यूक्रेन-रूस विवाद: पुतिन के सामने कमजोर पड़ रहे बाइडन ? दुनिया को क्‍यों आई डोनाल्‍ड ट्रंप की याद

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यूक्रेन-रूस विवाद: पुतिन के सामने कमजोर पड़ रहे बाइडन ? दुनिया को क्‍यों आई डोनाल्‍ड ट्रंप की याद

यूक्रेन-रूस विवाद: पुतिन के सामने कमजोर पड़ रहे बाइडन ? दुनिया को क्‍यों आई डोनाल्‍ड ट्रंप की याद

मास्‍को
यूक्रेन को लेकर अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन की तमाम चेतावनियों को खारिज करते हुए रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन (Ukraine Russia News) में अपनी सेना को भेज दिया है। यही नहीं पुतिन ने यूक्रेन के सामने 3 बेहद कड़ी शर्तें रखी हैं और उसे मानने के लिए कहा है। पुतिन के इस आक्रामक रुख के बीच दुनियाभर में यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्‍या अमेरिकी राष्‍ट्रपति बाइडन रूसी राष्‍ट्रपति (Biden Vs Putin) के सामने कमजोर पड़ गए हैं। यही नहीं कई ऐसे लोग भी हैं जो संकट की इस घड़ी में ट्रंप को याद कर रहे हैं। आइए समझते हैं पूरा मामला….

ब्रिट‍िश राजनीतिक विश्‍लेषक डगलस मरी कहते हैं कि पुतिन पगला गए हैं और खतरनाक हैं लेकिन अमेरिका के कमजोर राष्‍ट्रपति जो बाइडन के कदमों से रूसी राष्‍ट्रपति और ज्‍यादा सशक्‍त हो गए हैं। वह कहते हैं कि यूरोप में शुरू होने जा रहे इस युद्ध से किसी को आश्‍चर्य नहीं है। करीब एक साल हो गया जब रूसी राष्‍ट्रपति यूक्रेन की सीमा पर हथियार और सैनिक जमा कर रहे हैं। मार्च 2021 में रूस ने करीब 90 हजार सैनिकों को ऐक्‍शन के लिए भेजा था। उन्‍होंने कहा कि पुतिन का मानना है कि यूक्रेन एक ‘कल्पित’ देश है जो रूस से ताल्‍लुक रखता है।
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‘पुतिन के सामने अमेरिका में एक कमजोर नेतृत्‍व’
मरी कहते हैं कि पुतिन अपने इसी दावे के कारण रूस के सैनिकों को रूसी भाषा बोलने वाले लोगों की रक्षा करने के लिए यूक्रेन के पूर्वी इलाकों में भेज दिए हैं। वह कहते हैं कि सवाल यह है कि पुतिन के इस कदम के बाद बाकी दुनिया क्‍या करने जा रही है। मरी ने कहा कि पहली चीज हमें जो माननी होगी कि हम आंशिक रूप से ऐसी स्थिति में हैं जब अमेरिका में एक कमजोर नेतृत्‍व है। फ्रांस और अन्‍य देशों के नेताओं ने गंभीर कूटनीति दिखाते हुए मास्‍को का दौरा किया लेकिन उनका प्रयास विफल रहा।

ब्रिटिश राजनीतिक विश्‍लेषक कहते हैं कि पुतिन को जो घुटनों पर लाने का काम दुनिया में केवल और केवल अमेरिका का राष्‍ट्रपति ही कर सकता है। आप डोनाल्‍ड ट्रंप को पसंद करें या नहीं करें, उनके शासनकाल में पुतिन किसी भी देश में घुसपैठ नहीं कर सके थे। ट्रंप की अस्थिरता और दमदार नेतृत्‍व की वजह से पुतिन उनके वाइट हाउस में रहने तक हमला करने का दुस्‍साहस नहीं कर सके। मरी ने कहा कि बाइडन का राष्‍ट्रपति कार्यकाल अलग है। पुतिन ने बाइडन की इस कमजोर होती स्थिति को पकड़ लिया।
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‘पुतिन ने देखी है अफगानिस्‍तान से अमेरिका की शर्मनाक वापसी’
मरी कहते हैं कि पुतिन ने यह भी देखा कि किस तरह से अमेरिका बहुत बुरी स्थिति में अफगानिस्‍तान से वापस लौटा है। उन्‍होंने देखा कि करीब 20 साल तक लड़ने के बाद अमेरिका और नाटो देश उसी तालिबान को सत्‍ता सौंपकर लौट आए जिसके खिलाफ वे लड़ रहे थे। यूक्रेन के मोर्चे पर बाइडन कहीं भी बढ़त दिखाते नहीं नजर आए। अभी पिछले सप्‍ताह ही बाइडन ने तो यहां तक कह दिया था कि वह रूस को यूक्रेन का एक‍ हिस्‍सा ले जाने की अनुमति दे देंगे। हालांकि बाद में वाइट हाउस ने सफाई दी कि बाइडन ने गलती से यह बोल दिया था। बाइडन ने यूक्रेन संकट को निपटाने के लिए कमला हैरिस को भेजा लेकिन वह और भी ज्‍यादा बेकार निकलीं। अब तक कमला हैरिस उपराष्‍ट्रपति रहते हुए कोई भी संकट नहीं हल सकी हैं।

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उन्‍होंने कहा कि यूक्रेन की सेना रूस से कमजोर भले ही है लेकिन वह लड़ सकती है। वह भी त‍ब जब रूस के पास भी लंबे समय तक जंग लड़ने के लिए पैसा नहीं है। मरी ने कहा कि अभी नाटो देश बहुत कम सैनिक भेज रहे हैं लेकिन यूरोप और अमेरिका को अभी रूस को पंगु बनाने के लिए और ज्‍यादा कदम उठाने की जरूरत है। इसके तहत न केवल पुतिन के प्रशासन के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाएं बल्कि रूसी अर्थव्‍यवस्‍था को तबाह करने के प्रयास किए जाएं ताकि पुतिन को उनके दुस्‍साहस की कीमत चुकानी पड़े।



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