प्रशांत महासागर में 5,000 फीट नीचे मिली दुर्लभ धातु, सौर मंडल से भी पुराने खगोलीय विस्फोट की गवाह? h3>
हाइलाइट्स:
- प्रशांत महासागर में वैज्ञानिकों को प्लूटोनियम का दुर्लभ आइसोटोप मिला है
- लाखों साल पहले अंतरिक्ष में हुई खगोलीय घटना में पैदा होने की संभावना
- धरती पर बनने मुश्किल होते हैं सोने, यूरेनियम जैसे हेवी मेटल, कहां से आए?
कैनबेरा
धरती के सबसे बड़े और गहरे प्रशांत महासागर में पांच हजार फीट नीचे कुछ ऐसा मिला है जो हमारे अनंत अंतरिक्ष के लाखों साल पुराने इतिहास से जुड़ा है। यहां वैज्ञानिकों ने प्लूटोनियम-244 की खोज की है। यह आइसोटोप लाखों साल पहले अंतरिक्ष में हुई विस्फोटक घटनाओं में पैदा हुआ था। इस आइसोटोप की हाफ-लाइफ 8 करोड़ साल से ज्यादा होती है। इस खोज के साथ ही वैज्ञानिकों के सामने यह पहेली खड़ी हो गई है कि धरती पर सोना, यूरेनियम और दूसरे हेवी मेटल कैसे आए?
ऑस्ट्रेलियन न्यूक्लियर साइंस ऐंड टेक्नॉलजी ऑर्गनाइजेशन (ANSTO) के मुताबिक 4.5 अरब साल पहले एक विस्फोटक खगोलीय घटना से हमारा सौर मंडल पैदा हुआ था। ANSTO ने प्लूटोनियम के आइसोटोप की अल्ट्रासेंसिटिव नाप ली है और इससे संकेत मिला है कि किन्हीं दो न्यूट्रॉन सितारों के विलय के असर से धरती के क्रस्ट के नीचे हेवी मेटल आए। ऐस्ट्रोफिजिकल थिअरीज के मुताबिक पीरियॉडिक टेबल में लोहे के बाद आने वाले हेवी मेटल धरती पर आम हालात में पैदा नहीं हो सकते हैं।
ये सिर्फ सुपरनोवा, किसी सितारे के अंदर न्यूक्लियर फ्यूजन या दूसरी खगोलीय घटनाओं से पैदा होते हैं। ANSTO के सेंटर फॉर एक्सलरेटर साइंस में वैज्ञानिक माइकल हॉचकिस ने बताया है, ‘यह साफ नहीं है कि क्या सुपरनोवा इतने शक्तिशाली होते हैं कि आज हमें जितने एलिमेंट दिखते हैं, वे सभी बना सकें।’ हॉचकिस ने साथियों के साथ मिलकर जो स्टडी की है उसके मुताबिक लोहे और प्लूटोनियम के आइसोटोप बनने में सुपरनोवा के अलावा दूसरी घटनाएं भी जिम्मेदार होती हैं।
रिसर्च के मुताबिक रैपिड न्यूट्रॉन कैप्चर प्रॉसेस सुपरनोवा में होते हैं, जिनसे हेवी मेटल बनते हैं लेकिन सिर्फ इनके आधार पर धरती पर पाए जाने वाले हेवी मेटल्स बनना मुश्किल है।
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हाइलाइट्स:
- प्रशांत महासागर में वैज्ञानिकों को प्लूटोनियम का दुर्लभ आइसोटोप मिला है
- लाखों साल पहले अंतरिक्ष में हुई खगोलीय घटना में पैदा होने की संभावना
- धरती पर बनने मुश्किल होते हैं सोने, यूरेनियम जैसे हेवी मेटल, कहां से आए?
धरती के सबसे बड़े और गहरे प्रशांत महासागर में पांच हजार फीट नीचे कुछ ऐसा मिला है जो हमारे अनंत अंतरिक्ष के लाखों साल पुराने इतिहास से जुड़ा है। यहां वैज्ञानिकों ने प्लूटोनियम-244 की खोज की है। यह आइसोटोप लाखों साल पहले अंतरिक्ष में हुई विस्फोटक घटनाओं में पैदा हुआ था। इस आइसोटोप की हाफ-लाइफ 8 करोड़ साल से ज्यादा होती है। इस खोज के साथ ही वैज्ञानिकों के सामने यह पहेली खड़ी हो गई है कि धरती पर सोना, यूरेनियम और दूसरे हेवी मेटल कैसे आए?
ऑस्ट्रेलियन न्यूक्लियर साइंस ऐंड टेक्नॉलजी ऑर्गनाइजेशन (ANSTO) के मुताबिक 4.5 अरब साल पहले एक विस्फोटक खगोलीय घटना से हमारा सौर मंडल पैदा हुआ था। ANSTO ने प्लूटोनियम के आइसोटोप की अल्ट्रासेंसिटिव नाप ली है और इससे संकेत मिला है कि किन्हीं दो न्यूट्रॉन सितारों के विलय के असर से धरती के क्रस्ट के नीचे हेवी मेटल आए। ऐस्ट्रोफिजिकल थिअरीज के मुताबिक पीरियॉडिक टेबल में लोहे के बाद आने वाले हेवी मेटल धरती पर आम हालात में पैदा नहीं हो सकते हैं।
ये सिर्फ सुपरनोवा, किसी सितारे के अंदर न्यूक्लियर फ्यूजन या दूसरी खगोलीय घटनाओं से पैदा होते हैं। ANSTO के सेंटर फॉर एक्सलरेटर साइंस में वैज्ञानिक माइकल हॉचकिस ने बताया है, ‘यह साफ नहीं है कि क्या सुपरनोवा इतने शक्तिशाली होते हैं कि आज हमें जितने एलिमेंट दिखते हैं, वे सभी बना सकें।’ हॉचकिस ने साथियों के साथ मिलकर जो स्टडी की है उसके मुताबिक लोहे और प्लूटोनियम के आइसोटोप बनने में सुपरनोवा के अलावा दूसरी घटनाएं भी जिम्मेदार होती हैं।
रिसर्च के मुताबिक रैपिड न्यूट्रॉन कैप्चर प्रॉसेस सुपरनोवा में होते हैं, जिनसे हेवी मेटल बनते हैं लेकिन सिर्फ इनके आधार पर धरती पर पाए जाने वाले हेवी मेटल्स बनना मुश्किल है।
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