डेल्टा प्लस वैरिएंट के खिलाफ कितनी कारगर है वैक्सीन? जानने के लिए ICMR उठा रहा ये कदम
हाइलाइट्स:
- डेल्टा प्लस’ स्वरूप को लेकर चिंता करने के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं
- भारत में दूसरी लहर के लिए डेल्टा वैरिएंट ही जिम्मेदार माना जाता है
- महाराष्ट्र, तमिलनाडु समेत चार राज्यों में इसके 40 मरीज सामने आए
नई दिल्ली
कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट अब देश में पैर पसार रहा है। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि कोरोना वैक्सीन डेल्टा प्लस वैरिएंट के खिलाफ कितनी कारगर है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को डेल्टा प्लस कोविड वैरिएंट को ‘चिंताजनक स्वरूप’ के रूप में वर्गीकृत किया था। केंद्र सरकार की तरफ से महाराष्ट्र, केरल, मध्य प्रदेश को अडवाइजरी जारी की जा चुकी है। हालांकि सरकार का कहना है कि इस वैरिएंट के मामलों में कोई खास बढ़ोतरी नहीं देखी जा रही है।
वैक्सीन की प्रभाव की कर रहे निगरानी
आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉ समीरन पांडा ने कहा कि वे विभिन्न जगहों से मिले डेल्टा-प्लस वेरिएंट के खिलाफ कोविड वैक्सीन लगवा चुके लोगों के सीरम की निष्क्रियता क्षमता की बारीकी से निगरानी की जा रही। उन्होंने कहा कि परिणाम कुछ हफ्तों में सामने आने चाहिए। डॉ. पांडा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया कि हम विभिन्न स्थानों से प्राप्त नमूनों की जांच कर रहे हैं। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि क्या कोविड -19 वैक्सीन नए वैरिएंट के खिलाफ कारगर है या नहीं। उन्होंने कहा कि हम आशा करते हैं कि इस नए वैरिएंट खिलाफ भी वैक्सीन की प्रभावशीलता जारी रहेगी।
डेल्टा वैरिएंट वाली गलती ना हो
वायरोलॉजिस्ट डॉ टी जैकब जॉन ने TOI को बताया कि अब तक, सभी वैरिएंट ऑफ कंसर्न को “फाउंडर वैरिएंट” के संक्रमण से प्रेरित एंटीबॉडी द्वारा बेअसर किया जाता है। उन्होंने कहा कि इसलिए, डेल्टा-प्लस पर भी कोरोना वैक्सीन के कारगर होने का अनुमान लगाया जा सकता है। डॉ. जैकब ने कहा कि डेल्टा प्लस पर लगातार नजर बनाए रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि डेल्टा के साथ हमने जो गलती की वह नहीं होनी चाहिए। डेल्टा वैरिएंट का पता दिसंबर 2020 में चला था। इसको तब फॉलो नहीं किया गया जिसकी वजह से कोरोना की दूसरी लहर आई। उन्होंने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। “आखिरकार, हम इन सभी को वेरिएंट के रूप में बुला रहे हैं, न कि ‘स्ट्रेन’ के रूप में।
‘डेल्टा प्लस को लेकर चिंता की वजह नहीं’
महाराष्ट्र के कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. शशांक जोशी का कहना है कि कोरोना वायरस के ‘डेल्टा प्लस’ स्वरूप को लेकर चिंता करने के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा, हमें केवल इस बात की चिंता करनी चाहिए कि हम दो मास्क लगाकर, भीड़भाड़ से बचकर और टीका लगवाकर कोविड अनुकूल व्यवहार का सख्ती से पालन करते रहें।
क्या है डेल्टा प्लस वैरिएंट
कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट बेहद संक्रामक डेल्टा वैरिएंट का ही बदला हुआ रूप है। भारत में दूसरी लहर के लिए डेल्टा ही जिम्मेदार माना जाता है। डेल्टा प्लस वैरिएंट (B.1.617.2.1) डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) में ही आए बदलाव से बना है। डेल्टा वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में आए एक बदलाव (म्यूटेशन) के कारण डेल्टा प्लस बना। स्पाइक प्रोटीन से ही वायरस शरीर में फैलता है। डेल्टा प्लस के स्पाइक प्रोटीन में जो बदलाव देखा गया है वही बदलाव साउथ अफ्रीका में सबसे पहले पाए गए बीटा वैरिएंट में भी देखा गया है।
चार राज्यों में 40 केस आ चुके हैं सामने
अब तक चार राज्यों में इसके 40 मरीज सामने आ चुके हैं। जिन चार राज्यों में यह वैरिएंट पाया गया है उनमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और तमिलनाडु हैं। सिर्फ महाराष्ट्र में इसके 21 केस मिले हैं। कोरोना वायरस का यह वैरिएंट सुपर स्प्रेडर बताया जा रहा है जो बाकी वैरिएंट की अपेक्षा काफी तेजी से फैलता है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि भारतीय SARS Cov-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) ने सूचना दी थी कि डेल्टा प्लस स्वरूप, ‘वर्तमान में चिंताजनक स्वरूप (VOC)’ है, जिसमें तेजी से प्रसार, फेफड़े की कोशिकाओं के रिसेप्टर से मजबूती से चिपकने और ‘मोनोक्लोनल एंटीबॉडी’ प्रतिक्रिया में संभावित कमी जैसी विशेषताएं हैं।
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