जिया खान सूइसाइड केस: 8 साल से पेंडिंग पड़े मामले की अब सुनवाई करेगा CBI कोर्ट h3>
जिया खान (Jiah Khan) के सूइसाइड के 8 साल बाद अब उनके केस की सुनवाई स्पेशल सीबीआई कोर्ट में होगी। सेशन्स कोर्ट, जो कि दिवंगत ऐक्ट्रेस के बॉयफ्रेंड और ऐक्टर सूरज पंचोली (Sooraj Pancholi) पर उकसाने के आरोप में ट्रायल कर रहा था, ने कहा कि ट्रायल सीबीआई कोर्ट को ट्रांसफर किया जाना चाहिए।
इस हफ्ते की शुरुआत में अपने ऑर्डर में सेशन्स कोर्ट के जज ने कहा, ‘वर्तमान मामले में जांच सीबीआई/एससीबी कर रही है और उसने सप्लीमेंट्री चार्जशीट फाइल की है। सीबीआई खासतौर पर जिन केसों की जांच करती है, स्पेशल कोर्ट्स उन्हीं के लिए हैं और ऐसे केस के लिए स्पेशल जज अपॉइंट किए जाते हैं। सीबीआई के फाइल किए गए केसों से डील करने की पावर मुझे नहीं है। मेरे विचार से यह जरूरी है कि केस को सीबीआई कोर्ट को ट्रांसफर किया जाए।’
सीबीआई ने की थी जांच की मांग
कोर्ट, जो कि सीबीआई की फाइल की गई ऐप्लिकेशन पर सुनवाई कर रहा था, ने यह ऑर्डर पास किया क्योंकि एजेंसी के पास इसके केसों के लिए अलग से कोर्ट्स होते हैं। बता दें, सीबीआई ने जिया मामले में आगे जांच करने की मांग की थी। अब कोर्ट के प्रिंसिपल जज केस को सीबीआई कोर्ट को सौंपेंगे।
फरेंसिक जांच के लिए भेजी जाएं चीजें
इससे पहले केस में ट्रायल मार्च 2019 में शुरू हुआ था। दिसंबर 2019 में सीबीआई ने सेशन्स कोर्ट के सामने ऐप्लिकेशन दी कि वह मामले में आगे जांच करना चाहती है और कुछ आर्टिकल्स को फिर से फरेंसिक जांच के लिए भेजने की मांग करती है। इसमें जिया द्वारा सूइसाइड के वक्त इस्तेमाल किया गया कथित दुपट्टा भी शामिल है जिसे चंडीगढ़ की सेंट्रल फरेंसिक साइंस लैबोरेटरी को भेजा जाए।
मेसेजेस को रिट्रीव करने की मांग
यही नहीं, सीबीआई ने जिया की मौत से पहले उनके और सूरज के बीच एक्सचेंज हुए ब्लैकबेरी मेसेंजर मेसेजेस को फिर से रिट्रीव करने की भी मांग की। एजेंसी ने उनके फोन्स को यूएस की फरेंसिक यूनिट फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन को भेजने के लिए कहा।
3 जून 2013 को मृत अवस्था में मिली थीं जिया
सेशन्स कोर्ट ने सीबीआई की दलीलों को सुना तो सूरज के वकील प्रशांत पाटिल ने दलीलों का विरोध किया। अब ऐप्लिकेशन स्पेशल सीबीआई कोर्ट द्वारा फिर से सुनी जा सकती है। बता दें, जिया को 3 जून 2013 को उनकी मां राबिया ने जुहू स्थित घर पर मृत अवस्था में पाया था। सूरज को 10 जून 2013 को मामले में गिरफ्तार कर लिया गया और फिर जुलाई में उन्हें बेल मिल गई। सेक्शन 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत उन पर ट्रायल चल रहा है।
सीबीआई ने की थी जांच की मांग
कोर्ट, जो कि सीबीआई की फाइल की गई ऐप्लिकेशन पर सुनवाई कर रहा था, ने यह ऑर्डर पास किया क्योंकि एजेंसी के पास इसके केसों के लिए अलग से कोर्ट्स होते हैं। बता दें, सीबीआई ने जिया मामले में आगे जांच करने की मांग की थी। अब कोर्ट के प्रिंसिपल जज केस को सीबीआई कोर्ट को सौंपेंगे।
फरेंसिक जांच के लिए भेजी जाएं चीजें
इससे पहले केस में ट्रायल मार्च 2019 में शुरू हुआ था। दिसंबर 2019 में सीबीआई ने सेशन्स कोर्ट के सामने ऐप्लिकेशन दी कि वह मामले में आगे जांच करना चाहती है और कुछ आर्टिकल्स को फिर से फरेंसिक जांच के लिए भेजने की मांग करती है। इसमें जिया द्वारा सूइसाइड के वक्त इस्तेमाल किया गया कथित दुपट्टा भी शामिल है जिसे चंडीगढ़ की सेंट्रल फरेंसिक साइंस लैबोरेटरी को भेजा जाए।
मेसेजेस को रिट्रीव करने की मांग
यही नहीं, सीबीआई ने जिया की मौत से पहले उनके और सूरज के बीच एक्सचेंज हुए ब्लैकबेरी मेसेंजर मेसेजेस को फिर से रिट्रीव करने की भी मांग की। एजेंसी ने उनके फोन्स को यूएस की फरेंसिक यूनिट फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन को भेजने के लिए कहा।
3 जून 2013 को मृत अवस्था में मिली थीं जिया
सेशन्स कोर्ट ने सीबीआई की दलीलों को सुना तो सूरज के वकील प्रशांत पाटिल ने दलीलों का विरोध किया। अब ऐप्लिकेशन स्पेशल सीबीआई कोर्ट द्वारा फिर से सुनी जा सकती है। बता दें, जिया को 3 जून 2013 को उनकी मां राबिया ने जुहू स्थित घर पर मृत अवस्था में पाया था। सूरज को 10 जून 2013 को मामले में गिरफ्तार कर लिया गया और फिर जुलाई में उन्हें बेल मिल गई। सेक्शन 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत उन पर ट्रायल चल रहा है।