भारत में बेरोजगारी के क्या कारण हैं?

1174
news

बेरोजगारी का मुख्य कारण वृद्धि की धीमी गति है । रोजगार का आकार, प्रायः बहुत सीमा तक, विकास के स्तर पर निर्भर करता है । आयोजन काल के दौरान हमारे देश ने सभी क्षेत्रों में बहुत उन्नति की है । परन्तु वृद्धि की दर, लक्षित दर की तुलना में बहुत नीची है । स्पष्ट है कि बी. हजारी और के. कृष्णामूर्ति ने विकास की प्रारम्भिक स्थिति में वृद्धि और रोजगार के बीच के संघर्ष का सही अवलोकन किया है, जोकि बेरोजगारी का मुख्य कारण है ।

सभी जानते हैं कि एक व्यक्ति बेरोजगार होने के कारण निर्धन होता है । अल्प विकसित देश निर्धनता के कुचक्र में जकड़े होते हैं, जो बदले में, देश में रोजगार के नमूने को बहुत प्रभावित करता है । निर्धन होने के कारण कोई व्यक्ति विद्यमान साधनों का लाभप्रद प्रयोग नहीं कर सकता ।

भारत में अल्प विकास और बेरोजगारी का भयंकर स्वरूप पिछड़ी हुई कृषि के कारण है जिससे कार्यों की प्रकृति भी पिछड़ जाती है । कृषि की विधियां अथवा तकनीकें और संगठन आरम्भिक है तथा पुराने हो चुके हैं । फलतः कृषि की उत्पादकता प्रति श्रमिक अथवा श्रम की प्रति इकाई के पीछे कम है । जनसंख्या का 70% भाग स्पष्ट अथवा अस्पष्ट रूप में कृषि पर निर्भर है ।

भूमि के आकार खर्चीले हैं । संस्थानिक सुधार जैसे भूमि सुधार, चकबन्दी, भूमिधारिता की सीमा और काश्तकारी सुधार राजनीतिक एवं प्रशासनिक अदक्षता और किसानों के असहयोगी व्यवहार के कारण लक्षित उद्देश्य प्राप्त नहीं कर पाये । इन परिस्थितियों में कृषि में अल्प रोजगार का होना प्राकृतिक है ।

देश में रोजगार के अवसरों की उच्च वृद्धि न होने का एक कारण अपर्याप्त एवं त्रुटिपूर्ण आयोजन भी है । यद्यपि, वर्ष 1951 से देश में आयोजन की प्रक्रिया चालू है परन्तु इसने समस्या के समाधान में कोई योगदान नहीं किया ।

अन्य शब्दों में, योजनाओं में ऐसी नीतियों को कोई स्थान नहीं दिया गया जैसे रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के लिये एक उपकरण के रूप में एक उचित वास्तविक वेतन दर नीति का निर्माण अथवा बड़े रूप में श्रम- गहन तकनीकों का संवर्धन । वास्तव में, ग्रामीण क्षेत्रों में अतिरेक श्रम की नरकसियन विविधता का प्रयोग करने के लिये बहुत कम प्रयत्न किये गये हैं ।

यह भी पढ़े:सिंह राशि के लिए 2021 में धन की स्थिति कैसे रहेगी?