बंटवारे के बाद देश के लिए सबसे बड़ी त्रासदी? अमेरिकी स्टडी में कोरोना से 50 लाख मौतों का दावा h3>
हाइलाइट्स
- वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर ग्लोबल डिवेलपमेंट ने की स्टडी
- भारत में कोरोना से मौतों को लेकर तीन अनुमान सामने रखे
- तीनों में आधिकारिक आंकड़ों से कई गुना ज्यादा मौतों का दावा
- पहली लहर में ही करीब 20 लाख लोगों की मौत हुई: स्टडी
नई दिल्ली/वॉशिंगटन
क्या कोरोना वायरस महामारी भारत में विभाजन के बाद सबसे बड़ी त्रासदी के रूप में सामने आई है? एक अमेरिकी शोध के अनुसार, जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच भारत में कोविड-19 से करीब 50 लाख लोगों की मौत हुई। वॉशिंगटन के सेंटर फॉर ग्लोबल डिवेलपमेंट (CGD) ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में यह दावा किया। संस्था के अनुसार, रिपोर्ट के लिए सीरोलॉजिकल स्टडीज, घर-घर जाकर हुए सर्वे, राज्य स्तर पर नगर निकायों के आधिकारिक डेटा और अंतरराष्ट्रीय अनुमानों को आधार बनाया गया।
रिपोर्ट में मौतों के आंकड़े को लेकर तीन अनुमान लगाए गए हैं। हर अनुमान के अनुसार, एक दिन में 4 लाख मौतों का आंकड़ा कई बार देखने को मिला। स्टडी में जो सबसे कम अनुमान लगाया गया है, उसके हिसाब से आधिकारिक आंकड़ों से 34 लाख ज्यादा मौतें हुईं। यह अनुमान सात राज्यों के नगर निकायों के ट्रेंड्स को आधार बनाकर लगाया गया।
बाकी दो अनुमान क्या कहते हैं?
दूसरा अनुमान उम्र के हिसाब से मृत्यु-दरों के अंतरराष्ट्रीय अनुमानों पर आधारित है। इसमें करीब 40 लाख मौतें हुईं हैं, ऐसा कहा गया। रिपोर्ट में तीसरा अनुमान कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे के एनालिसिस पर आधारित है। यह सर्वे सभी राज्यों के 8 लाख से ज्यादा लोगों पर किया गया। इस अनुमान में कोविड से 49 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होने का दावा किया गया है।
रिपोर्ट तैयार करने वालों में पूर्व CEA भी
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 से हुई मौतें ‘आधिकारिक आंकड़ों से कहीं ज्यादा हैं’। इसके मुताबिक, भारत में कोविड से मरने वालों की संख्या कुछ लाख नहीं, बल्कि मिलियंस (10 लाख के गुणज) में है। रिपोर्ट को अभिषेक आनंद, जस्टिद सैंडेफर और अरविंद सुब्रमण्यन ने तैयार किया है। सुब्रमण्यन भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके हैं।
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पहली लहर में 20 लाख मौतें!
CGD की रिपोर्ट कहती है कि मार्च 2020 और फरवरी 2021 के बीच पहली लहर के दौरान, ‘रियल टाइम में त्रासदी का स्तर’ समझने में भारत नाकाम रहा। रिपोर्ट में दूसरी लहर के दौरान मचे हाहाकार के लिए पहली लहर की लापरवाहियों को जिम्मेदार बताया गया है। रिपोर्ट कहती है कि पहली लहर जितनी समझी गई, उससे कहीं ज्यादा घातक थी। अनुमान है कि पहली लहर के दौरान करीब 20 लाख लोग कोविड से मारे गए।
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भारत में मौतों से जुड़े अनुमानों की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब ‘डेल्टा’ वेरिएंट ने दुनिया के कई हिस्सों में कहर बरपाना शुरू किया है। अमेरिका में ज्यादातर नए मामले इसी वेरिएंट के हैं और ऐसे लोगों में हैं जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है। सेंटल फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) ने कहा है कि 99% मौतें उन लोगों में हुई हैं जिन्हें टीका नहीं लगा था।
सांकेतिक तस्वीर
हाइलाइट्स
- वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर ग्लोबल डिवेलपमेंट ने की स्टडी
- भारत में कोरोना से मौतों को लेकर तीन अनुमान सामने रखे
- तीनों में आधिकारिक आंकड़ों से कई गुना ज्यादा मौतों का दावा
- पहली लहर में ही करीब 20 लाख लोगों की मौत हुई: स्टडी
क्या कोरोना वायरस महामारी भारत में विभाजन के बाद सबसे बड़ी त्रासदी के रूप में सामने आई है? एक अमेरिकी शोध के अनुसार, जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच भारत में कोविड-19 से करीब 50 लाख लोगों की मौत हुई। वॉशिंगटन के सेंटर फॉर ग्लोबल डिवेलपमेंट (CGD) ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में यह दावा किया। संस्था के अनुसार, रिपोर्ट के लिए सीरोलॉजिकल स्टडीज, घर-घर जाकर हुए सर्वे, राज्य स्तर पर नगर निकायों के आधिकारिक डेटा और अंतरराष्ट्रीय अनुमानों को आधार बनाया गया।
रिपोर्ट में मौतों के आंकड़े को लेकर तीन अनुमान लगाए गए हैं। हर अनुमान के अनुसार, एक दिन में 4 लाख मौतों का आंकड़ा कई बार देखने को मिला। स्टडी में जो सबसे कम अनुमान लगाया गया है, उसके हिसाब से आधिकारिक आंकड़ों से 34 लाख ज्यादा मौतें हुईं। यह अनुमान सात राज्यों के नगर निकायों के ट्रेंड्स को आधार बनाकर लगाया गया।
बाकी दो अनुमान क्या कहते हैं?
दूसरा अनुमान उम्र के हिसाब से मृत्यु-दरों के अंतरराष्ट्रीय अनुमानों पर आधारित है। इसमें करीब 40 लाख मौतें हुईं हैं, ऐसा कहा गया। रिपोर्ट में तीसरा अनुमान कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे के एनालिसिस पर आधारित है। यह सर्वे सभी राज्यों के 8 लाख से ज्यादा लोगों पर किया गया। इस अनुमान में कोविड से 49 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होने का दावा किया गया है।
रिपोर्ट तैयार करने वालों में पूर्व CEA भी
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 से हुई मौतें ‘आधिकारिक आंकड़ों से कहीं ज्यादा हैं’। इसके मुताबिक, भारत में कोविड से मरने वालों की संख्या कुछ लाख नहीं, बल्कि मिलियंस (10 लाख के गुणज) में है। रिपोर्ट को अभिषेक आनंद, जस्टिद सैंडेफर और अरविंद सुब्रमण्यन ने तैयार किया है। सुब्रमण्यन भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके हैं।
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पहली लहर में 20 लाख मौतें!
CGD की रिपोर्ट कहती है कि मार्च 2020 और फरवरी 2021 के बीच पहली लहर के दौरान, ‘रियल टाइम में त्रासदी का स्तर’ समझने में भारत नाकाम रहा। रिपोर्ट में दूसरी लहर के दौरान मचे हाहाकार के लिए पहली लहर की लापरवाहियों को जिम्मेदार बताया गया है। रिपोर्ट कहती है कि पहली लहर जितनी समझी गई, उससे कहीं ज्यादा घातक थी। अनुमान है कि पहली लहर के दौरान करीब 20 लाख लोग कोविड से मारे गए।
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भारत में मौतों से जुड़े अनुमानों की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब ‘डेल्टा’ वेरिएंट ने दुनिया के कई हिस्सों में कहर बरपाना शुरू किया है। अमेरिका में ज्यादातर नए मामले इसी वेरिएंट के हैं और ऐसे लोगों में हैं जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है। सेंटल फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) ने कहा है कि 99% मौतें उन लोगों में हुई हैं जिन्हें टीका नहीं लगा था।
सांकेतिक तस्वीर