कौन है Dimple Cheema, जिनसे कारगिल जाने से पहले ‘वादा’ कर गए थे SherShaah कैप्‍टन विक्रम बत्रा

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कौन है Dimple Cheema, जिनसे कारगिल जाने से पहले ‘वादा’ कर गए थे SherShaah कैप्‍टन विक्रम बत्रा


कौन है Dimple Cheema, जिनसे कारगिल जाने से पहले ‘वादा’ कर गए थे SherShaah कैप्‍टन विक्रम बत्रा

कैप्‍टन विक्रम बत्रा की बायॉपिक ‘शेरशाह’ का टीजर (Shershaah Teaser) गुरुवार को रिलीज हो गया। फिल्‍म में सिद्धार्थ मल्‍होत्रा (Sidharth Malhotra) लीड रोल में हैं, जबकि कियारा आडवाणी (Kiara Advani) फिल्‍म की ऐक्‍ट्रेस हैं। टीजर वीडियो में कियारा की कोई झलक तो देखने को नहीं मिली है, लेकिन वह फिल्‍म में कैप्‍टन विक्रम बत्रा की गर्लफ्रेंड डिंपल चीमा (Dimple Cheema) का किरदार निभाएंगी। कैप्‍टन बत्रा कारगिल युद्ध के हीरो थे। एक ऐसा नाम, जिसकी बहादुरी के किस्‍से पाकिस्‍तानी घुसपैठी सैनिकों में भी मशहूर थे। उन्‍हें पाकिस्‍तानी सैनिकों ने ही कोड नेम ‘शेर शाह’ दिया था।

कैप्‍टन विक्रम बत्रा 7 जुलाई 1999 को युद्ध में शहीद हुए। शहादत के वक्‍त भी वह न सिर्फ दुश्‍मनों के दांत खट्टे कर रहे थे, बल्‍क‍ि खुद गोलियों से छलनी होकर भी अपने साथी अफसरों की जान बचा रहे थे। परमवीर चक्र से सम्‍मानित कैप्‍टन बत्रा की उम्र महज 24 साल थी, लेकिन उनकी दिलेरी के किस्‍से इतने हैं कि सदियां बीत जाए। लेकिन यहां बात उनकी निजी जिंदगी की। बात डिंपल चीमा की, जिसके प्‍यार में कैप्‍टन बत्रा ने एक बार ब्‍लेड से अपना अंगूठा तक काट लिया था।

चंडीगढ़ में हुई थी दोनों की पहली मुलाकात
कैप्‍टन विक्रम बत्रा की जिंदगी में डिंपल चीमा कॉलेज के दिनों में आईं। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में 9 सितंबर 1974 को कैप्‍टन विक्रम बत्रा का जन्‍म हुआ था। गिरधारी लाल बत्रा और कांता बत्रा के घर जन्‍मे विक्रम ने पालमपुर के सेंट्रल स्‍कूल से बारहवीं तक की पढ़ाई की। स्‍कूल के दिनों में ही कराटे में ग्रीन बेल्‍ट हासिल किया। इसके वह कॉलेज की पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ चले गए। 1995 में उन्‍होंने डीएवी कॉलेज में बीएससी मेडिकल साइंस में दाख‍िला लिया। वहीं एनसीसी के एयर विंग में हिस्‍सा लिया और यहीं उनकी मुलाकात डिंपल चीमा से हुई।

फिर कॉलेज छोड़ मिलिट्री एकेडमी चले गए विक्रम
डिंपल चीमा ने ‘क्‍व‍िंट’ को दिए एक इंटरव्‍यू में कहा कि उन्होंने और विक्रम ने कुछ बेहद खूबसूरत महीने चंडीगढ़ में गुजारे। लेकिन साल 1996 विक्रम बत्रा का इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) में सेलेक्‍शन हो गया और वह देहरादून चले गए। जाहिर तौर पर डिंपल और विक्रम के बीच किलोमीटर्स में दूरियां बढ़ गईं, लेकिन प्‍यार कभी कम नहीं हुआ।

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‘हम कारगिल के बाद शादी करने वाले थे’
डिंपल कहती हैं, ‘1996 में विक्रम का सेलेक्‍शन हो गया। उसने चंडीगढ़ में कॉलेज छोड़ दिया। लेकिन एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरा जब मैंने उसे याद नहीं किया। वह मिलिट्री एकेडमी में था और हमारा प्यार बढ़ता गया। 1999 में कारगिल से लौटने के हम शादी करने वाले थे। लेकिन वह लौटा नहीं। जीवनभर का दर्द और अपनी यादें मुझे दे गया।’

Dimple-cheema

कम होती थी बात, लेकिन बढ़ रहा था प्‍यार
डिंपल बताती हैं कि ट्रेनिंग पूरी होने के बाद जब विक्रम की पोस्‍ट‍िंग हुई और वह अलग-अलग मिशन में व्‍यस्‍त रहने लगे तो मुलाकातों और बातों का इंतजार बढ़ने लगा। विक्रम देश की सेवा में अपना समय देना चाहते थे और डिंपल ने भी इसमें उनका साथ दिया। डिंपल बताती हैं‍ कि इस बीच उन पर परिवार की ओर से शादी का दबाव बढ़ने लगा था। लेकिन वह हमेशा विक्रम से कहती थीं, ‘जो आपको पसंद है, वह काम करें। उस काम में अपना पूरा ध्‍यान लगाएं। आप जो कर रहे हैं और उसका जो परिणाम होगा, उसे पसंद करने के लिए सब मजबूर हो जाएंगे।’

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‘उसने अंगूठा काटा और मेरी मांग भर दी’
डिंपल आगे बताती हैं कि कपल्‍स के लिए मनसा देवी मंदिर और गुरुद्वारा श्री नंदा साहिब जाना एक रीत मानी जाती थी। ऐसी ही एक यात्रा के दौरान जब दोनों परिक्रमा कर रहे थे, तब विक्रम ने उनका दुपट्टा पकड़ा हुआ था। परिक्रमा पूरी होने के बाद विक्रम ने कहा, ‘बधाई हो, श्रीमती बत्रा!’ इसके बाद जब दोनों अगली बार मंदिर गए तब डिंपल ने शादी को लेकर चिंता जाहिर की। वह बताती हैं कि तब विक्रम बत्रा ने अपने बटुए से एक ब्लेड निकाला और अपना अंगूठा काटकर खून से उनकी ‘मांग’ भर दी।

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‘आज भी लगता है हम फिर मिलने वाले हैं’
डिंपल कहती है कि कैप्टन बत्रा के साथ उनका रिश्‍ता भले ही चार साल का रहा, लेकिन उनकी यादें जिंदगी काटने के लिए काफी हैं। वह कहती हैं, ‘ऐसा लगता है कि जैसे दशक गुजर गए, मैंने कभी भी उसे खुद से अलग नहीं पाया। मुझे आज भी महसूस होता है कि विक्रम एक पोस्टिंग पर गया है और हमलोग फिर से मिलने वाले हैं। बस यह कुछ समय की बात है।’


7 जुलाई, खुद छलनी होकर भी दूसरों को बचाने वाला ‘परमवीर’
कारगिल जाने से पहले कैप्टन विक्रम बत्रा, डिंपल से मिले थे। डिंपल खुद भी उनके देशभक्‍त‍ि के जज्‍बे से काफी प्रभावित थीं। 1999 में कारगिल में 7 जुलाई को वह बंकर में थे, जब उनके साथी अफसर नवीन के पैरों से पास एक धमाका हुआ। घुसपैठी गोलीबारी करने लगे। कैप्‍टन विक्रम बत्रा ने नवीन को वहां से बचाया और किनारे ले गए। कहा, तुम्‍हारा परिवार है, तुम यहां से हट जाओ। इतना कहने के बाद वह दुश्‍मनों के हमले का जवाब देने लगे। कैप्टन विक्रम बत्रा के नेतृत्‍व में सेना ने पाकिस्‍तानी घुसपैठियों को पॉइंट 5140 से खदेड़ा था। पॉइंट 4875 पर वह दुश्‍मनों के दांत खट्टे कर रहे थे। नवीन कहते हैं, ‘मुझे वहां से हटाने के करीब आधे घंटे बाद ही कैप्टन ने एक दूसरे अफसर को बचाते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी।’ कारगिल युद्ध में असाधारण शौर्य और पराक्रम के लिए कैप्टन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।





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