Maharashtra News: यूपी चुनाव में मुंबई के कई नेताओं ने किस्मत आजमाई, जीत एक के ही हाथ आई

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Maharashtra News: यूपी चुनाव में मुंबई के कई नेताओं ने किस्मत आजमाई, जीत एक के ही हाथ आई

Maharashtra News: यूपी चुनाव में मुंबई के कई नेताओं ने किस्मत आजमाई, जीत एक के ही हाथ आई

मुंबई: मुंबई व महाराष्ट्र(Maharashtra) में रहने वाले कई उत्तर भारतीय नेताओं व उद्योगपतियों ने इस बार के चुनाव में किस्मत आजमाई, लेकिन सफलता रमेश सिंह को मिली। सिंह नवी मुंबई(Navi Mumbai) के उद्योगपति हैं। पुणे(Pune) में रहने वाले आनंद दूबे और मीरा-भाईंदर में मुलायम सिंह यादव परिवार के करीबी अजय यादव ने मायावती की बीएसपी के किस्मत आजमाई, परंतु चुनाव की नैया को पार नहीं कर सके।

नवी मुंबई के कारोबारी हरिवंश सिंह ने 2019 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे। इससे पहले उन्होंने मुंबई से भी चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें जीत अपने गृह राज्य में ही मिली। प्रतापगढ़ लोकसभा से सांसद चुने गए। इस विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने बेटे रमेश सिंह को विधायक बनाने के लिए जी-जान लगा दी। बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी से रमेश टिकट ने हासिल कर लिया। रमेश ने भी जीत का झंडा गाड़ दिया है। सिंह ने समाजवादी पार्टी के शैलेंद्र यादव ‘ललई’ के जीत की हैट्रिक पूरी नहीं होने दी।

मीरा-भाईंदर के कारोबारी अजय यादव का मुलायम सिंह के परिवार के साथ करीबी संबंध था, लेकिन अखिलेश यादव ने अजय को विधानसभा का टिकट नहीं दिया, तो वह बागी बन गए। मायावती की बीएसपी से टिकट हासिल किया। प्रतापगढ़ जिले की रानीगंज से उम्मीदवार टिकट मिला, लेकिन जीत का स्वाद नहीं चख सके। इसी तरह, पुणे के कारोबारी आनंद दूबे ने बीएसपी से जौनपुर की मड़ियाहूं सीट से किस्मत आजमाई, लेकिन हार गए।

सुभाष पासी की हार
गाजीपुर के सैदपुर विधानसभा सीट से सुभाष पासी 2012 में और उसके बाद मोदी लहर के बावजूद भी 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से जीत हासिल की थी। पासी ने नवंबर 2021 में सपा से नाता तोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था। उन्हें सैदपुर सीट से निषाद पार्टी ने उम्मीदवार बनाया। ऐसा बीजेपी और निषाद पार्टी के बीच हुए समझौते के कारण हुआ, लेकिन पासी को हार का मुंह देखना पड़ा।

भांडुप के गणेश उत्तराखंड में हारे
भांडुप के रामकली सनमान सिंह स्कूल में प्राइमरी स्कूल शिक्षा हासिल करने वाले गणेश गोदियाल दो बार उत्तराखंड की अलग-अलग सीटों पर चुनाव विधायक लड़े, लेकिन जीत नहीं हो सकी। पिछला चुनाव हारने के बावजूद उन्हें कांग्रेस ने उत्तराखंड प्रदेश का अध्यक्ष बनाया। इस बार पार्टी ने उन्हें श्रीनगर पौड़ी विधानसभा से टिकट दिया था।

आभा सिंह के भाई को मिली जीत
ऐडवोकेट आभा सिंह के भाई राजेश्वर सिंह बीजेपी की टिकट पर लखनऊ से जीतने में कामयाब हुए। उन्होंने ईडी की सेवा छोड़कर राजनीति का दामन थामा था। उनके प्रचार के लिए आभा कई दिन तक लखनऊ में ही डेरा जमाए हुए थीं।

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