर की ओर से किया जा रहा है। महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि वैशाली में बनने वाले इस रामायण विश्वविद्यालय को 2024 तक शुरू कर दिया जाएगा। ताकि यहां पठन-पाठन किया जा सके। उन्होंने कहा महावीर मंदिर की ओर से स्थापित होने वाला यह एक मात्र विश्व विद्यालय होगा जहां वाल्मीकि रामायण को केंद्र में रख कर गोस्वामी तुलसी दास कृत रामचरित्र मानस की पढ़ाई होगी।
दुनिया के दूसरे हिस्सों के रामायण पर होगा शोध
किशोर कुणाल ने नवभारतटाइम्स डॉट कॉम को बताया कि भारतीय भाषाओं और दक्षिण पूर्व एशिया में प्रचलित लगभग सभी रामायणों पर अध्ययन और शोध कार्य किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मध्यकाल के दौरान भारत के अलावा पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में जगह जगह रामायण की रचना की गई। हर जगह के रामायण में कुछ नई बातें हैं। दरअसल, राम के जीवन को क्षेत्रों के हिसाब से प्रमुखता दी गई है।
विश्वविद्यालय में इस पर भी शोध किया जाएगा।
किशोर कुणाल ने बताया कि महावीर मंदिर ने बिहार निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2013 के तहत रामायण विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव शिक्षा विभाग को दे दिया है। महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि महावीर मंदिर की ओर से शिक्षा विभाग को प्रस्ताव के साथ 10 लाख रुपए का डिमांड ड्राफ्ट भी दे दिया गया है।
संस्कृत व व्याकरण पर होगा विशेष जोर
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि इस विवि में व्याकरण की पढ़ाई विशेष जोर दिया जाएगा। किशोर कुणाल कहते हैं कि महर्षि पाणिनी रचित अष्टाध्यायी, पंतजलि रचित महाभाष्य और काशिका ये तीनों ग्रंथ संस्कृत व्याकरण की पढ़ाई के मुख्य आधार हैं जिसकी पढ़ाई इस विश्वविद्यालय में होगी। उन्होंने कहा कि इसे अब कंप्यूटराईज किया जाएगा। आचार्य का कहना है कि इसके डिजिटल किए जाने से हमारे धर्मशास्त्रों की प्रमाणित बढ़ेगी।
भारतीय धर्मशास्त्र को व्यवस्थित और व्यवसायिक बनाने की है कोशिश
आचार्य किशोर कुणाल का कहना है कि इस विश्वविद्यालय का मुख्य केंद्र रामायण होगा लेकिन वेद उपनिषद, कर्मकांड, दर्शन, नैतिकता, परोपकार योग, प्रवचन आदि की दीक्षा दी जाएगी। ताकि भारतीय धर्म संस्कृति के वैज्ञानिक स्वरूप को वापस उजागर किया जा सके। उन्होंने बातचीत में कहा कि अक्सर ऐसा देखा जाता है भारतीय धर्मशास्त्र और पद्धति को व्यवस्थात्मक तरीके से नहीं लिया जाता है। लेकिन ये पूरी तरह से व्यवस्थित है।
रामायण विवि में मिलेंगी ये डिग्रियां
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि रामायण विश्वविद्यालय में रामायण पंडित, विवि सर्टिफिकेट, डिप्लोमा डिग्री दी जाएगी। डिग्री कोर्स में स्नातक स्तर पर शास्त्री, स्नातकोत्तर के लिए आचार्य, पीएचडी के लिए पर विद्या-वारिधि और डि-लिट की उपाधि के तौर पर विद्या-वाचस्पति उपाधियां दी जाएगी। रामायण शिरोमणि नाम से एक साल का डिप्लोमा कोर्स भी कराया जाएगा। जबकि छह माह का सर्टिफिकेट कोर्स करने वाले रामायण पंडित कहे जाएंगे। वहीं विवि में समृद्ध पुस्तकालय के साथ रामायण, गीता, महाभारत, वेद, पुराण आदि पर शोध कार्य होंगे।
प्रोफेशनल और व्यवस्थित होंगे कर्मकांड, योग और प्रवचन
आचार्य किशोर कुणाल कहते हैं हमारी कोशिश है कि विश्वविद्यालय के पढ़ाई के बाद धर्मशास्त्र के जानकार हमारे विश्वविद्यालय से निकल कर इसका प्रयोग प्रोफेशनल तरीके से कर पाएं। छात्र अपनी डिग्री का प्रयोग आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन पाएं। इनकी डिग्री की प्रमाणिकता होगी। बताते चलें कि वर्तमान में ऐसा देखा जाता है कि कर्मकांड, ज्योतिष, आयुर्वेद, योग, प्रवचन आदि के लिए अभी कोई प्रोफेशनल डिग्री की आवश्यकता नहीं पड़ती है। लेकिन इन विषयों को व्यावसायिक बनाया जाएगा। किशोर कुणाल ने कहा स्वालंबन और भारतीय धर्मशास्त्र को व्यवस्थित बनाने के लिए पांच प्रमुख विषयों ज्योतिष, कर्मकांड, आयुर्वेद, योग और प्रवचन आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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इस विश्वविद्यालय के लिए राशि की व्यवस्था महावीर मंदिर की ओर से किया जा रहा है। महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि वैशाली में बनने वाले इस रामायण विश्वविद्यालय को 2024 तक शुरू कर दिया जाएगा। ताकि यहां पठन-पाठन किया जा सके। उन्होंने कहा महावीर मंदिर की ओर से स्थापित होने वाला यह एक मात्र विश्व विद्यालय होगा जहां वाल्मीकि रामायण को केंद्र में रख कर गोस्वामी तुलसी दास कृत रामचरित्र मानस की पढ़ाई होगी।
दुनिया के दूसरे हिस्सों के रामायण पर होगा शोध
किशोर कुणाल ने नवभारतटाइम्स डॉट कॉम को बताया कि भारतीय भाषाओं और दक्षिण पूर्व एशिया में प्रचलित लगभग सभी रामायणों पर अध्ययन और शोध कार्य किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मध्यकाल के दौरान भारत के अलावा पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में जगह जगह रामायण की रचना की गई। हर जगह के रामायण में कुछ नई बातें हैं। दरअसल, राम के जीवन को क्षेत्रों के हिसाब से प्रमुखता दी गई है।
विश्वविद्यालय में इस पर भी शोध किया जाएगा।
किशोर कुणाल ने बताया कि महावीर मंदिर ने बिहार निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2013 के तहत रामायण विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव शिक्षा विभाग को दे दिया है। महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि महावीर मंदिर की ओर से शिक्षा विभाग को प्रस्ताव के साथ 10 लाख रुपए का डिमांड ड्राफ्ट भी दे दिया गया है।
संस्कृत व व्याकरण पर होगा विशेष जोर
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि इस विवि में व्याकरण की पढ़ाई विशेष जोर दिया जाएगा। किशोर कुणाल कहते हैं कि महर्षि पाणिनी रचित अष्टाध्यायी, पंतजलि रचित महाभाष्य और काशिका ये तीनों ग्रंथ संस्कृत व्याकरण की पढ़ाई के मुख्य आधार हैं जिसकी पढ़ाई इस विश्वविद्यालय में होगी। उन्होंने कहा कि इसे अब कंप्यूटराईज किया जाएगा। आचार्य का कहना है कि इसके डिजिटल किए जाने से हमारे धर्मशास्त्रों की प्रमाणित बढ़ेगी।
भारतीय धर्मशास्त्र को व्यवस्थित और व्यवसायिक बनाने की है कोशिश
आचार्य किशोर कुणाल का कहना है कि इस विश्वविद्यालय का मुख्य केंद्र रामायण होगा लेकिन वेद उपनिषद, कर्मकांड, दर्शन, नैतिकता, परोपकार योग, प्रवचन आदि की दीक्षा दी जाएगी। ताकि भारतीय धर्म संस्कृति के वैज्ञानिक स्वरूप को वापस उजागर किया जा सके। उन्होंने बातचीत में कहा कि अक्सर ऐसा देखा जाता है भारतीय धर्मशास्त्र और पद्धति को व्यवस्थात्मक तरीके से नहीं लिया जाता है। लेकिन ये पूरी तरह से व्यवस्थित है।
रामायण विवि में मिलेंगी ये डिग्रियां
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि रामायण विश्वविद्यालय में रामायण पंडित, विवि सर्टिफिकेट, डिप्लोमा डिग्री दी जाएगी। डिग्री कोर्स में स्नातक स्तर पर शास्त्री, स्नातकोत्तर के लिए आचार्य, पीएचडी के लिए पर विद्या-वारिधि और डि-लिट की उपाधि के तौर पर विद्या-वाचस्पति उपाधियां दी जाएगी। रामायण शिरोमणि नाम से एक साल का डिप्लोमा कोर्स भी कराया जाएगा। जबकि छह माह का सर्टिफिकेट कोर्स करने वाले रामायण पंडित कहे जाएंगे। वहीं विवि में समृद्ध पुस्तकालय के साथ रामायण, गीता, महाभारत, वेद, पुराण आदि पर शोध कार्य होंगे।
प्रोफेशनल और व्यवस्थित होंगे कर्मकांड, योग और प्रवचन
आचार्य किशोर कुणाल कहते हैं हमारी कोशिश है कि विश्वविद्यालय के पढ़ाई के बाद धर्मशास्त्र के जानकार हमारे विश्वविद्यालय से निकल कर इसका प्रयोग प्रोफेशनल तरीके से कर पाएं। छात्र अपनी डिग्री का प्रयोग आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन पाएं। इनकी डिग्री की प्रमाणिकता होगी। बताते चलें कि वर्तमान में ऐसा देखा जाता है कि कर्मकांड, ज्योतिष, आयुर्वेद, योग, प्रवचन आदि के लिए अभी कोई प्रोफेशनल डिग्री की आवश्यकता नहीं पड़ती है। लेकिन इन विषयों को व्यावसायिक बनाया जाएगा। किशोर कुणाल ने कहा स्वालंबन और भारतीय धर्मशास्त्र को व्यवस्थित बनाने के लिए पांच प्रमुख विषयों ज्योतिष, कर्मकांड, आयुर्वेद, योग और प्रवचन आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा।