कभी सोचा है ‘बालिका वधू 2’ से लेकर ‘बड़े अच्‍छे लगते हैं 2’ क्‍यों फ्लॉप हुए? इन 5 बातों पर गौर कीजिएगा

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कभी सोचा है ‘बालिका वधू 2’ से लेकर ‘बड़े अच्‍छे लगते हैं 2’ क्‍यों फ्लॉप हुए? इन 5 बातों पर गौर कीजिएगा


कभी सोचा है ‘बालिका वधू 2’ से लेकर ‘बड़े अच्‍छे लगते हैं 2’ क्‍यों फ्लॉप हुए? इन 5 बातों पर गौर कीजिएगा

इंडिया में टीवी सीरियल्स का आज भी खूब क्रेज देखने को मिलता है। ‘अनुपमा’, ‘गुम हैं किसी के प्यार में’, ‘इमली’ से लेकर ‘छोटी सरदारनी’ जैसी कई पॉप्युलर शो हैं जिनका टीवी पर दबदबा रहता है। आजकल टीवी शोज के सीक्वल और रीमेक का भी ट्रेंड देखने को मिलता है। फिल्मों की तरह धड़ल्ले से टीवी सीरियल्स के सीक्वल्स (TV serials Sequels) बनाए जा रहे हैं, जिनमें ‘कसौटी जिंदगी के’, ‘साथ निभाया साथिया 2’ (Saath Nibhaana Saathiya 2), ‘बड़े अच्छे लगते हैं 2’ (Bade Achhe Lagte Hain 2) और ‘संजीवनी 2’ जैसे ढेर सारे शोज शामिल हैं। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि ये सीक्वल कहीं न कहीं बुरी तरह पीटे हैं। इन सीक्वलों को ऑरिजनल शो के मुकाबले सफलता हासिल नहीं हुई। इसका हलिया उदाहरण ‘बालिका वधू 2’ है, जिसे टीवी पर बंद करके ओटीटी पर शिफ्ट कर दिया गया। ‘बालिका वधू 2’ (balika vadhu 2) की ‘आनंदी’ शिवांगी जोशी ने शो के बंद होने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि इस शो ने टीवी पर अच्छा परफॉर्म नहीं किया, इसीलिए इसे मेकर्स ने ऑफ एयर करने का फैसला लिया। आइए आपको बताते हैं 5 बड़ी वजह, आखिर क्यों टीवी सीरियल्स के सीक्वल हिट नहीं हो पाए।

1. कास्टिंग


साल 2001 में आए एकता कपूर के ‘कसौटी जिंदगी की’ शो को खूब प्यार मिला था, 1400 से भी ज्यादा एपिसोड इसके प्रसारित हुए। कई साल तक श्वेता तिवारी के इस सीरियल को खूब पसंद किया गया। इसी की तर्ज पर एकता कपूर ने साल 2018 में ‘कसौटी जिंदगी के’ बनाया, जो दर्शकों का दिल मोह लेने में सफल साबित नहीं हुआ। इस तरह कई टीवी सीरियल्स के सीक्वल्स हैं जिन्हें दर्शकों ने पसंद नहीं किया। ऐसे में पहला कारण तो यही सामने आता है कि मेकर्स के लिए सीक्वल्स की कास्टिंग सबसे बड़ा चैलेंज होता है। दर्शकों ने ‘कसौटी जिंदगी की’ में श्वेता तिवारी, रोनित रॉय और सीजेन खान जैसे स्टार्स की तिगड़ी देखी, फिर इसके सीक्वल में एरिका फर्नांडिस, पार्थ और करण सिंह ग्रोवर ने इन सितारों को रिप्लेस किया। लेकिन दर्शकों के दिमाग में छप चुकी असली प्रेरणा, अनुराग और मिस्टर बजाज की छवि को नए स्टार्स तोड़ नहीं पाए। नतीजा ये हुआ कि शो को 468 एपिसोड के बाद बंद कर देना पड़ा।

2. कहानी

5 reasons why TV serials Sequels flop 2


ओटीटी, सिनेमा या टीवी, कोई भी प्रोजेक्ट हो, इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है इसकी कहानी। सीक्वल के मामले में कलाकारों के सामने कहानी भी एक बड़ी चुनौती होती है। अगर पुरानी कहानी को वह दोबारा पेश करेंगे तो दर्शक देखना पसंद नहीं करेंगे। वहीं अगर नए सिरे की कहानी को सीक्वल में लाया जाएगा तो कोई इससे कनेक्ट नहीं कर पाएगा। ऐसे में लेखक और निर्देशक के सामने चैलेंज होता है कि वह सीक्वल को किस तरह से पेश करें कि दर्शक तुरंत पिछली कहानी से कनेक्ट करते हुए नई रूपरेखा से खुद को जोड़े और पसंद करें। जैसे बात करें साथ ‘ससुराल सिमर का’ दूसरा सीजन की तो, इसे हिट करवाने के लिए मेकर्स ने कहानी में नए नए ट्विस्ट जोड़े इसके बावजूद ये शो औसत से ऊपर नहीं उठ पाया।

3. नई पीढ़ी के दर्शक और लंबा अंतराल

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कुछ सीक्वल्स को कई सालों के बाद मेकर्स छोटे पर्दे पर वापस लेकर आए। जैसे, साल 2008 के बाद 2021 में ‘बालिका वधू 2’, 2001 के बाद 2018 में ‘कसौटी जिंदगी के’, 2011 के बाद साल 2021 में ‘बड़े अच्छे लगते हैं 2’, 2009 के बाद 2021 में ‘प्रतिज्ञा 2’ और 2010 के बाद 2020 में ‘साथ निभाया साथिया 2’ जैसे कई सीक्वल्स हैं जो 10-11 सालों के लंबे अंतराल के बाद वापस टीवी पर लौटे। ऐसे में नई पीढ़ी इन सीरियल्स से खुद को जोड़ नहीं पाए। लंबे अतंराल की वजह से इन सीरियल्स का स्वाद भी कम होता चला गया।

4. कलाकारों पर दवाब

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फिल्म हो टीवी शो, हर फॉर्मेट में सीक्वल या रीमेक बनाना बेहद कठिन होता है। एक बार ‘दबंग’ फ्रेंचाइजी को लेकर सलमान खान ने कहा था कि ”किसी भी सीक्वल को बनाने में हर कलाकार पर बहुत प्रेशर होता है। यही वजह रहती है कि कई बार बड़ी बड़ी फिल्मों के सीक्वल डूब जाते हैं।” भाईजान की ये बात टीवी सीक्वल्स पर भी सटीक साबित होती है।

5. ये चाहत भी डूबा देती है

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‘जिंदगी गुलजार है’, ये एक पाकिस्तान शो है जिसे भारत में खूब पसंद किया गया था। इसकी एक वजह थी कि शो छोटा और सटीक था। इसे बेमतलब का खींचा नहीं गया था। इसी तरह अक्सर सोशल मीडिया पर फैंस भारतीय टीवी शो की आलोचना करते हुए कहते हैं कि, अक्सर भारतीय टीवी शोज को अनचाहा खींचा जाता है। इस चलते घिसी पिटी कहानी और ट्विस्ट दिखाए जाते हैं। हजार-दो हजार एपिसोड तक सीरियल के खींचने के बाद दूसरे सीक्वल को देखने की हिम्मत शायद दर्शकों में नहीं बचती है। इतने सालों तक वो पुराने किरदार और कहानी दर्शकों के मन में गढ़ जाती है और फिर नए किरदार और कहानी को पचाने में ज्यादा दिक्कत आती है।



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