मकर संक्रांति का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। सूर्य देव जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो वह घटना सूर्य की मकर संक्रांति कहलाती है। सूर्य देव के मकर राशि में आने के साथ ही मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश आदि होने लगते हैं। मकर संक्रांति को भगवान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। मकर संक्रांति के आगमन के साथ ही एक माह का खरमास खत्म हो जाता है। इस वर्ष लोगों में मकर संक्रांति की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति न हो, इसके लिए जागरण अध्यात्म में आज हम आपको सही समय, तारीख और इसके महत्व के बारे में बता रहे हैं।
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव सुबह मकर राशि में 08:30 बजे प्रवेश करेंगे। यह मकर संक्रान्ति का क्षण होगा। इस दिन मकर संक्रान्ति का पुण्य काल कुल 09 घण्टे 16 मिनट का है।
14 जनवरी को मकर संक्रांति का पुण्य काल सुबह 08 बजकर 30 मिनट से शाम को 05 बजकर 46 मिनट तक है। वहीं, मकर संक्रान्ति का महा पुण्य काल 01 घंटा 45 मिनट का है, जो सुबह 08 बजकर 30 मिनट से दिन में 10 बजकर 15 मिनट तक है।
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान और सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व होता है। आज के दिन सूर्य देव को लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, मसूर दाल, तांबा, स्वर्ण, सुपारी, लाल फूल, नारियल, दक्षिणा आदि अर्पित किया जाता है। मकर संक्रांति के पुण्य काल में दान करने से अक्षय फल एवं पुण्य की प्राप्ति होती है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, मकर संक्रांति से सूर्य देव का रथ उत्तर दिशा की ओर मुड़ जाता है। ऐसा होने पर सूर्य देव का मुख पृथ्वी की ओर होता है और वे पृथ्वी के निकट आने लगते हैं। जैसे-जैसे वे पृथ्वी की ओर बढ़ते हैं, वैसे-वैसे सर्दी कम होने लगती है और गर्मी बढ़ने लगती है। फसल पकने लगते हैं।
इस दिन भगवान सूर्य की पूजा भी जरूर करें। सबसे पहले सूर्य को अर्घ्य जरूर दें और सूर्य मंत्र का जाप करें। इसके साथ ही ध्यान रखें कि आप शाम के समय यानी सूरज ढलने के बाद इस दिन भोजन ना करें।
इस दिन गंगा या किसी नदी में जाकर स्नान करना शुभ माना जाता है। इस दिन आप नहाने से पहले कुछ भी न खाएं। अगर आप बिना खाए गंगा में स्नान कर दान करेंगे तो आपको दोगुना फल मिलेगा।