यूक्रेन में फंसी आशिता ने कहा कुछ समझ नहीं आ रहा, राजस्थान पहुंची अविका के घर मनाई जा रही खुशियां h3>
प्रमोद तिवारी, भीलवाड़ा: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से राजस्थान के भीलवाड़ा शहर से भी 15 मेडिकल स्टूडेंट वहां फंसे हुए हैं। एक दिन पहले वहां से निकली दो बेटियां तो अपने घर भीलवाड़ा सुरक्षित पहुंच चूकी हैं। लेकिन वहां फंसे अन्य छात्र वहां परेशान और आशंकित हैं। जबकि यहां उनके परिजनों की भी चिंता बढ़ती जा रही है।
भीलवाड़ा शहर में यूक्रेन से सम्बन्धित मेडिकल छात्रों की दो तस्वीर एक साथ देखने को मिली हैं। एक ओर तो बेटी सकुशल भीलवाड़ा पहुंची तो उसकी और उसके परिवार की खुशियों का ठिकाना न था। लेकिन इसी भीलवाड़ा के यूक्रेन में फंसे एक छात्र और छात्रा का वीडियो सामने आने से चिंता की लकीरें बढ़ गईं।
पहली तस्वीर: बेटी घर लौटी तो खुशियां मनाई जा रही
पहली तस्वीर हम दिखाते हैं भीलवाड़ा की यूक्रेन के चरनीबिल्ली में स्थित बुकोविनीयन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी की छात्रा अविका विजयवर्गीय के घर की। जहां उसके माता-पिता और परिजन बेटी के सकुशल घर लौटने पर खुशियां मना रहे हैं। अविका कहती हैं कि ‘मेरी यूनिवर्सिटी सेफ जोन में है। क्योंकि वेस्ट कार्नर में थी और जो वहां दिक्कत आ रही है वो ईस्ट बोर्डर पर आ रही है। जहां से मैं आई हूं वहां से हमें टाइमली अपडेट दिया गया था और मैं जब तक वहां थी ऐसी कोई दिक्कत नहीं थी। हम 17 स्टूडेंट एक चार्टेड प्लेन करके यहां तक पहुंचे हैं।’
अविका के पिता श्रवण और मां किरण विजयवर्गीय कहते हैं कि पहले हमें थोड़ी टेंशन हुई थी। लेकिन अब बेटी सकुशल घर लौट आई है। हमें बहुत अच्छा लग रहा है। हमें घबराहट हो रही थी की बेटी का क्या होगा? वहां तनाव होते ही मैंने बेटी को यहां आने के लिए कहा था। पढाई खराब होने के काण इसने उचित नहीं समझा था। लेकिन मैंने जिद करके इसे बुलाया है। अब तो यूक्रेन के जो हालात बन रहे उससे हमारा डर और बढ़ गया है।
दूसरी तस्वीर: यूक्रेन में फंसे आशिता और हर्षिल ने चिंता बढ़ाई
अब हम दूसरी तस्वीर यूक्रेन से दिखाते हैं। जिले के गंगापुर के हर्षिल मेहरा जो यूक्रेन के खारकिव में फंसा हुआ है और दूसरी आशिता सोनी की है। जो टेर्नोपिल में फंसी हुई हैं। दोनों ने अपने परिजनों को वीडियो संदेश भेजा है। टर्नोपिल में फंसी आशिता सोनी ने कहा कि रोज हमें बोला जाता है कि यहां की स्थित से आपको पैनिक होने की जरूरत नहीं है। यूनिवर्सिटी आये मगर कल ही जब किव से घर जा रहे थे तो रास्ते में बम ब्लास्ट हो गया और उन्हे बीच में रोका गया था। वे लोग भारतीय दुतावास से सम्पर्क करते हैं तो उनका कोई रेस्पॉन्स नहीं मिल रहा है। यूनिवर्सिटी हमसे कह रही है कि क्लासेज ऑफलाइन ही चलेंगी और आपको पैनिक होने की जरूरत नहीं है। टर्नोपिल में कब हालात खराब हो जाये इसका हम पता नहीं है। हमारी यूनिवर्सिटी और भारत सरकार को हमारी जिन्दगी की कोई चिंता नहीं है। इन हालातों में एयर टिकट 60 से 70 हजार रुपये में मिल रहा है। एक मिडिल क्लास फिमेली इतने रुपये कहां से लाएगी। यहां यूक्रेन में 20 हजार से ज्यादा छात्र पढाई कर रहे है। हम अपने साथ-साथ देश के लिए ही तो पढ़ रहे हैं। भारत सरकार को हमें यहां से सुरक्षित निकालना चाहिए। आप फ्लाइट फ्री नहीं करवा सकते तो कम से कम किराया तो कम करवा दो। हमें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि हम क्या करें?
ऐसा ही वीडियों गंगापुर के हर्षिल मेहरा का आया है जो खारकिव में फंसा हुआ है जो कह रहे है कि यहां की स्थिती खराब है। दो दिन पहले फिर भी ठीक था मगर अब रॉकेट और बम ब्लॉस्ट की आवाजें आ रही हैं। पता नहीं अब क्या होगा? और मेरे दोस्त जो कल गये थे फ्लाइट के लिए उनके भी एयरपोर्ट पहुंचने से पहले ही एयरपोर्ट बन्द हो गया था। हमे उम्मीद हैं कि भारत सरकार हमें सुरक्षित बाहर निकला लेगी।
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पहली तस्वीर: बेटी घर लौटी तो खुशियां मनाई जा रही
पहली तस्वीर हम दिखाते हैं भीलवाड़ा की यूक्रेन के चरनीबिल्ली में स्थित बुकोविनीयन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी की छात्रा अविका विजयवर्गीय के घर की। जहां उसके माता-पिता और परिजन बेटी के सकुशल घर लौटने पर खुशियां मना रहे हैं। अविका कहती हैं कि ‘मेरी यूनिवर्सिटी सेफ जोन में है। क्योंकि वेस्ट कार्नर में थी और जो वहां दिक्कत आ रही है वो ईस्ट बोर्डर पर आ रही है। जहां से मैं आई हूं वहां से हमें टाइमली अपडेट दिया गया था और मैं जब तक वहां थी ऐसी कोई दिक्कत नहीं थी। हम 17 स्टूडेंट एक चार्टेड प्लेन करके यहां तक पहुंचे हैं।’
अविका के पिता श्रवण और मां किरण विजयवर्गीय कहते हैं कि पहले हमें थोड़ी टेंशन हुई थी। लेकिन अब बेटी सकुशल घर लौट आई है। हमें बहुत अच्छा लग रहा है। हमें घबराहट हो रही थी की बेटी का क्या होगा? वहां तनाव होते ही मैंने बेटी को यहां आने के लिए कहा था। पढाई खराब होने के काण इसने उचित नहीं समझा था। लेकिन मैंने जिद करके इसे बुलाया है। अब तो यूक्रेन के जो हालात बन रहे उससे हमारा डर और बढ़ गया है।
दूसरी तस्वीर: यूक्रेन में फंसे आशिता और हर्षिल ने चिंता बढ़ाई
अब हम दूसरी तस्वीर यूक्रेन से दिखाते हैं। जिले के गंगापुर के हर्षिल मेहरा जो यूक्रेन के खारकिव में फंसा हुआ है और दूसरी आशिता सोनी की है। जो टेर्नोपिल में फंसी हुई हैं। दोनों ने अपने परिजनों को वीडियो संदेश भेजा है। टर्नोपिल में फंसी आशिता सोनी ने कहा कि रोज हमें बोला जाता है कि यहां की स्थित से आपको पैनिक होने की जरूरत नहीं है। यूनिवर्सिटी आये मगर कल ही जब किव से घर जा रहे थे तो रास्ते में बम ब्लास्ट हो गया और उन्हे बीच में रोका गया था। वे लोग भारतीय दुतावास से सम्पर्क करते हैं तो उनका कोई रेस्पॉन्स नहीं मिल रहा है। यूनिवर्सिटी हमसे कह रही है कि क्लासेज ऑफलाइन ही चलेंगी और आपको पैनिक होने की जरूरत नहीं है। टर्नोपिल में कब हालात खराब हो जाये इसका हम पता नहीं है। हमारी यूनिवर्सिटी और भारत सरकार को हमारी जिन्दगी की कोई चिंता नहीं है। इन हालातों में एयर टिकट 60 से 70 हजार रुपये में मिल रहा है। एक मिडिल क्लास फिमेली इतने रुपये कहां से लाएगी। यहां यूक्रेन में 20 हजार से ज्यादा छात्र पढाई कर रहे है। हम अपने साथ-साथ देश के लिए ही तो पढ़ रहे हैं। भारत सरकार को हमें यहां से सुरक्षित निकालना चाहिए। आप फ्लाइट फ्री नहीं करवा सकते तो कम से कम किराया तो कम करवा दो। हमें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि हम क्या करें?
ऐसा ही वीडियों गंगापुर के हर्षिल मेहरा का आया है जो खारकिव में फंसा हुआ है जो कह रहे है कि यहां की स्थिती खराब है। दो दिन पहले फिर भी ठीक था मगर अब रॉकेट और बम ब्लॉस्ट की आवाजें आ रही हैं। पता नहीं अब क्या होगा? और मेरे दोस्त जो कल गये थे फ्लाइट के लिए उनके भी एयरपोर्ट पहुंचने से पहले ही एयरपोर्ट बन्द हो गया था। हमे उम्मीद हैं कि भारत सरकार हमें सुरक्षित बाहर निकला लेगी।
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