महाराष्ट्रः औरंगाबाद में खराब निकले पीएम केयर फंड के कई वेंटिलेटर्स, सरकारी अस्पताल ने जारी की रिपोर्ट

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महाराष्ट्रः औरंगाबाद में खराब निकले पीएम केयर फंड के कई वेंटिलेटर्स, सरकारी अस्पताल ने जारी की रिपोर्ट


महाराष्ट्रः औरंगाबाद में खराब निकले पीएम केयर फंड के कई वेंटिलेटर्स, सरकारी अस्पताल ने जारी की रिपोर्ट

हाइलाइट्स:

  • पीएम केयर्स फंड के जरिए मिले वेंटिलेटर्स पर महाराष्ट्र के सरकारी अस्पताल ने उठाए सवाल
  • औरंगाबाद के एक अस्पताल की रिपोर्ट में दावा, केंद्र द्वारा दिए गए वेंटिलेटर्स में कई खराब थे
  • कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सचिन सावंत ने इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी है

औरंगाबाद
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के सरकारी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच) की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीएम केयर्स फंड की ओर से अस्पताल को दिए गए वेंटिलेटर्स में से कई खराब हैं। यह रिपोर्ट उस आदेश के तीन दिन बाद आई है, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से दिए गए वेंटिलेटर्स का ऑडिट कराने को कहा गया था। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सचिन सावंत ने इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी है।

सावंत ने कहा कि जीएमसीएच की 3 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड (पीएमसीएफ) के तहत कोविड-19 मरीजों के लिए 150 वेंटिलेटर दिए गए, जिनमें से 100 धमन तीन मॉडल की आपूर्ति 12 अप्रैल को ज्योति सीएनसी द्वारा की गई। डीन द्वारा औरंगाबाद कलेक्टर को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ वेंटिलेटर की स्थापना और टेस्ट के बाद, वे अत्यंत गंभीर कोविड रोगियों के इलाज के लिए बेकार पाए गए।

कंपनी के प्रतिनिधि सहदेव गुचकुंड और कल्पेश 6 दिनों के बाद आए और 25 वेंटिलेटर लगाए लेकिन अगले ही दिन 20 अप्रैल को सभी खराब साबित हुए। सावंत ने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि वेंटिलेटर उतनी ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं कर रहे थे जितने की जरूरत थी। इससे कोविड रोगियों के लिए सांस लेना मुश्किल हो रहा था और परिणामस्वरूप उनके ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा था। इससे उनके जीवन को खतरा हो रहा था।

कंपनी के अधिकारियों को सूचित किया गया लेकिन वे बिना कोई सेवा रिपोर्ट दिए चले गए। इंजीनियरों की एक टीम तीन दिनों के बाद आई। दो वेंटिलेटर्स की मरम्मत की, जो फिर से खराब हो गए और आईसीयू से हटा दिए गए। कांग्रेस ने जांच के साथ-साथ ऑडिट की मांग की। बार-बार याद दिलाने के बावजूद सर्विस इंजीनियर नहीं आए, जिसके बाद अस्पताल ने रिपोर्ट तैयार की और 13-14 मई को ज्योति सीएनसी के अधिकारी राजेश रॉय और आशुतोष गाडगिल आए और दो वेंटिलेटर की मरम्मत की गई, लेकिन जल्द ही क्रैश हो गया।

सावंत ने कहा, ‘घटिया वेंटिलेटर देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने न केवल जनता के पैसे को बर्बाद किया है बल्कि लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ भी किया है, इसलिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा संयुक्त ऑडिट और जांच की हमारी मांग सही थी।’ सावंत ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता अब महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार पर दोष मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जीएमसीएच की रिपोर्ट ने उन्हें उजागर कर दिया है क्योंकि उन्होंने ज्योति सीएनसी की रक्षा करने की कोशिश की थी जो कुछ बीजेपी नेताओं के करीब है।

पिछले महीने सावंत द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद 15 मई को मोदी ने पीएमसीएफ के तहत प्रदान किए गए वेंटिलेटर की स्थापना और संचालन के ऑडिट का आदेश दिया था। जीएमसीएच की रिपोर्ट के अनुसार, ‘ज्योति सीएनसी द्वारा आपूर्ति किए गए 150 वेंटिलेटर में से 58 स्थापित किए गए थे और सभी मरम्मत के बावजूद ऐसे ही पड़े हैं। कंपनी ने 37 अन्य वेंटिलेटर स्थापित करना भी शुरू नहीं किया है और शेष 55 को परभणी, बीड, उस्मानाबाद और हिंगोली के अस्पतालों में वितरित किया गया है।’



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