पुलिसवालों को बिना मास्क FB पर लाइव दिखाने की ‘सजा’, आधा दर्जन धाराओं में केस दर्ज कर जेल में ठूंसा

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पुलिसवालों को बिना मास्क FB पर लाइव दिखाने की ‘सजा’, आधा दर्जन धाराओं में केस दर्ज कर जेल में ठूंसा


पुलिसवालों को बिना मास्क FB पर लाइव दिखाने की ‘सजा’, आधा दर्जन धाराओं में केस दर्ज कर जेल में ठूंसा

हाइलाइट्स:

  • यूपी के सीतापुर जिले में बिना मास्क पुलिसवालों को दिखाना युवक को भारी पड़ा
  • थाने में बिना मास्क घूम रहे पुलिसवालों को FB लाइव पर दिखाने पर हुआ केस
  • सीतापुर के नैमिषारण्य थाने का मामला, उच्चाधिकारियों ने कहा- मामले की होगी जांच
  • युवक का आरोप, पुलिस ने उसे रातभर पीटा, आधा दर्जन धाराओं में मुकदमा दर्ज

शिवम् भट्ट/विश्व गौरव, सीतापुर
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में बीते हफ्ते एक बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है। पूरे प्रदेश में सार्वजनिक जगहों पर मास्क न लगाने को लेकर लोगों का चालान करने वाली पुलिस की खुद की असलियत दिखाना एक युवक को भारी पड़ गया। थाने पहुंचकर बिना मास्क घूम रहे पुलिसवालों को फेसबुक लाइव पर दिखाने गए 18 वर्षीय युवक का मोबाइल छीनकर पुलिस ने पहले तो उसे पीटा और फिर आधा दर्जन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया।

घटना सीतापुर जिले के नैमिषारण्य थाने की है। हालांकि पुलिस की मानें तो युवक उनके ‘घर’ जैसे थाने में घुसकर रसोईघर और गोपनीय कंप्यूटर कक्ष का वीडियो बना रहा था और ‘सरकारी काम में बाधा’ पहुंचा रहा था। पुलिस ने आईपीसी की धारा 186 (सरकारी काम में बाधा पहुंचाना), 189 (सरकारी कर्मचारी को धमकी देना), 384 (जबरन वसूली करना), 504 (सार्वजनिक रूप से गाली-गलौज करना), 506 (आपराधिक धमकी देना) में केस दर्ज कर युवक को जेल भेज दिया।

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दरअसल सीतापुर के नैमिषारण्य के रहने वाले 18 वर्षीय योगांक तिवारी 19 मई की रात एक स्थानीय मामले में महिला को इंसाफ दिलाने थाने गए थे। महिला के साथ इलाके के कुछ लोगों ने मारपीट की थी, पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया था मगर आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं कर रही थी। योगांक महिला और उनके रिश्तेदारों को थाने लेकर गए और पुलिसकर्मियों से मांग की कि महिला की शिकायत पर कार्रवाई करें। इस पूरी घटना का उन्होंने फेसबुक लाइव करना शुरू कर दिया। इसके साथ ही योगांक ने थाने में बिना मास्क घूम रहे पुलिसकर्मियों को भी दिखाना शुरू कर दिया। एफबी लाइव करते-करते वह दिखाते हैं कि कैसे कंप्यूटर रूम में तीन पुलिसकर्मी (जिनमें शिकायत करने वाली महिला सिपाही भी थी) बिना मास्क बैठे थे। रसोइया बिना मास्क खाना बना रहा था। बाहर से दरोगा भी बिना मास्क ही आए थे।

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किसी ने छीना फोन और बंद हो गया वीडियो
हालांकि ये सब चल ही रहा था कि सादी वर्दी में आया पुलिसकर्मी फोन छीन लेता है और वीडियो बीच में बंद हो जाता है। जमानत पर जेल से बाहर आए योगांक ने एनबीटी ऑनलाइन से इसके आगे की कहानी बताई, ‘मेरा फोन छीनने के बाद वहां मौजूद दरोगा और सिपाही ने मुझे जमकर पीटा और लॉकअप में बंद कर दिया। मेरे फोन से वीडियो डिलीट कर दिया। अगले दिन मनगढ़ंत धाराओं में केस दर्ज कर मुझे जेल भेज दिया गया। पुलिस ने एफआईआर में जो आरोप मढ़े हैं, वे पूरी तरह निराधार हैं। मैंने न किसी को धमकी दी, न वसूली की कोई बात कही और न ही गाली दी।’

पुलिस का तर्क, आपके घर में घुसकर कोई वीडियो बनाने लगे तो क्या करेंगे?
इस बारे में बात करने पर नैमिषारण्य थाने के एसएचओ विनोद कुमार मिश्रा ने गजब तर्क दिए। एसएचओ ने कहा, ‘आप बताइए, आपके घर में खाना बन रहा है उसकी फेसबुक लाइव होती तो? मेस में खाना बन रहा था और कम्प्यूटर कक्ष गोपनीय होता है, वहां का भी फेसबुक लाइव कर रहा था वो…महिला आरक्षी से उसने बदतमीजी की है, उसने जो तहरीर दी उसी के आधार पर मुकदमा दर्ज हुआ है। महिला आरक्षी कंप्यूटर कक्ष में काम कर रही थी और ये कक्ष गोपनीय होता है, बाहर भी लिखा होता है कि इसमें प्रवेश वर्जित होता है।’ यह पूछने पर कि क्या तहरीर पर मुकदमा दर्ज करने से पहले तथ्यों की जांच की गई थी, एसएचओ ने कहा, ‘पूरा थाना देख रहा था, वह व्यक्ति खुद को पत्रकार बताकर घुस रहा है, नैमिषारण्य के सारे पत्रकार आए थे। उसके दोनों मोबाइल सीज हैं, फिलहाल वह अंतरिम जमानत पर है।’

एसएचओ के दावे को गलत साबित कर रहा है लाइव वीडियो
एसएचओ के दावे के मुताबिक, महिला कॉन्स्टेबल कम्प्यूटर कक्ष में काम कर रही थीं और योगांक उनसे बदतमीजी करता है, मगर योगांक के वीडियो से साफ है कि कम्प्यूटर कक्ष में उस वक्त महिला सिपाही के अलावा दो और सिपाही थे। उनसे बदतमीजी नहीं की गई, मास्क के लिए टोका गया था। हैरानी की बात है कि जिस महिला आरक्षी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ है, योगांक से उसकी कोई बात ही नहीं हुई। वीडियो जहां पर बंद होता है, तब तक योगांक पर पुलिस काबू पा चुकी थी, उसके बाद महिला आरक्षी से बदसलूकी का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता।

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, साक्ष्यों से सारी चीजें साफ हो जाएंगी
इस बारे में एसपी सीतापुर से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनके पीआरओ ने मिश्रिख के क्षेत्राधिकारी महेंद्र प्रताप सिंह (सीओ) से बात करने की सलाह दी। सीओ महेंद्र प्रताप सिंह ने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में कहा, ‘योगांक की मां आई थीं, उनसे मेरी बात हुई है। मैंने उनसे कहा है कि आप परेशान न हों। हम इस मामले को दिखवाएंगे और जो साक्ष्य हैं उनसे सारी चीजें स्पष्ट हो जाएंगी।’



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