Modi Cabinet Expansion : केंद्र सरकार में JDU की एंट्री पर इस बार भी पेंच! क्या नीतीश की ‘पांच’ मांगें मानेंगे मोदी? h3>
हाइलाइट्स:
- कौन हैं JDU के वो पांच नाम?
- किनको मोदी मंत्रिमंडल में देखना चाहते हैं नीतीश कुमार?
- पिछली बार नीतीश ने सांकेतिक हिस्सेदारी से किया था इनकार
- इस बार नीतीश की ‘पांच’ मांगें मानेंगे मोदी?
पटना:
केंद्र की मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर हलचल काफी तेज हो गई है। यूं समझिए कि सत्ता क्रिकेट मैच की तरह है। यहां चुनाव में भी क्रिकेट की तरह ही हार-जीत से फैसला होता है। लेकिन मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज का मोह किसी से नहीं छूटता। लेकिन इसी बीच एक सवाल ये भी है क्या आखिरी वक्त में फिर से JDU की एंट्री में पेंच फंसेगा?
आरसीपी सिंह दिल्ली रवाना
मोदी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के बीच JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नीतीश के खासमखास RCP सिंह दिल्ली रवाना हो चुके हैं। अब वहां जाने का मकसद क्या है ये तो वही जानें लेकिन चर्चा है कि वो एक बड़े यक्ष प्रश्न का जवाब ढूंढने दिल्ली गए हैं। क्योंकि राह इतनी आसान नहीं है जितना अनुमान लगाया जा रहा है। समझने के लिए आपको नीतीश कुमार का समीकरण देखना होगा।
मोदी कैबिनेट का विस्तार: नए मंत्रियों पर पीएम का फैसला फाइनल, इस लिस्ट में छिपे हैं कई नामनीतीश की पसंद के ये हैं पांचनाम
सूत्र बताते हैं कि नीतीश इस बार केंद्र में अपने 5 मंत्री चाहते हैं। क्योंकि लोकसभा और विधानसभा में JDU-BJP ने बराबर सीटों पर चुनाव लड़ा था। ऐसे में नीतीश की ख्वाहिश भी उसी हिसाब से है। पांच नामों की बात करें तो उनमें आरसीपी सिंह, राजीव रंजन ऊर्फ ललन सिंह, संतोष कुशवाहा, रामनाथ ठाकुर और चंद्रेश्वर चंद्रवंशी हैं।
क्या नीतीश की पांच मंत्रियों की मांग मानेंगे मोदी?
सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न भी यही है? क्या नीतीश की पांच मंत्रियों की मांग पर मोदी तैयार हैं? सूत्रों के मुताबिक इस बार नीतीश को दो मंत्रिपद ऑफर किए जा सकते हैं। अब ऐसे में नीतीश पर ये तय करने के लिए छोड़ दिया जाएगा कि JDU से वो दो नाम कौन होंगे?
नीतीश ले सकते हैं चौंकानेवाला फैसला?
हालांकि ये सिर्फ एक गणना है लेकिन अगर जो सूरत सूत्रों के मुताबिक दिख रही है तो फिर नीतीश के लिए काफी मुश्किल है। क्योंकि वो नहीं चाहेंगे कि तीसरे नंबर पर आने के बाद वो किसी भी जाति की नाराजगी मोल लें। संगठन में कुर्मी-कोयरी समीकरण बिठाने को लेकर नीतीश विरोधियों के निशाने पर भी हैं। ऐसे में नीतीश ये बिल्कुल नहीं चाहेंगे कि कोई भी बुरा माने। हो सकता है कि दो मंत्रिपद को भी नीतीश फिर से सांकेतिक हिस्सेदारी ही बता दें।
2019 में जेडीयू ने मंत्रिमंडल में शामिल होने से कर दिया था इंकार
2019 में 303 सीटोंं पर प्रचंड जीत हासिल करने वाली बीजेपी की सरकार में जनता दल यूनाइटेड ने शामिल होने से इनकार कर दिया था। तब जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार थे और उन्होंने नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में एक को मंत्री बनाए जाने से नाराज होकर अंतिम समय में मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था। बता दें कि तब कयास लगाए जा रहे थे कि मोदी मंत्रिमंडल में जेडीयू से राज्यसभा सांसद रामचंद्र प्रसाद सिंह ( RCP Singh) और सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है। लेकिन तब मंत्रिमंडल में सिर्फ एक सीट ऑफर किए जाने से नाराज होकर नीतीश कुमार ने ये फैसला लिया था।
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नीतीश ने कहा था सांकेतिक हिस्सेदारी नहीं चाहिए
दरअसल लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार की 40 सीटों में से 34 सीटों पर बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड ने 17 – 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था। शेष 6 सीटों पर रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति के उम्मीदवार खड़े हुए थे। इसी वजह से नीतीश कुमार केंद्र में नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में ज्यादा हिस्सेदारी की उम्मीद कर रहे थे। क्योंकि 6 सीटों पर लड़ने वाली लोक जनशक्ति पार्टी को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई थी। तब रामविलास पासवान नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल हुए थे। बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार यह चाहते थे कि उनकी पार्टी से कम से कम तीन सांसदों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिले। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।
दिल्ली से नरेंद्र नाथ मिश्र और पटना से ऋषिकेश नारायण सिंह के इनपुट
हाइलाइट्स:
- कौन हैं JDU के वो पांच नाम?
- किनको मोदी मंत्रिमंडल में देखना चाहते हैं नीतीश कुमार?
- पिछली बार नीतीश ने सांकेतिक हिस्सेदारी से किया था इनकार
- इस बार नीतीश की ‘पांच’ मांगें मानेंगे मोदी?
पटना:
केंद्र की मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर हलचल काफी तेज हो गई है। यूं समझिए कि सत्ता क्रिकेट मैच की तरह है। यहां चुनाव में भी क्रिकेट की तरह ही हार-जीत से फैसला होता है। लेकिन मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज का मोह किसी से नहीं छूटता। लेकिन इसी बीच एक सवाल ये भी है क्या आखिरी वक्त में फिर से JDU की एंट्री में पेंच फंसेगा?
आरसीपी सिंह दिल्ली रवाना
मोदी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के बीच JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नीतीश के खासमखास RCP सिंह दिल्ली रवाना हो चुके हैं। अब वहां जाने का मकसद क्या है ये तो वही जानें लेकिन चर्चा है कि वो एक बड़े यक्ष प्रश्न का जवाब ढूंढने दिल्ली गए हैं। क्योंकि राह इतनी आसान नहीं है जितना अनुमान लगाया जा रहा है। समझने के लिए आपको नीतीश कुमार का समीकरण देखना होगा।
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सूत्र बताते हैं कि नीतीश इस बार केंद्र में अपने 5 मंत्री चाहते हैं। क्योंकि लोकसभा और विधानसभा में JDU-BJP ने बराबर सीटों पर चुनाव लड़ा था। ऐसे में नीतीश की ख्वाहिश भी उसी हिसाब से है। पांच नामों की बात करें तो उनमें आरसीपी सिंह, राजीव रंजन ऊर्फ ललन सिंह, संतोष कुशवाहा, रामनाथ ठाकुर और चंद्रेश्वर चंद्रवंशी हैं।
क्या नीतीश की पांच मंत्रियों की मांग मानेंगे मोदी?
सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न भी यही है? क्या नीतीश की पांच मंत्रियों की मांग पर मोदी तैयार हैं? सूत्रों के मुताबिक इस बार नीतीश को दो मंत्रिपद ऑफर किए जा सकते हैं। अब ऐसे में नीतीश पर ये तय करने के लिए छोड़ दिया जाएगा कि JDU से वो दो नाम कौन होंगे?
नीतीश ले सकते हैं चौंकानेवाला फैसला?
हालांकि ये सिर्फ एक गणना है लेकिन अगर जो सूरत सूत्रों के मुताबिक दिख रही है तो फिर नीतीश के लिए काफी मुश्किल है। क्योंकि वो नहीं चाहेंगे कि तीसरे नंबर पर आने के बाद वो किसी भी जाति की नाराजगी मोल लें। संगठन में कुर्मी-कोयरी समीकरण बिठाने को लेकर नीतीश विरोधियों के निशाने पर भी हैं। ऐसे में नीतीश ये बिल्कुल नहीं चाहेंगे कि कोई भी बुरा माने। हो सकता है कि दो मंत्रिपद को भी नीतीश फिर से सांकेतिक हिस्सेदारी ही बता दें।
2019 में जेडीयू ने मंत्रिमंडल में शामिल होने से कर दिया था इंकार
2019 में 303 सीटोंं पर प्रचंड जीत हासिल करने वाली बीजेपी की सरकार में जनता दल यूनाइटेड ने शामिल होने से इनकार कर दिया था। तब जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार थे और उन्होंने नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में एक को मंत्री बनाए जाने से नाराज होकर अंतिम समय में मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था। बता दें कि तब कयास लगाए जा रहे थे कि मोदी मंत्रिमंडल में जेडीयू से राज्यसभा सांसद रामचंद्र प्रसाद सिंह ( RCP Singh) और सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है। लेकिन तब मंत्रिमंडल में सिर्फ एक सीट ऑफर किए जाने से नाराज होकर नीतीश कुमार ने ये फैसला लिया था।
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नीतीश ने कहा था सांकेतिक हिस्सेदारी नहीं चाहिए
दरअसल लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार की 40 सीटों में से 34 सीटों पर बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड ने 17 – 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था। शेष 6 सीटों पर रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति के उम्मीदवार खड़े हुए थे। इसी वजह से नीतीश कुमार केंद्र में नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में ज्यादा हिस्सेदारी की उम्मीद कर रहे थे। क्योंकि 6 सीटों पर लड़ने वाली लोक जनशक्ति पार्टी को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई थी। तब रामविलास पासवान नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल हुए थे। बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार यह चाहते थे कि उनकी पार्टी से कम से कम तीन सांसदों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिले। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।
दिल्ली से नरेंद्र नाथ मिश्र और पटना से ऋषिकेश नारायण सिंह के इनपुट