हाईकोर्ट ने बुझाया उम्मीदों का ‘चिराग’, चाचा पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता बनाने के खिलाफ खारिज की अर्जी h3>
चिराग पासवान को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। चाचा पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता बनाने के खिलाफ चिराग पासवान की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि चिराग पासवान की याचिका में कोई आधार नहीं है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि मामला लोकसभा स्पीकर के पास पेडिंग है। लिहाजा आदेश देने की कोई जरूरत नहीं है।
लोकसभा अध्यक्ष की तरफ से लोक जनशक्ति पार्टी के सदस्य के तौर पर पशुपति पारस को मंत्री पद की शपथ लेने के खिलाफ दाखिल चिराग पासवान की याचिका पर शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। स्पीकर के वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने इस मामले में स्पीकर से बात की है। उनकी तरफ से जानकारी दी गई है कि इस प्रकरण को वो देख रहे हैं। वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया।
Delhi High Court dismisses Chirag Paswan’s petition challenging Lok Sabha Speaker’s order to designate Pashupati Paras as Lok Jan Shakti Party’s floor leader. Court says the petition is without merit. pic.twitter.com/r344H0FaYC
— ANI (@ANI) July 9, 2021
कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में अभी कोई आदेश नहीं दे सकते क्योंकि स्पीकर इस मामले को देख रहे हैं। लोकसभा अध्यक्ष के वकील ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई का कोई आधार नहीं है। जब लोकसभा स्पीकर खुद इस मामले को देख रहे हैं। चिराग के वकील ने स्पीकर के इस बात का कोई विरोध नहीं किया है।
पशुपति पारस की तरफ से पेश वकील ने कहा कि जो लेटर पारस ने लोकसभा अध्यक्ष को दिया था उस समय पशुपति पारस पार्टी के चीफ व्हिप थे और बाद में पार्टी के लीडर चुने गए थे। कोर्ट ने कहा कि आपको चुनाव आयोग जाना चाहिए। यहां नहीं आना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि ये याचिका यहां पर मेंटिनेबल नहीं है। दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में चिराग पासवान ने कहा है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और शीर्ष नेतृत्व को धेाखा देने की वजह से राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते पशुपति कुमार पारस को पार्टी से निकाला जा चुका है। इस वजह से वे लोजपा के सदस्य नहीं हैं। चिराग ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें उनके चाचा केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस के गुट को मान्यता दी है।
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लोकसभा अध्यक्ष की तरफ से लोक जनशक्ति पार्टी के सदस्य के तौर पर पशुपति पारस को मंत्री पद की शपथ लेने के खिलाफ दाखिल चिराग पासवान की याचिका पर शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। स्पीकर के वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने इस मामले में स्पीकर से बात की है। उनकी तरफ से जानकारी दी गई है कि इस प्रकरण को वो देख रहे हैं। वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया।
Delhi High Court dismisses Chirag Paswan’s petition challenging Lok Sabha Speaker’s order to designate Pashupati Paras as Lok Jan Shakti Party’s floor leader. Court says the petition is without merit. pic.twitter.com/r344H0FaYC
— ANI (@ANI) July 9, 2021
कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में अभी कोई आदेश नहीं दे सकते क्योंकि स्पीकर इस मामले को देख रहे हैं। लोकसभा अध्यक्ष के वकील ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई का कोई आधार नहीं है। जब लोकसभा स्पीकर खुद इस मामले को देख रहे हैं। चिराग के वकील ने स्पीकर के इस बात का कोई विरोध नहीं किया है।
पशुपति पारस की तरफ से पेश वकील ने कहा कि जो लेटर पारस ने लोकसभा अध्यक्ष को दिया था उस समय पशुपति पारस पार्टी के चीफ व्हिप थे और बाद में पार्टी के लीडर चुने गए थे। कोर्ट ने कहा कि आपको चुनाव आयोग जाना चाहिए। यहां नहीं आना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि ये याचिका यहां पर मेंटिनेबल नहीं है। दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में चिराग पासवान ने कहा है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और शीर्ष नेतृत्व को धेाखा देने की वजह से राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते पशुपति कुमार पारस को पार्टी से निकाला जा चुका है। इस वजह से वे लोजपा के सदस्य नहीं हैं। चिराग ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें उनके चाचा केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस के गुट को मान्यता दी है।