Russia Attack On Ukraine: रूस की सुपरपावर के आगे कैसे डटे हुए हैं यूक्रेन के सैनिक? इस फिल्म में है हर सवाल का जवाब

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Russia Attack On Ukraine: रूस की सुपरपावर के आगे कैसे डटे हुए हैं यूक्रेन के सैनिक? इस फिल्म में है हर सवाल का जवाब


Russia Attack On Ukraine: रूस की सुपरपावर के आगे कैसे डटे हुए हैं यूक्रेन के सैनिक? इस फिल्म में है हर सवाल का जवाब

इन दिनों रूस और यूक्रेन (Russia Ukraine war) के बीच चल रहा वॉर पूरी दुनिया के लिए परेशानी बना हुआ है। दोनों के बीच का यह जंग आज का नहीं बल्कि करीब 8 साल पुराना है। रूस और यूक्रेन के बीच 8 साल पहले यानी 2014 में तनाव शुरू हुआ और अब पुतिन की सेना ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया है, जिसकी वीभत्स तस्वीरें रोज टेलिविजन चैनल पर पूरी दुनिया देख रही है। इस लड़ाई को फिल्मी पर्दे पर भी उतारने की कोशिश की गई है और इसी में से एक है ‘साइबॉग्स: हीरोज़ नेवर डाय’ (Cyborgs: Heroes Never Die), जिसमें रूस और यूक्रेन के बीच का जंग देखकर आपका भी दिल दहल जाएगा।

साल 2014 से यूक्रेन और रूस के बीच शुरू हुई यह जंग अब साल 2022 में भयावह रूप ले चुका है। रियल स्टोरी पर बेस्ड इस फिल्म में ‘साइबॉग्स: हीरोज़ नेवर डाय’ यूक्रेन और रूस की लड़ाई से जुड़ी सच्ची घटना पर बेस्ड है। इस फिल्म में साल 2014 में यूक्रेन की सेना और मिलिट्री वॉलिंटियर्स Donetsk Airport को दोबारा अपने कंट्रोल में करने की लड़ाई लड़ते हैं।

इस फिल्म’साइबॉग्स’ यूक्रेन के इतिहास का वह हिस्सा है जो युद्ध और विनाश के गहरे दर्दनाक अनुभवों को दर्शाता है। को बनाने में आधा बजट का खर्च यूक्रेन की सरकार ने लगाया था और यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय और वहां की आर्म्ड फोर्स के स्टाफ ने भी कुछ जरूरी मदद की थी। इस फिल्म को डोनबास की लड़ाई के दौरान Donetsk Airport को लेकर दूसरी लड़ाई की कहानी पर फिल्माया गया है।

‘साइबॉग्स’ की कहानी पूर्वी यूक्रेन में मिलिट्री फोर्स के बीच मतभेदों के दौरान Donetsk इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर फिर से कंट्रोल पाने को लेकर हुई लड़ाई पर बेस्ड है। Donetsk एयरपोर्ट पर कंट्रोल पाने के लिए तैयार की गई स्ट्रैटिजी की दिखाती है, जिसमें यूक्रेन की सेना रूसी फेडरेशन के सपोर्ट से तैयार की गई आर्म्ड ग्रुप के खिलाफ जंग लड़ती है।

यह लड़ाई साल 2014 के मई से शुरू होकर जनवरी 2015 तक जारी रही थी। पूरे एक साल तक चली इस लड़ाई में अपने से ज्यादा पावर रखने वाली रूसी समर्थित आर्म्ड फोर्स के पसीने छुड़ाती रही। यूक्रेन के जांबाज सिपाहियों ने इस एयरपोर्ट को बचाने की कोशिश में अपनी जान की बाजी लगा दी थी। हालांकि, जनवरी 2015 में एयरपोर्ट पर रूस के सपोर्ट से तैयार हुई आर्म्ड ग्रुप का कब्जा हो गया। इस लड़ाई में आखिरकार यूक्रेनी सेना की हार हो गई, वे मारे गए या पकड़े गए या फिर पीछे हटने के लिए मजबूर हो गए। हालांकि, इस फिल्म की कहानी काफी आगे तक जाती है, जिसमें लड़ाई की वजह और तरीके का पता लगाने की भी कोशिश की गई है। एक ऐसी लड़ाई जिसमें लड़ने वाले सारे लोग कभी एक देश का हिस्सा हुआ करते थे। यह फिल्म यूक्रेन की बॉक्स ऑफिस पर टॉप स्कोर बनाने में सफल रही थी।



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