UP Election: यूपी के चुनावी मैदान में ददुआ डाकू की फिर चर्चा, समाजवादी पार्टी ने बेटे को दे दिया है टिकट h3>
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) के मैदान में एक बार फिर ददुआ डाकू की चर्चा शुरू हो गई है। ददुआ डाकू (Dadua Daku) का बुंदेलखंड के चित्रकूट के बीहड़ में पहले आतंक का राज चलता था। इन इलाकों में वह अपने दम पर चुनावी माहौल को कंट्रोल करता था। ‘मोहर लगेगी हाथी पर, नहीं लाश मिलेगी घाटी पर’ जैसे नारे इस इलाके में लगाकर वह चर्चा में आया था। हालांकि, मायावती (Mayawati) सरकार के कार्यकाल में ददुआ डाकू का एनकाउंटर हो गया। इसके बाद अब समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने ददुआ डाकू के परिवार के जरिए इस इलाके के एक बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। मानिकपुर से समाजवादी पार्टी ने ददुआ डाकू के बेटे वीर सिंह पटेल (Veer Singh Patel) को चुनावी मैदान में उतारा है।
डकैत कभी बुंदेलखंड के इस इलाके में ग्राम प्रधान से लेकर सांसद तक के चुनाव की रणनीति को तय करते थे। उनके आदेश पर उम्मीदवारों को वोट पड़ते थे। हालांकि, ददुआ, ठोकिया, रागिया, बलखड़िया, बबली कोल के बाद साढ़े पांच लाख के ईनामी डकैत रहे गौरी यादव के खात्मे के साथ ही आसपास का पूरा इलाका दस्यु विहीन हो चुका है। लंबे अरसे बाद 2022 का विधानसभा चुनाव डकैतों के दखल के बिना पूरा होगा। अब समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार की घोषणा ने एक बार फिर डाकुओं के लिए चर्चित इलाके की चर्चा तेज कर दी है। अभी तक मानिकपुर से भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।
पटेल वोटरों को साधने की कोशिश
समाजवादी पार्टी ने बुंदेलखंड के इस इलाके में पटेल वोटरों को साधने के लिए ददुआ डाकू के प्रति सहानुभूति का भाव दर्शाया है। टिकट वितरण के पीछे की वजह यह भी मानी जा रही है। मानिकपुर से वीर सिंह पटेल के अलावा सदर विधानसभा कर्वी से अनिल पटेल को टिकट देकर पार्टी ने अपनी रणनीति साफ कर दी है। ददुआ डाकू के जरिए अखिलेश यादव वर्ग विशेष के वोट पर अपनी नजर बनाए हुए हैं। वीर सिंह पटेल राजनीति में सक्रिय रहा है। उसने अपना पहला चुनाव वर्ष 2006 में मानिकपुर विधानसभा के चुरेह केसरुआ वार्ड से जिला पंचायत सदस्य के रूप में लड़ा और पिता की हनक के कारण निर्विरोध जीता।
बसपा शासनकाल में ददुआ पटेल के एनकाउंटर के बाद समाजवादी पार्टी ने वर्ष 2012 के चुनाव में वीर सिंह पटेल को चुनावी मैदान में उतारा। इस बार उन्हें जीत मिली। अब एक बार फिर वे चुनावी मैदान में हैं। इस बार एक बार फिर सपा 2012 के रिजल्ट को दोहराने की कोशिश में है।
ददुआ ने 1982 में बनाया था अपना गैंग
चित्रकूट जिले के रैपुरा थाना क्षेत्र के देवकली गांव निवासी शिवकुमार पटेल उर्फ ददुआ ने 1982 में अपना गैंग बनाया था। ददुआ ने रामू का पुरवा गांव में जुलाई 1986 को 9 लोगों की एक साथ गोली मार दी थी। जिसके बाद से पूरे देश में आपराध जगत में एक बड़ा नाम बनकर उभरा था। ददुआ का आसपास के दो दर्जन से अधिक जिलों की 10 लोकसभा और 15 से 20 विधानसभा सीटों पर खासा दखल रहा है। बसपा के समर्थन में ददुआ द्वारा जारी किया गया फरमान ‘मोहर लगेगी हाथी मे, नहीं लाश मिलेगी घाटी में’ खासा चर्चा में रहा।
साढ़े पांच लाख का ईनामी दस्यु गौरी यादव बुंदेलखंड के मिनी चंबल के रूप में कुख्यात चित्रकूट के पाठा क्षेत्र का अंतिम डकैत रहा है। एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश की टीम ने बहिलपुरवा के जंगल में मुठभेड के दौरान दस्यु गौरी यादव को ढेर किया। इसके अंत के साथ ही बुंदेलखंड का पाठा दस्यु विहीन हो गया।
बुंदेलखंड के इलाकों में एक बार फिर शुरू हुई है ददुआ डाकू की चर्चा
पटेल वोटरों को साधने की कोशिश
समाजवादी पार्टी ने बुंदेलखंड के इस इलाके में पटेल वोटरों को साधने के लिए ददुआ डाकू के प्रति सहानुभूति का भाव दर्शाया है। टिकट वितरण के पीछे की वजह यह भी मानी जा रही है। मानिकपुर से वीर सिंह पटेल के अलावा सदर विधानसभा कर्वी से अनिल पटेल को टिकट देकर पार्टी ने अपनी रणनीति साफ कर दी है। ददुआ डाकू के जरिए अखिलेश यादव वर्ग विशेष के वोट पर अपनी नजर बनाए हुए हैं। वीर सिंह पटेल राजनीति में सक्रिय रहा है। उसने अपना पहला चुनाव वर्ष 2006 में मानिकपुर विधानसभा के चुरेह केसरुआ वार्ड से जिला पंचायत सदस्य के रूप में लड़ा और पिता की हनक के कारण निर्विरोध जीता।
बसपा शासनकाल में ददुआ पटेल के एनकाउंटर के बाद समाजवादी पार्टी ने वर्ष 2012 के चुनाव में वीर सिंह पटेल को चुनावी मैदान में उतारा। इस बार उन्हें जीत मिली। अब एक बार फिर वे चुनावी मैदान में हैं। इस बार एक बार फिर सपा 2012 के रिजल्ट को दोहराने की कोशिश में है।
ददुआ ने 1982 में बनाया था अपना गैंग
चित्रकूट जिले के रैपुरा थाना क्षेत्र के देवकली गांव निवासी शिवकुमार पटेल उर्फ ददुआ ने 1982 में अपना गैंग बनाया था। ददुआ ने रामू का पुरवा गांव में जुलाई 1986 को 9 लोगों की एक साथ गोली मार दी थी। जिसके बाद से पूरे देश में आपराध जगत में एक बड़ा नाम बनकर उभरा था। ददुआ का आसपास के दो दर्जन से अधिक जिलों की 10 लोकसभा और 15 से 20 विधानसभा सीटों पर खासा दखल रहा है। बसपा के समर्थन में ददुआ द्वारा जारी किया गया फरमान ‘मोहर लगेगी हाथी मे, नहीं लाश मिलेगी घाटी में’ खासा चर्चा में रहा।
साढ़े पांच लाख का ईनामी दस्यु गौरी यादव बुंदेलखंड के मिनी चंबल के रूप में कुख्यात चित्रकूट के पाठा क्षेत्र का अंतिम डकैत रहा है। एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश की टीम ने बहिलपुरवा के जंगल में मुठभेड के दौरान दस्यु गौरी यादव को ढेर किया। इसके अंत के साथ ही बुंदेलखंड का पाठा दस्यु विहीन हो गया।
बुंदेलखंड के इलाकों में एक बार फिर शुरू हुई है ददुआ डाकू की चर्चा