Sea Dragon 22 Exercise: चीनी पनडुब्बियों का ‘शिकार’ करने जमा हुए भारत समेत 6 देश, प्रशांत महासागर में कर रहे युद्धाभ्यास

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Sea Dragon 22 Exercise: चीनी पनडुब्बियों का ‘शिकार’ करने जमा हुए भारत समेत 6 देश, प्रशांत महासागर में कर रहे युद्धाभ्यास


Sea Dragon 22 Exercise: चीनी पनडुब्बियों का ‘शिकार’ करने जमा हुए भारत समेत 6 देश, प्रशांत महासागर में कर रहे युद्धाभ्यास

हाइलाइट्स

  • प्रशांत महासागर में एंटी सबमरीन युद्धाभ्यास कर रहे दुनिया के छह देश
  • सी ड्रैगन 22 नाम के इस युद्धाभ्यास में भारत और अमेरिका भी शामिल
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीनी पनडुब्बियों की बढ़ती मौजूदगी से बढ़ी सतर्कता

वॉशिंगटन
भारत समेत दुनिया के छह देश प्रशांत महासागर में पनडुब्बी रोधी युद्धाभ्यास कर रहे हैं। सी ड्रैगन 22 नाम के इस युद्धाभ्यास में भारत के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान और दक्षिण कोरिया की नौसेनाएं हिस्सा ले रही हैं। बताया जा रहा है कि इस युद्धाभ्यास का प्रमुख उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती पनडुब्बियों का पता लगाना और आवश्यक सूचनाएं इकट्ठा करना है।

पनडुब्बी रोधी विमान और युद्धपोत ले रहे हिस्सा
इस युद्धाभ्यास में क्वाड देशों के सदस्य भी शामिल हैं, जिनका चीन के साथ सीधा विवाद है। क्वाड के चारों देश मालाबार युद्धाभ्यास में भी हिस्सा लेते हैं। सी ड्रैगन युद्धाभ्यास में अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के पी-8 आई पोसाइडन विमान और पनडुब्बियां हिस्सा ले रही हैं। भारत की तरफ से भी पी-8आई पोसाइडन एयरक्राफ्ट को भेजा गया है। ये लंबी दूरी तक समुद्र में गश्त लगाने में सक्षम होते हैं।

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270 घंटे के युद्धाभ्यास के बाद घोषित किया जाएगा विजेता
इस युद्धाभ्यास के दौरान 270 घंटे से अधिक इन-फ्लाइट ट्रेनिंग दी जाएगी। सभी देशों के विमान और युद्धपोत अमेरिकी नौसेना की एक लाइव पनडुब्बी का पता लगाने की कोशिश करेंगे। प्रत्येक घटना को ग्रेड दिया जाएगा और उच्चतम कुल अंक प्राप्त करने वाले देश को प्रतिष्ठित ड्रैगन बेल्ट पुरस्कार प्राप्त होगा। पिछले साल इस पुरस्कार को रॉयल कैनेडियन वायु सेना ने जीता था।

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पनडुब्बियों का काल है पी-8आई पोसाइडन
बोइंग पी-8 पोसाइडन को पनडुब्बियों का काल माना जाता है। ये एयरक्राफ्ट एंटी-सबमरीन और एंटी-सरफेस वारफेयर को अंजाम देने में सक्षम हैं। लंबी दूरी तक समुद्र में पेट्रोलिंग करने के कारण अमेरिका इसे पूरी दुनिया में तैनात कर रखा है। इसकी ऑपरेटिंग रेंज 1,200 नॉटिकल माइल है। इस एयरक्राफ्ट की अधिकतम रफ्तार 907 किलोमीटर प्रति घंटा है। रडार से लैस ये एयरक्राफ्ट खुफिया और किसी भी तरह के जोखिमों से निपटने में सक्षम है। इसमें खतरनाक हारपून ब्लॉक-II मिसाइलें, MK-54 कम वजन वाले विध्वंसक मौजूद हैं।

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पनडुब्बियों को बर्बाद भी कर सकता है पोसाइडन
बोइंग पी-8 पोसाइडन एयरक्राफ्ट रॉकेट और बारूदों से भी लैस है। यह किसी भी गंभीर स्थिति को भांपकर दुश्मन की पनडुब्बियों और युद्धपोतों पर हमला कर सकता है। इसे अमेरिकी एयरक्राफ्ट मैन्यूफैक्चरर कंपनी बोइंग ने तैयार किया है। अमेरिका ने अगली पीढ़ी के समुद्री निगरानी विमान बनाने की योजना के तहत जून 2004 में बोइंग को इसकी जिम्मेदारी सौंपी। मार्च 2005 में पहला पोसाइडन-8A एयरक्राफ्ट डिजाइन किया गया। इसके बाद करीब 117 पोसाइडन-8A एयरक्राफ्ट को अमेरिकन नेवी ने अपने बेड़े में शामिल किया। फरवरी 2014 में ऑस्ट्रेलियन सरकार ने पोसाइडन-8A की खरीदी की। इस सौदे में 4 बिलियन डॉलर के 4 और एयरक्रॉफ्ट का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया।



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