Lit Fest- चीन ने पैदा की भारत नेपाल के रिश्तों में खटास | LIt fest#session# | Patrika News

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Lit Fest- चीन ने पैदा की भारत नेपाल के रिश्तों में खटास | LIt fest#session# | Patrika News

Lit Fest- चीन ने पैदा की भारत नेपाल के रिश्तों में खटास | LIt fest#session# | Patrika News

भारत, नेपाल और चीन के परस्पर संबंधों पर चर्चा करते हुए स्वतंत्र पत्रकार अमीश राज ने कहा कि ऑल रोड्स लीड नॉर्थ में नेपाल के दो बड़े पड़ौसी मुल्कों चीन और भारत के साथ बनते बिगड़ते रिश्ते पर लिखा है।

जयपुर। भारत, नेपाल और चीन के परस्पर संबंधों पर चर्चा करते हुए स्वतंत्र पत्रकार अमीश राज ने कहा कि ऑल रोड्स लीड नॉर्थ में नेपाल के दो बड़े पड़ौसी मुल्कों चीन और भारत के साथ बनते बिगड़ते रिश्ते पर लिखा है। नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के साथ काठमांडू और नई दिल्ली के बीच संबंध सुधारने के प्रयासों के तहत मुलाकात की, क्योंकि पिछले काफी समय से दोनों देशों के मध्य नेपाल भारत की सीमा को लेकर रिश्तों में खटास आ चुकी थी, लेकिन ठीक इसी समय चीन ने नेपाल को 1.6 मिलियन कोविड वैक्सीन दी, जिसके चलते नेपाल का रुख चीन की ओर हुआ और उसकी भारत के साथ बात अधूरी रह गई। चीन पिछले काफी समय से तिब्बत में अपनी ताकत, इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है। 1989 से 2015 तक की बात करें, तो यह बदलाव साफ नजर आता है। 2008 के बाद चीन ने नेपाल के साथ संबंधों पर काम करना शुरू किया, आज वह पूरे हिमालयन क्षेत्र में अपनी ताकत को बढ़ाने में लगा हुआ है।
अमीश का कहना था कि वैश्विक परिदृश्य में नेपाल की चर्चा अक्सर उसके दो पड़ौसी मुल्कों भारत और चीन के मध्य पिसते एक छोटे से देश के रूप में होती है। जब भी इन दोनों देशों के मध्य कोई तनाव होता है, तो सबसे पहले नेपाल ही याद आता है, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। नेपाल का अपना एक समृद्ध इतिहास है, जिसे सबसे सामने लाया जाना चाहिए। अमीश ने यह भी कहा कि उनकी किताब में नेपाल के साथ ही भारत और चीन की अर्थव्यवस्था, उनके एतिहासिक संबंधों, तिब्बती निर्वासन, निवेश आदि के बारे में भी लिखा गया है। किताब नेपाल के भारत के साथ बिगड़ते संबंधों और चीन के साथ उभरते संबंधों का अध्ययन और विश्रेषण करती है।
नेपाल के तिब्बत के साथ वैचारिक संबंध
भारतीय मीडिया चीन और नेपाल की घनिष्ठता की बात करते हुए नेपाल को दोषी ठहराता है, जबकि नेपाल के तिब्बत के साथ वैचारिक संबंध है। उनका कहना था कि नेपाल की भारत के विरूद्ध कोई राजनैतिक शत्रुता नहीं है, बल्कि नेपाल के चीन के साथ संबंध तिब्बत की वजह से हैं। वहीं, रनजीत राय ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेपाल गए थे उस दौरान उम्मीदें बढ़ गई थी कि दोनों देशों के बीच संबंध बेहद मजबूत होंगे। उस समय नेपाल में भी यह कहा जाता था कि यदि मोदी यहां चुनाव में खड़े होंगे, तो जीत जाएंगे, लेकिन उनकी दूसरी विजिट के बाद सब बदल गया। दोनों देशों के संबंधों में खटास आनी शुरू हो गई थी। कई बार जिनसे हमारे खास और नजदीकी रिश्ते होते हैं उनसे ही खटपट होने लगती है, कुछ ऐसा ही नेपाल और भारत के संबंधों में होना शुरू हो गया।



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