Punjab Exit Poll Result: दलित कार्ड, मोदी के काफिले में चूक…क्या पंजाब चुनाव में नहीं बन पाया फैक्टर?

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Punjab Exit Poll Result: दलित कार्ड, मोदी के काफिले में चूक…क्या पंजाब चुनाव में नहीं बन पाया फैक्टर?

Punjab Exit Poll Result: दलित कार्ड, मोदी के काफिले में चूक…क्या पंजाब चुनाव में नहीं बन पाया फैक्टर?

चंडीगढ़ : पंजाब विधानसभा चुनाव इस बार बेहद दिलचस्प रहा, उतना ही दिलचप्स पंजाब विधानसभा चुनाव का रिजल्ट होने वाला है। इस बार चुनाव में यहां बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिला। कांग्रेस अंदरूनी कलह से जूझी, कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर पंजाब को पहला दलित सीएम दिया। बीजेपी ने अमरिंदर सिंह को अपने खेमे में लेकर कांग्रेस पर वार किया। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी की सुरक्षा को लेकर मुद्दा बना। सोमवार को कई पंजाब एग्जिट पोल 2022 में आम आदमी पार्टी (आप) को बहुमत का दावा किया गया है।

पंजाब में कांग्रेस राज्य पर शासन कर रही है और हर स्तर पर संगठनात्मक रूप से मजबूत है। हालांकि, सत्ता विरोधी लहर को दूर करने के लिए, पार्टी ने चुनाव से पहले नेतृत्व परिवर्तन किया और चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य के पहले दलित मुख्यमंत्री के रूप में लाया गया। चुनाव से पहले राहुल गांधी ने इसी दलित कार्ड को चलते हुए चन्नी को पार्टी का मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया।

दलित कार्ड को माना जा रहा था मास्टरस्ट्रोक
कांग्रेस का यह कदम एक मास्टरस्ट्रोक की तरह माना जा रहा था, क्योंकि पंजाब में देश की सबसे ज्यादा दलित आबादी है। पंजाब में 32% दलित जाति के वोटर हैं। यह पहली बार था जब कोई दलित राज्य के शीर्ष पद पर पहुंचा था। हालांकि, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चन्नी के बीच मतभेद लगातार सुर्खियों में रहीं।

’32 फीसदी वोटर लेकिन एकजुट नहीं’
पंजाब में दलित वोटर भले ही 32 फीसदी हैं लेकिन आज तक ये वोट फैक्टर नहीं बन पाए। यूपी बिहार की तरह पंजाब में दलित एकजुट नहीं है। पंजाब के दलितों में से लगभग 26 फ़ीसदी मजहबी सिख हैं, तो 20 प्रतिशत रविदासिया वोटर हैं। इसके अलावा करीब नौ फ़ीसदी वाल्मीकि हैं। इनमें से कुछ ऐसे हैं, जिनमें डेरों को लेकर बड़ी आस्था है। वे उन्हीं डेरों के रुख को देखते हुए वोट को लेकर फैसला करते हैं। इस वजह से बहुत कम देखने को मिलता है, जब सूबे के दलितों ने किसी एक पार्टी के पक्ष में मतदान किया हो।

पंजाब में दूसरा बड़ा फर्क यह है कि यहां के दलित, यूपी और बिहार के मुक़ाबले आर्थिक तौर पर अधिक मजबूत हैं। दोआबा के कई ऐसे इलाक़े हैं, जहां दलित परिवारों के कई सदस्य विदेश में बसे हैं। फगवाड़ा समेत कई इलाक़ों में दलितों का रुतबा इसी बात से आंका जा सकता है कि वहां के सबसे बड़े बिजनेसमैन, होटल मालिक तक इसी समाज से आते हैं। यही वजह है कि इन इलाक़ों के लोग ख़ुद को दलित बताते हुए शर्म की बजाय गर्व महसूस करते हैं। यहां दलित अत्याचार बहुत कम है।

मोदी की सुरक्षा का दांव फेल
पंजाब के फिरोजपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली थी। हालांकि भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास पीएम का काफिला कुछ किसानों ने रोक लिया। पीएम यहां पुल पर लगभग 20 मिनट तक फंसे रहे। पीएम की सुरक्षा का मुद्दा बीजेपी ने चुनाव में उठाया। हालांकि मोदी ने इस विषय पर कुछ नहीं बोला। बीजेपी चुनाव प्रचार के दौरान इस मुद्दे को भुनाने में लगी रही। दूसरी बार पंजाब पहुंचे पीएम ने कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि वह मंदिर जाना चाहते थे लेकिन उन्हें सुरक्षा नहीं दी गई।

प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘आज मेरी इच्छा थी कि देवी जी के चरणों में जाकर नमन करूं, उनका आशीर्वाद लूं। लेकिन यहां के प्रशासन और पुलिस ने हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि हम व्यवस्था नहीं कर पाएंगे आप हेलीकॉप्टर से ही चले जाइए। अब ये हाल हैं सरकार के यहां।’ इसे भी बीजेपी ने चुनाव में उछाला लेकिन यह भी काम आता नजर नहीं आ रहा है।



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