दिल्ली की महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ बढ़ रही है यह बीमारी, देश में तीसरे नंबर पर h3>
नई दिल्लीः दिल्ली की महिलाओं में हाइपोथायरायडिज़म की समस्या बढ़ रही है। कुछ वर्षों से देशभर में यह बीमारी काफी बढ़ी है। पुरुषों में यह कम देखी जा रही है। लेकिन महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ यह बीमारी बढ़ रही है। इस वक्त दिल्ली में प्रति एक लाख में से 5,926 महिलाएं हाइपोथायरायडिज़म से जूझ रही हैं। यह जानकारी राज्यसभा में पूछे गए सवाल के बदले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रखी है। मंत्रालय से पूछा गया था क्या देश में हाइपोथायरायडिज़म बढ़ रहा है, यदि हां तो किन राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में ज्यादा है।
जवाब में स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा 2015-16 में कराए नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में 2.2 प्रतिशत लोग इससे जूझ रहे थे जबकि 2019-21 के सर्वे में प्रतिशत बढ़कर 2.9 हो गया। 2015-16 के अनुसार 15 से 49 साल के लोगों में दो प्रतिशत महिलाएं और एक प्रतिशत पुरुष हाइपोथायरायडिज़म से पीड़ित हैं। इसके अलावा 15 से 19 साल की 0.7, 20 से 34 साल की 1.81 और 35 से 49 साल की 3.4 प्रतिशत महिलाएं हाइपोथायरायडिज़म का शिकार पाई गईं। डॉ़ पवार ने कहा गरीबों के मुकाबले अमीरों में इसका ज्यादा खतरा है।
क्या है हाइपोथायरायडिज़म?
सफदरजंग अस्पताल के डॉ. जुगल किशोर के अनुसार थायरॉयड गर्दन में छोटी ग्रंथि है जिसका काम मेटाबॉलिज्म की क्रिया कंट्रोल करने वाले हार्मोंस बनाना है। हाइपोथायरायडिज़म में थायरॉयड ग्रंथि कई मुख्य हार्मोंस उत्पादन नहीं कर पाती। समय के साथ हाइपोथायरायडिज़म कई समस्याएं पैदा करने लगती है। इसमें मोटापा, हार्ट डिजीज, बांझपन और जोड़ों का दर्द शामिल है। शुरुआत में इसके खास लक्षण नहीं दिखते, ऐसे में पहचान मुश्किल हो जाती है। डॉ़ जुगल किशोर का कहना है ज्यादातर हाइपोथायरायडिज़म की समस्या आयोडीन की कमी से होती है। कई बार यह अत्यधिक दवाओं के सेवन, थायरॉयड सर्जरी और ऑटोइम्युन डिसऑर्डर हाशिमोटो थायरॉयडिटिस के चलते भी होती है।
यह हैं देश के टॉप पांच राज्य
राज्य/केंद्र शासित प्रदेश
प्रति एक लाख महिलाओं पर आंकड़ा
केरल
8696
जम्मू और कश्मीर
6809
दिल्ली
5926
तेलंगाना
5763
पश्चिम बंगाल
5298
जवाब में स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा 2015-16 में कराए नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में 2.2 प्रतिशत लोग इससे जूझ रहे थे जबकि 2019-21 के सर्वे में प्रतिशत बढ़कर 2.9 हो गया। 2015-16 के अनुसार 15 से 49 साल के लोगों में दो प्रतिशत महिलाएं और एक प्रतिशत पुरुष हाइपोथायरायडिज़म से पीड़ित हैं। इसके अलावा 15 से 19 साल की 0.7, 20 से 34 साल की 1.81 और 35 से 49 साल की 3.4 प्रतिशत महिलाएं हाइपोथायरायडिज़म का शिकार पाई गईं। डॉ़ पवार ने कहा गरीबों के मुकाबले अमीरों में इसका ज्यादा खतरा है।
क्या है हाइपोथायरायडिज़म?
सफदरजंग अस्पताल के डॉ. जुगल किशोर के अनुसार थायरॉयड गर्दन में छोटी ग्रंथि है जिसका काम मेटाबॉलिज्म की क्रिया कंट्रोल करने वाले हार्मोंस बनाना है। हाइपोथायरायडिज़म में थायरॉयड ग्रंथि कई मुख्य हार्मोंस उत्पादन नहीं कर पाती। समय के साथ हाइपोथायरायडिज़म कई समस्याएं पैदा करने लगती है। इसमें मोटापा, हार्ट डिजीज, बांझपन और जोड़ों का दर्द शामिल है। शुरुआत में इसके खास लक्षण नहीं दिखते, ऐसे में पहचान मुश्किल हो जाती है। डॉ़ जुगल किशोर का कहना है ज्यादातर हाइपोथायरायडिज़म की समस्या आयोडीन की कमी से होती है। कई बार यह अत्यधिक दवाओं के सेवन, थायरॉयड सर्जरी और ऑटोइम्युन डिसऑर्डर हाशिमोटो थायरॉयडिटिस के चलते भी होती है।
यह हैं देश के टॉप पांच राज्य
राज्य/केंद्र शासित प्रदेश | प्रति एक लाख महिलाओं पर आंकड़ा |
केरल | 8696 |
जम्मू और कश्मीर | 6809 |
दिल्ली | 5926 |
तेलंगाना | 5763 |
पश्चिम बंगाल | 5298 |