क्या होती है पीएम सुरक्षा प्रोटोकॉल की ब्लू बुक h3>
नरपतदान बारहठ
प्रधानमंत्री के हालिया पंजाब दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा में चूक एक बड़ा मसला बनक सामने आई। जाहिर सी बात है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा का सवाल हमेशा पहली प्राथमिकता में ही होता है। देश में कहीं भी प्रधानमंत्री का दौरा होता है तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी एसपीजी और संबंधित राज्य की पुलिस पर होती है।
प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर एक पूरा प्रोटोकॉल बना हुआ है। 1988 में संसद में एसपीजी एक्ट पारित करके स्पेशल प्रॉटेक्शन ग्रुप का गठन किया गया था। उस समय मौजूदा प्रधानमंत्री को ही सुरक्षा देने का प्रावधान था, पूर्व प्रधानमंत्रियों को नहीं। यही वजह थी कि 1989 में वीपी सिंह की सरकार ने राजीव गांधी का एसपीजी कवर हटा दिया था। 1991 दोबारा एसपीजी कानून में संशोधन हुआ। इसमें प्रावधान किया गया कि पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार को पद से हटने के 10 साल बाद तक एसपीजी सुरक्षा मिलेगी। लेकिन वाजपेयी सरकार ने 2003 में इस कानून में फिर संशोधन किया। संशोधन के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री को पद छोड़ने के एक साल बाद तक ही एसपीजी कवर मिलना तय हुआ। दो साल पहले एसपीजी एक्ट में एक बार और संशोधन किया गया। उसके मुताबिक अब ये सुरक्षा सिर्फ मौजूदा प्रधानमंत्री को मिलती है।
एसपीजी की सुरक्षा व्यवस्था को बेहद चाक-चौबंद माना जाता है, लेकिन इसमें कितने जवान होते हैं, इसकी संख्या निश्चित नहीं होती। एसपीजी प्रधानमंत्री सुरक्षा का पूरा खाका तैयार करती है। किसी भी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री की सुरक्षा की योजना बनाने का विस्तृत अभ्यास होता है जिसमें केंद्रीय एजेंसियां और राज्य पुलिस बल दोनों शामिल होते हैं। गृह मंत्रालय ‘ब्लू बुक’ के मुताबिक दिशानिर्देश जारी करता है, एसपीजी इनका पालन सुनिश्चित करती है।
किसी भी यात्रा से तीन दिन पहले एसपीजी एक अनिवार्य अग्रिम सुरक्षा संपर्क रखती है। यात्रा को सुरक्षित करने में शामिल एसपीजी अधिकारियों, राज्य के खुफिया ब्यूरो (आईबी) अधिकारियों, राज्य पुलिस अधिकारियों और संबंधित जिला मजिस्ट्रेट सहित अन्य अधिकारियों के बीच हर मिनट यात्रा के विवरण और आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था पर चर्चा की जाती है। एक बार बैठक समाप्त हो जाने के बाद एक एएसएल रिपोर्ट तैयार की जाती है, और इसमें भाग लेने वाले सभी लोगों द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं। इसी रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा के सारे पुख्ता इंतजामात किए जाते हैं।
एसपीजी के सुरक्षा निर्देश एक ‘ब्लू बुक’ में लिखे होते हैं। ‘ब्लू बुक’ एक तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा का दस्तावेज है, जिसमें किसी वीवीआईपी की सुरक्षा को लेकर फॉलो किए जाने वाले नियमों की तमाम जानकारी लिखी होती है। अभी प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसपीजी के पास है और एसपीजी की ब्लू बुक के हिसाब से ही पीएम सिक्यॉरिटी का ख्याल रखा जाता है। इस ब्लू बुक में पीएम सिक्यॉरिटी में फॉलो की जाने वाली पूरी गाइडलाइन लिखी होती है और उसके हिसाब से ही प्रोटोकॉल तय होता है। उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री कहीं जनसभा में जा रहे हैं तो वहां की सुरक्षा व्यवस्था कैसी होगी, पीएम सड़क मार्ग से जा रहे हैं तो उस रूट की व्यवस्था कैसी होगी, अगर हवाई मार्ग से जा रहे हैं तो किन नियमों का पालन किया जाएगा, इसके अलावा किसी बिल्डिंग में जा रहे हैं तो वहां सुरक्षा कैसे होगी, इन सभी बातों की जानकारी इस बुक में लिखी गई है। इसके अलावा बुक में सुरक्षा में तैनात जवानों की संख्या और अन्य प्रोटोकॉल की जानकारी भी लिखी होती है। यानी वीवीआईपी सुरक्षा से जुड़ी हर महत्वपूर्ण बात लिखी होती है।
बता दें कि अगर प्रधानमंत्री किसी राज्य का दौरा कर रहे हैं तो सिर्फ एसपीजी को ही नहीं, बल्कि स्टेट पुलिस को भी इसके हिसाब से व्यवस्था करनी होती है और साझा गाइडलाइन के हिसाब से पीएम का कार्यक्रम तय किया जाता है। ‘ब्लू बुक’ के अनुसार, राज्य की पुलिस को किसी भी आपात स्थिति की तैयारी पहले से करके रखनी होती है। एसपीजी के जवान पीएम के चारों ओर घेरा बनाकर रहते हैं, लेकिन सुरक्षा के बाकी उपायों की जिम्मेदारी राज्य सरकार के हाथों में होती है। स्थिति में होने वाले बदलाव की जानकारी राज्य की पुलिस एसपीजी को देती है और उसी हिसाब से वीआईपी की गतिविधि बदली जाती है।
नरपतदान बारहठ
प्रधानमंत्री के हालिया पंजाब दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा में चूक एक बड़ा मसला बनक सामने आई। जाहिर सी बात है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा का सवाल हमेशा पहली प्राथमिकता में ही होता है। देश में कहीं भी प्रधानमंत्री का दौरा होता है तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी एसपीजी और संबंधित राज्य की पुलिस पर होती है।
प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर एक पूरा प्रोटोकॉल बना हुआ है। 1988 में संसद में एसपीजी एक्ट पारित करके स्पेशल प्रॉटेक्शन ग्रुप का गठन किया गया था। उस समय मौजूदा प्रधानमंत्री को ही सुरक्षा देने का प्रावधान था, पूर्व प्रधानमंत्रियों को नहीं। यही वजह थी कि 1989 में वीपी सिंह की सरकार ने राजीव गांधी का एसपीजी कवर हटा दिया था। 1991 दोबारा एसपीजी कानून में संशोधन हुआ। इसमें प्रावधान किया गया कि पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार को पद से हटने के 10 साल बाद तक एसपीजी सुरक्षा मिलेगी। लेकिन वाजपेयी सरकार ने 2003 में इस कानून में फिर संशोधन किया। संशोधन के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री को पद छोड़ने के एक साल बाद तक ही एसपीजी कवर मिलना तय हुआ। दो साल पहले एसपीजी एक्ट में एक बार और संशोधन किया गया। उसके मुताबिक अब ये सुरक्षा सिर्फ मौजूदा प्रधानमंत्री को मिलती है।
एसपीजी की सुरक्षा व्यवस्था को बेहद चाक-चौबंद माना जाता है, लेकिन इसमें कितने जवान होते हैं, इसकी संख्या निश्चित नहीं होती। एसपीजी प्रधानमंत्री सुरक्षा का पूरा खाका तैयार करती है। किसी भी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री की सुरक्षा की योजना बनाने का विस्तृत अभ्यास होता है जिसमें केंद्रीय एजेंसियां और राज्य पुलिस बल दोनों शामिल होते हैं। गृह मंत्रालय ‘ब्लू बुक’ के मुताबिक दिशानिर्देश जारी करता है, एसपीजी इनका पालन सुनिश्चित करती है।
किसी भी यात्रा से तीन दिन पहले एसपीजी एक अनिवार्य अग्रिम सुरक्षा संपर्क रखती है। यात्रा को सुरक्षित करने में शामिल एसपीजी अधिकारियों, राज्य के खुफिया ब्यूरो (आईबी) अधिकारियों, राज्य पुलिस अधिकारियों और संबंधित जिला मजिस्ट्रेट सहित अन्य अधिकारियों के बीच हर मिनट यात्रा के विवरण और आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था पर चर्चा की जाती है। एक बार बैठक समाप्त हो जाने के बाद एक एएसएल रिपोर्ट तैयार की जाती है, और इसमें भाग लेने वाले सभी लोगों द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं। इसी रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा के सारे पुख्ता इंतजामात किए जाते हैं।
एसपीजी के सुरक्षा निर्देश एक ‘ब्लू बुक’ में लिखे होते हैं। ‘ब्लू बुक’ एक तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा का दस्तावेज है, जिसमें किसी वीवीआईपी की सुरक्षा को लेकर फॉलो किए जाने वाले नियमों की तमाम जानकारी लिखी होती है। अभी प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसपीजी के पास है और एसपीजी की ब्लू बुक के हिसाब से ही पीएम सिक्यॉरिटी का ख्याल रखा जाता है। इस ब्लू बुक में पीएम सिक्यॉरिटी में फॉलो की जाने वाली पूरी गाइडलाइन लिखी होती है और उसके हिसाब से ही प्रोटोकॉल तय होता है। उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री कहीं जनसभा में जा रहे हैं तो वहां की सुरक्षा व्यवस्था कैसी होगी, पीएम सड़क मार्ग से जा रहे हैं तो उस रूट की व्यवस्था कैसी होगी, अगर हवाई मार्ग से जा रहे हैं तो किन नियमों का पालन किया जाएगा, इसके अलावा किसी बिल्डिंग में जा रहे हैं तो वहां सुरक्षा कैसे होगी, इन सभी बातों की जानकारी इस बुक में लिखी गई है। इसके अलावा बुक में सुरक्षा में तैनात जवानों की संख्या और अन्य प्रोटोकॉल की जानकारी भी लिखी होती है। यानी वीवीआईपी सुरक्षा से जुड़ी हर महत्वपूर्ण बात लिखी होती है।
बता दें कि अगर प्रधानमंत्री किसी राज्य का दौरा कर रहे हैं तो सिर्फ एसपीजी को ही नहीं, बल्कि स्टेट पुलिस को भी इसके हिसाब से व्यवस्था करनी होती है और साझा गाइडलाइन के हिसाब से पीएम का कार्यक्रम तय किया जाता है। ‘ब्लू बुक’ के अनुसार, राज्य की पुलिस को किसी भी आपात स्थिति की तैयारी पहले से करके रखनी होती है। एसपीजी के जवान पीएम के चारों ओर घेरा बनाकर रहते हैं, लेकिन सुरक्षा के बाकी उपायों की जिम्मेदारी राज्य सरकार के हाथों में होती है। स्थिति में होने वाले बदलाव की जानकारी राज्य की पुलिस एसपीजी को देती है और उसी हिसाब से वीआईपी की गतिविधि बदली जाती है।
डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं