UP Vidhan Parishad: यूपी विधान परिषद में BJP होगी दो-तिहाई, कांग्रेस जीरो और बसपा 1 पर सिमटेगी… जरा पूरा गणित तो समझिए

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UP Vidhan Parishad: यूपी विधान परिषद में BJP होगी दो-तिहाई, कांग्रेस जीरो और बसपा 1 पर सिमटेगी… जरा पूरा गणित तो समझिए

UP Vidhan Parishad: यूपी विधान परिषद में BJP होगी दो-तिहाई, कांग्रेस जीरो और बसपा 1 पर सिमटेगी… जरा पूरा गणित तो समझिए

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा के बाद विधान परिषद (Vidhan Parishad) की गणित और चेहरों में बड़ा बदलाव होगा। स्थानीय निकाय कोटे की 36 सीटों पर 9 अप्रैल को चुनाव होंगे। इसके लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। वहीं, 6 जुलाई के पहले विधायक कोटे की 15 सीटों पर भी चुनाव होना है। इसके बाद परिषद में कांग्रेस शून्य पर पहुंच जाएगी, जबकि बसपा के पास विधानसभा के बाद विधान परिषद में भी एक ही सदस्य रह जाएगा। वहीं, निकाय चुनाव से लेकर मनोनयन और विधायक कोटे की सीटों के नतीजे पक्ष में कर भाजपा के पास सहयोगियों सहित संख्या दो-तिहाई पहुंचाने का मौका होगा।

विधान परिषद में स्थानीय निकाय कोटे के 36 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। इसके साथ ही सदन की गणित बदल गई है। इस समय परिषद में भाजपा के 35, सपा के 17, बसपा के 4, अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी और कांग्रेस के एक-एक सदस्य हैं। 9 अप्रैल को हो रहे चुनाव के नतीजे विधान परिषद में बहुमत की तस्वीर तय कर देंगे। आम तौर पर जिसकी सत्ता होती है उस पार्टी के उम्मीदवारों की जीत की संभावना बढ़ जाती है। पिछले तीन दशकों के चुनाव की तस्वीर कुछ ऐसी ही रही है। निकाय में ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, पार्षद, विधायक और सांसद वोटर होते हैं।

दिलचस्प है कि करीब साढ़े तीन दशक बाद यूपी में पांच साल पूरा करने वाली कोई सरकार और सीएम दोबारा कुर्सी संभालने जा रहे हैं। इसका सीधा असर विधान परिषद में भी दिखेगा। 1990 के बाद पहली बार किसी सरकार के पास शुरुआती साल में ही दोनों सदनों में बहुमत होगा। निकाय कोटे की सीटों पर चुनाव के ठीक बाद अप्रैल-मई में मनोनयन कोटे की 6 सीटें खाली हो रही हैं। अभी ये सपा के खाते में हैं। इन सीटों पर चेहरे सरकार की संस्तुति पर राजभवन चुनता है। ऐसे में इन सभी सीटों पर भाजपा गठबंधन के ही तय किए गए नाम नामित किए जाएंगे। इससे भी परिषद में भाजपा की संख्या में और इजाफा हो जाएगा।

परिषद में होगा भाजपा का दो-तिहाई बहुमत!
6 जुलाई को विधान परिषद में 13 सीटें खाली हो रही हैं। इन पर चयन विधायकों के वोट से होता है। खाली होने वाली सीटों में छह सपा की, तीन बसपा की, तीन भाजपा की और एक कांग्रेस की है। बरौली से जयवीर सिंह भाजपा से विधायक बन गए हैं। इनका परिषद में कार्यकाल मई 2024 तक था। यह सीट भी खाली होगी। वहीं, नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन के निधन के चलते भी एक सीट खाली हुई है।

इसलिए कुल 15 सीटों पर चुनाव होंगे। अगर इन सभी सीटों पर एक साथ चुनाव होंगे तो एक सदस्य चुनने के लिए 28 विधायकों की जरूरत होगी। कांग्रेस के पास महज दो विधायक हैं और बसपा के पास एक ही विधायक है। इसलिए इनकी नुमाइंदगी संभव नहीं है। ऐसे में कांग्रेस शून्य पर पहुंचाएगी। बसपा के पास केवल इकलौते सदस्य भीमराव अंबेडकर बचेंगे। वहीं, भाजपा गठबंधन करीब 10 सीटों पर जीतने की स्थिति में होगा। निकाय चुनाव कोटे की सीटों में अगर भाजपा का दबदबा रहता है तो जुलाई तक मनोनयन और विधायक कोटे की सीटें मिलाकर भाजपा परिषद में दो-तिहाई सीटों पर काबिज हो जाएगी।

टीम अखिलेश के सामने माननीय बने रहने की चुनौती

सत्ता की उम्मीद लगाए सपा को विधानसभा में तो करारा झटका लगा ही है, अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले कई चेहरों के सामने भी माननीय बने रहने का संकट खड़ा हो गया है। निकाय कोटे से चुने गए सुनील सिंह यादव ‘साजन’, आनंद भदौरिया, उदयवीर सिंह, अरविंद यादव, राजेश यादव, कन्नौज के इत्र व्यापारी पुष्पराज जैन उर्फ पम्मी जैन और संतोष यादव ‘सनी’ का कार्यकाल 7 मार्च को खत्म हो गया है। इस बार परिषद में चुनाव की सत्ता की लहर के सामने जीतना आसान नहीं होगा। वहीं, अखिलेश के करीबियों में शुमार राजपाल कश्यप और संजय लाठर का कार्यकाल 26 मई को खत्म हो जाएगा। ये मनोनयन कोटे में थे। इनमें अधिकतर चेहरों को सपा 9 अप्रैल को होने वाले स्थानीय निकाय कोटे की सीटों पर उतार सकती है। नतीजों पर ही इनका भविष्य निर्भर रहेगा।

ऐसे तय होते हैं विधान परिषद के चेहरे
प्रदेश में विधान परिषद की 100 सीटें होती हैं। चयन की प्रक्रिया इस तरह बनाई गई है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के सभी घटकों और समाज के प्रबुद्ध वर्ग के अलग-अलग हिस्सों का प्रतिनिधित्व हो सके। इसलिए सदन की 38 सीटें विधानसभा के सदस्यों के जरिए चुनी जाती हैं। 36 सीटें स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि चुनते हैं, इसमें पंचायत से लेकर शहरी निकाय तक के निर्वाचित प्रतिनिधि वोटर होते हैं। 8 सीटें शिक्षक निर्वाचन के कोटे की होती हैं। इसमें शिक्षक ही वोटर होते हैं। 8 सीटों पर ग्रैजुएट मतदाता अपना प्रतिनिधि चुनते हैं। इन सीटों का क्षेत्राधिकार इस तरह तय किया जाता है कि प्रदेश के सभी हिस्से इसमें समाहित हों। वहीं, 10 सीटों पर राज्यपाल सरकार की संस्तुति पर सदस्य नामित करते हैं। इसमें कला, साहित्य, समाजसेवा सहित विभिन्न क्षेत्रों से नाम तय किए जाते हैं।

मनोनयन कोटे की ये सीटें होंगी खाली
28 अप्रैल : बलवंत सिंह रामूवालिया, वसीम बरेलवी और मधुकर जेटली।
26 मई : राजपाल कश्यप, अरविंद कुमार, संजय लाठर। सभी सपा के सदस्य हैं।

6 जुलाई को इनका खत्म होगा कार्यकाल
सपा: जगजीवन प्रसाद, कमलेश पाठक, रणविजय सिंह, शतरुद्र प्रकाश (भाजपा में आ चुके हैं), बलराम यादव (निधन हो चुका है), रामसुंदर दास निषाद
बसपा: अतर सिंह, सुरेश कश्यप और दिनेश चंद्रा
भाजपा: योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य और भूपेंद्र सिंह
कांग्रेस: दीपक सिंह

फाइल फोटो (साभार)

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